लवक(Plastids)-परिभाषा, वर्गीकरण, संरचना, कार्य |hindi


लवक(Plastids)-परिभाषा, वर्गीकरण, संरचना, कार्य

लवक या प्लास्टिड (Plastid)
  • लवक (Plastid) की खोज हेकल (Haeckel,1865) नामक वैज्ञानिक ने की थी।
  • प्लास्टिड शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम A.F.W.S. Schimper ने 1885 में किया। 
  • यह जीवद्रव्य के बने चपटे व गोल आकार के होते है,जो प्रायः पौधों की कोशिकाओं में पाए जाते है। यद्यपि यह जीवाणु (Bacteria),कवक (Fungi),और नीले-हरे शैवाल (Blue-Green algae) में अनुपस्थित होते है। 
  • यह कोशिका द्रव्य में जगह जगह पर बिखरे रहते है तथा यह पौधों में रंग देने का कार्य करते है। कुछ पौधों में यह रंगीन (Coloured) होते है तथा कुछ में रंगहीन (Colourless)। यह आवश्यकतानुसार एक-दूसरे में परिवर्तित होते रहते है। 

लवक का वर्गीकरण (Classification of Plastid)
लवक(Plastids)- Definition,Classification,Structure,Function and Chemical composition|hindi
विभिन्न प्रकार के लवकों के विकास के आपसी सम्बन्ध 

रंग के आधार पर इन्हे 3 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. अवर्णी लवक अथवा रंगहीन लवक (Leucoplast)
  2. वर्णी लवक रंगीन लवक (Chromoplast)
  3. हरित लवक (Chloroplast) 

अवर्णी अथवा रंगहीन लवक (Leucoplast)(Leukos=white or colourless;plast=living)

  • अवर्णित लवक भूमिगत तनों तथा जड़ों में पाए जाते है जहाँ  पे सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है। 
  • इनमें Starch , Oils, तथा प्रोटीन कणों का संग्रह रहता है।
  • इनका आकार छड़ के समान या गोल होता है। 
  • यह Embryonic cells, Sex cells, Meristematic cellsतथा  Parenchyma में पाए जाते है। 
  • छोटे अवर्णी लवक सूर्या के प्रकाश में हरितलवक (Chloroplast) में परिवर्तित हो जाते है।

यह तीन प्रकार के होते है -
  • एमाइलोप्लास्ट (Amylopast)
  • इलायोप्लास्ट (Elaioplast)
  • प्रोटीनोप्लास्ट (Proteinoplast)
एमाइलोप्लास्ट (Amylopast)-     यह बड़े आकार के अवर्णी लवक होते है जिनमे starch का संग्रह होता हैं। यह बीजों जैसे-चावल, गेंहूँ व मक्का के बीजों में,भूमिगत तनों तथा जड़ों जैसे आलू व शकरकंद में पाए जाते है। इनमे लेमिली नहीं होते है। यह भोजन को Starch के रूप में संचित  करते है। 
इलायोप्लास्ट (Elaioplast)- यह भोजन को वसा (Fat) के रूप में संचित करते है और बीजों में पाए जाते है। 
प्रोटीनोप्लास्ट (Elaioplast)- यह भोजन को प्रोटीन के रूप में संचित करते है और बीजों में जाते है। 


वर्णी अथवा रंगीन लवक (Chromoplast)

यह लवक पौधों को रंग प्रदान करता है ,हरे रंग को छोड़ कर। इनमें स्ट्रोमा लैमिली नहीं होती है। इनका आकार विभिन्न प्रकार का होता है जैसे कोणाकार(angular), गोल(spherical), लंबवत (elongated) आदि।  

यह अधिकतर पुष्पों की पंखुड़ियों व फलों में पाए जाते है तथा उन्हें विशेष रंग प्रदान करते है।
 
बैंगनी रंग एन्थोसायनिन (anthocyanin)  नामक रंगद्रव्य के कारण होता है। यह रिक्तिका रस में घुले रहते है। यह फूलों ,रंगीन जड़ों (चुकंदर की जड़) तथा पौधों की तरुण लाल पत्तियों में पाए जाते है। (अम्लीय घोल में यह लाल तथा क्षारीय घोल में यह नीले होते है)। 

लवक(Plastids)- Definition,Classification,Structure,Function and Chemical composition|hindi
पादप कोशिका में वर्णी लवक 
A-टमाटर , B-गाजर तथा C- कैना की कोशिका 

जीवाणुओं एवं शैवालों में वर्णी लवक निम्न प्रकार  है -

1- फियोप्लास्ट्स (Phaeoplasts) -यह भूरे शैवालों ,डायटम्स आदि में पाए जाते है। इनमें फ्यूकोजैन्थिन नामक भूरा मुख्या रंगद्रव्य (pigment) होता है। इनमे Chlorophyll 'a'  होता है परन्तु Chlorophyll 'b' के  स्थान पर Chlorophyll 'c' पाया जाता है। 

2- रोडोप्लास्ट (Rhodoplasts) - यह लाल शैवालों में पाए जाते है तथा इनमे लाल रंग R-फाइकोएन्थ्रिन (Phycoerythrin)एवं R-फाइकोसायनिन नामक रंगद्रव्य (R-Phycocyanin) के कारण  होता है। 

3- नीले-हरे क्रोमेटोफोर (Blue-green Chromatophores)- यह नीले-हरे शैवालों में पाए जाते है। इनमें फाइकोसायनिन (phycocyanin),फाइकोएरिथ्रिन (phycoerythrin) नमक रंगद्रव्य पाया जाता है। एवं Chlorophyll 'a' पाया जाता है। 

4- प्रकाश-संश्लेषणी जीवाणुओं के क्रोमैटोफोर (chromatophores of photosynthetic bacteria)-
क्रोमैटोफोर बैंगनी व अबैंगनी प्रकाश-संश्लेषणी जीवाणुओं में पाए जाते है। इनमे बैंगनी-लाल रंग विशेष प्रकार के कैरोटिनाइड्स के कारण होता है। 


हरितलवक (Chloroplast)
  • यह हरे रंग के लवक होते है।  इनकी खोज शिम्पर (Schimper)  नामक वैज्ञानिक ने की थी।
  • इनमें हरे रंग का वर्णक (Pigment) पर्णहरिम (Chlorophyll) होता है इसी कारण पत्तियों व पौधों के कुछ भाग हरे दिखाई देते है। 
  • Chloroplast के कारण  ही पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया  होती है और विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट  बनते है।

हरितलवक की संरचना  (Structure of Chloroplast)-
Chloroplast  दो परतों वाली झिल्लियों से घिरा होता है 
  • Outer layer 
  • Inner layer 
Outer layer Lipid की तथा Inner layer Protein की बानी होती है। 
  1. झिल्ली के अंदर प्रोटीन का बना एक तरल पदार्थ होता है जिसे स्ट्रोमा  कहते है। स्ट्रोमा के अंदर enzymes, ribosomes, और कुछ osmiophilic droplets पाई जाती है। 
  2. इसमें सिक्कों के ढेर के समान संरचनाएं पाई जाती है जिसे ग्रेनम या ग्राना  (Granum)  कहते है इसकी संख्या 40-60 तक हो सकती है। एक सिक्के को Thylakoid कहते है। और एक ग्राना में 10-100 thylakoid होते है। 
  3. Granum एक दुसरे से Stroma lemellae के द्वारा जुड़े रहते है। इनमे Chlorophyll तथा Carotenoid पाए जाते है। हरी शैवाल के हरितलवक में ग्राना नहीं पाये  जाते है।
  4. Thylakoid के भीतरी कला पर बहुत सी दानेदार संरचना पाई जाती है जिसे क्वाण्टासोम  (Quantasome) कहते है। पार्क एवं पौन (Park and Pon,1961) तथा पार्क एवं बिगिन्स(Park and Biggins,1964) ने इनकी खोज की। 
  5. हरितलवक (Chloroplast) में राइबोसोम ,RNA तथा DNA भी पाए जाते है। हरितलवक में Double-Stranded Circular DNA होता है तथा राइबोसोम 70s प्रकार का होता है।(इनकी इस प्रकार की संरचना इन्हे जीवणु के समक्ष ले जाती है)।
  6. हरितलवक (Chloroplast) में राइबोसोम ,RNA तथा DNA की उपस्थिति यह बताती है कि यह अर्ध रूप में स्वः शासित(Semiautonomous) कोशिकांग है क्योंकि इनमे स्वः जनन की शक्ति जीवित कोशिका के सामान ही होती है ,परन्तु यह कोशिका के अंदर रह कर ही जनन करती है। अतः हरितलवक को कोशिका के अंदर कोशिका (Cell Within Cell) भी कहा जाता है। 


हरितलवक की रासायनिक संरचना (Chemical Composition of Chloroplast)

हरितलवक में निम्नलिखित पदार्थ पाए जाते है-
  • प्रोटीन (45-50%)
  • पर्णहरिम  (3-10%)
  • RNA    (2-5%)
  • DNA  (कुछ मात्रा)
  • फोस्फोलिपिड   (23-25%)
  • कैरोटिनोइड  (1-2%)
  • एन्जाइम  (कुछ मात्रा) 
  • विभिन्न धातुओं के परमाणु   (कुछ मात्रा)


हरितलवक का पूरा लेख यहाँ पढ़ें --  Chloroplast:General Information,Structure,Chemical Composition and Function|Hindi


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