घोंघा–पाइला (Pila): वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


घोंघा–पाइला (Pila)

घोंघा–पाइला (Pila): वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

घोंघा–पाइला (Pila)

मोलस्का की लगभग 80,000 विद्यमान तथा लगभग 40,000 विलुप्त जातियाँ ज्ञात हैं। हमारे देश के तालाबों, झीलों, नदियों, सरिताओं, आदि में और जल से भरे इनके निकटवर्ती चावल के खेतों में आम पाया जाने वाला मोलस्क घोंघा (Pila) होता है। इसका शरीर एवं कवच (shell) कुण्डलित होता है। इनका संक्षिप्त विवरण हम नीचे करेंगे—


वर्गीकरण (Classification)

जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - प्रोटोस्टोमिया  (Protostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - मोलस्का  (Mollusca)
वर्ग (Class) - गैस्ट्रोपोडा (Gastropoda)
उपवर्ग (Subclass) - प्रोसोब्रैंकिया (Prosobranchia)
गण (Order) - मीसोगैस्ट्रोपोडा (Mesogastropoda)



घोंघा–पाइला (Pila): वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

लक्षण (Characteristic)

घोंघा–पाइला के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-

1. यह तालाबों, झीलों, चावल के खेतों, आदि में पाया जाने वाला सेवाभ घोंघा (Apple snail) होता है। 

2. इसका शरीर एवं कवच (shell) कुण्डलित होता है। इनके कवच में एक ओर इसका चौड़ा-सा अण्डाकार द्वार होता है जिस पर एक चपटा ढक्कन होता है जिसे ऑपरकुलम (operculum) कहते हैं। जबकि कवच का दूसरा, नुकीला सिरा शिखर (apex) कहलाता है। कवच में लगभग 6.5 कुण्डल होते हैं।

3. इनमें रेंगने के लिए ऑपरकुलम से जुड़ा मजबूत, मांसल व चपटा पाद (foot) होता है।

4. इनके foot के पृष्ठतल की ओर शीर्ष (head) होता है। इस पर दो जोड़ी स्पर्शक तथा एक जोड़ी नेत्र-डण्ठलों (ommatophores) पर स्थित नेत्र उपस्थित रहते हैं।

5. इनके शरीर में foot तथा head को छोड़ शेष शरीर, अर्थात् आन्तरांग पिण्ड (visceral mass), त्वचा के एक पतले भंज या प्रावरण (mantle or pallium) द्वारा ढका रहता है।

6. इनके कवच के सबसे बड़े कुण्डल अर्थात् body whorl में, visceral mass एवं mantle के बीच, बड़ी-सी mantle cavity होती है। इस गुहा में जलीय श्वसन के लिए एक जलक्लोम तथा वायु-श्वसन के लिए एक pulmonary sac उपस्थित रहता है। इस प्रकार, जल व भूमि, दोनों पर रहने की क्षमता के कारण पाइला उभयचर (amphibious) होता है।

7. इनकी आहारनाल लम्बी व कुण्डलित होती है तथा इनकी पाचन ग्रन्थि भी कुण्डलित होती है। 

8. इनके शरीर में उत्सर्जन के लिए एक ही बड़ा-सा वृक्क उपस्थित रहता है।

9. कई जोड़ी गुच्छकों एवं इन्हें जोड़ने वाली तन्त्रिकाओं का बना तन्त्रिका तन्त्र शरीर की ऐंठन (torsion) के कारण, अँग्रेजी की संख्या आठ (8) की आकृति  जैसा होता है। इनमें कुछ संवेदांग उपस्थित रहते हैं।

10. यह जीव एकलिंगी होते हैं। इनमें केवल एक जनद (gonad) होता है। इनमें विकसित जननवाहिनियाँ एवं मैथुनांग होते हैं। संसेचन मादा के शरीर में होता है, परन्तु भ्रूणीय परिवर्धन बाहर, गीली मिट्टी में होता है। मादा एक बार में 200 से 800 अण्डे देती है। जीवन-वृत्त में कोई डिम्भक प्रावस्था नहीं होती है।


घोंघा–पाइला (Pila): वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


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FAQs

1. घोंघे तीन साल तक क्यों सोते हैं ?

घोंघे तीन साल तक सोते हैं क्योंकि वे हिब्रीनेशन (hibernation) में चले जाते हैं। हिब्रीनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीव अपने शरीर के तापमान और चयापचय को कम करके सर्दियों के ठंडे तापमान में जीवित रहने के लिए खुद को तैयार करते हैं। घोंघे में, हिब्रीनेशन तब होता है जब तापमान 10 डिग्री सेल्सियस (50 डिग्री फ़ारेनहाइट) से नीचे चला जाता है। इस तापमान पर, घोंघे अपनी खोल के अंदर बंद हो जाते हैं और एक मोटी परत बना लेते हैं जो उन्हें ठंड से बचाती है। वे तब तक सोते रहते हैं जब तक कि बाहर का तापमान फिर से बढ़ नहीं जाता।



2. घोंघे के कितने दांत होते हैं ?

घोंघे के मुंह में radula नामक एक रेशेदार उपकरण होता है जिसमें 10,000 से अधिक दांत होते हैं। ये दांत छोटे और नुकीले होते हैं जिन्हें रदनक कहा जाता है। यह घोंघे को भोजन को पीसने और चबाने में मदद करते हैं। घोंघे मुख्य रूप से पौधों के पत्ते, फूल और फल खाते हैं।


3. घोंघा खाने से क्या फायदा होता हैं ?

घोंघा खाने से कई फायदे होते हैं। घोंघा एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है जिसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और विटामिन उचित मात्रा में पाया जाता है। घोंघा खाने से रक्तचाप को नियंत्रित करने, हड्डियों को मजबूत करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।


4. घोंघे में प्रजनन कैसे होता है ?

घोंघे में प्रजनन एक जटिल प्रक्रिया है। घोंघे एकलिंगी होते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक घोंघा या तो नर या मादा होता है। नर घोंघे मादा घोंघे को शुक्राणु प्रदान करता है, जो मादा घोंघे के अंडे को निषेचित करता है। मादा घोंघा फिर एक अंडे के खोल में अंडे देती है। अंडे से घोंघे के बच्चे निकलते हैं।


5. घोंघे का शरीर ढकने वाला क्या है ?

घोंघे का शरीर एक खोल से ढका होता है। यह खोल एक कठोर, गोलाकार संरचना होती है जो घोंघे के शरीर को बाहरी आघात से बचाती है। यह खोल कैल्शियम कार्बोनेट से बना होता है, और घोंघे के शरीर के आकार के अनुसार बढ़ता रहता है। घोंघा अपने खोल के अंदर ही अपना सिर, पैर और पेट छिपाता है।



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