संघ निमैटोडा या निमैटहेल्मिन्थीज (Nemathelminthes):परिचय एवं परिभाषा,लक्षण,वर्गीकरण|hindi


संघ निमैटोडा या निमैटहेल्मिन्थीज (Phylum Nematoda OR Nemathelminthes) : परिचय एवं परिभाषा, लक्षण, वर्गीकरण
संघ निमैटोडा या निमैटहेल्मिन्थीज (Nemathelminthes):परिचय एवं परिभाषा,लक्षण,वर्गीकरण|hindi

परिचय एवं परिभाषा (Introduction and Definition)

यह अंगीय स्तर के, द्विपाश्र्वीय (bilateral) एवं प्रोटोस्टोमी यूमेटाजोआ होते हैं जिनमें, देहभित्ति और आहारनाल के बीच, भ्रूण की कोरक अर्थात् ब्लैस्टोसील गुहा से व्युत्पन्न, एक मिथ्या देहगुहा (pseudocoel) होती है। "निमैटोडा" का अर्थ है "सूत्रकृमि (threadworms or roundworms)"। इसकी लगभग 12,000 जातियाँ ज्ञात हैं। 

संक्षिप्त इतिहास (Brief History)
पहले लोग बड़े परजीवी निमैटोड कृमियों से ही परिचित थे। सूक्ष्म निमैटोड्स का ज्ञान सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद हुआ। लिनियस (Linnaeus, 1758) ने इन्हें कृमियों (Vermes) में सम्मिलित किया। रुडोल्फी (Rudolphi, 1793, 1819) ने इन्हें निमैटॉइडिया (Nematoidea) नामक समूह में रखा। फिर गेगेनबॉर (Gegenbaur, 1859) ने वर्ग निमैटहेल्मिन्थीज (Class Nemathelminthes) प्रस्तावित किया।

प्रमुख लक्षण (Important Characters)
  1. इस संघ के कुछ सदस्य हर प्रकार के जल या गीली मिट्टी में पाए जाते हैं जबकि अन्य सदस्य जन्तुओं एवं पादपों के अंदर अन्तः परजीवी के रूप में रहते हैं। 
  2. इस संघ के अधिकांश जीव सूक्ष्म या छोटे होते हैं जबकि कुछ बड़े जीव भी होते हैं जिनकी लंबाई 25 सेमी तक या इससे भी लंबी होती है।
  3. इनका शरीर लम्बा, पतला, सिरों की ओर प्रायः सँकरा, अर्थात् तकुवे की आकृति का तथा खण्डविहीन होता है। 
  4. इनके शरीर की देहभित्ति में बाहरी मोटी, दृढ़ व चमकीला उपचर्म होता है जिसके नीचे, एपीडर्मिस के स्थान पर, बहुकेन्द्रीय (syncytial) हाइपोडर्मिस (hypodermis) तथा भीतर की ओर विशेष प्रकार की अनुलम्ब पेशी कोशिकाओं का, चार चतुर्थांशों (quadrants) में बँटा, पेशी स्तर होता है। 
  5. पाचन तन्त्र में सीधी आहारनाल होती है जिसमें मुख एवं गुदा दोनों अलग-अलग सिरों पर होते हैं।
  6. हिंदी श्वसनांग एवं परिवहन तन्त्र अनुपस्थित होता है तथा उत्सर्जन तन्त्र अत्यधिक सरल होता है। 
  7. इनमें जनन तन्त्र विकसित होता है। नर व मादा दोनों अलग-अलग होते हैं। अर्थात इनमें लैंगिक भेद (sexual dimorphism) होता है।
अनेक प्रकार के निमैटोड्स लाभदायक पादपों एवं पालतू पशुओं के परजीवी होते हैं। ये पोषद को हानि पहुँचा सकते हैं। मनुष्य के शरीर में भी इनकी लगभग 50 जातियाँ पाई जाती हैं। इनमें केंचुआ या ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris lumbricoides तथा चुन्ना (Pinworm) या एन्टीरोबियस वर्मीकुलेरिस (Enterobius vermicularis) अधिक व्यापक होती हैं। इनके अतिरिक्त, फीलपाँव (elephantiasis) अर्थात् फाइलेरिया (Filariasis) रोग का उत्पादक वूचीरेरिया (Wuchereria), ट्राइकिनोसिस रोग (trichinosis disease) का उत्पादक ट्राइकिनेला (Trichinella) तथा अंकुश-कृमि रोग (hookworm disease) का उत्पादक ऐन्काइलोस्टोमा (Ancylostoma), आदि निमैटोड परजीवी मनुष्य में पाए जाते हैं।

निमैटोडा का वर्गीकरण (Classification of Nematoda-
कुछ विशेष प्रकार के संवेदांगों, उत्सर्जी तन्त्र के लक्षणों तथा पुच्छीय ग्रन्थियों (caudal glands) के होने-न-होने पर इस संघ को दो वर्गों में बाँटते हैं-

1. वर्ग फैस्मिडिया या सेसरनेन्टिया (Class Phasmidia or Secernentea) : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं -
  • इनके शरीर के पश्च छोर के पास एक जोड़ी एक एककोशिकीय फैस्मिड्स (phasmids) नामक संवेदांग उपस्थित होते हैं। 
  • इनके अग्र छोर के पास एक जोड़ी ऐम्फिड्स (amphids) नामक संवेदांग उपस्थित रहते हैं।
  • इनके उत्सर्जी तन्त्र में एक जोड़ी पार्श्व नलिकाएँ होती हैं। 
  • इनमें पुच्छीय ग्रन्थियाँ अनुपस्थित होती हैं। उदाहरण- ऐस्कैरिस (Ascaris), एन्टीरोबियस (Enterobius), ऐन्काइलोस्टोमा (Ancylostoma), वूचीरेरिया (Wuchereria)

2. वर्ग ऐफैस्मिडिया या ऐडिनोफोरिया (Aphasmidia or Adenophorea)इस वर्ग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं -
  • इनमें फैस्मिड्स का अभाव होता है 
  • इस वर्ग के जंतुओं में ऐम्फिड्स कुण्डलित या तश्तरीनुमा होते हैं। 
  • इनमें पार्श्वय उत्सर्जी नलिकाओं का अभाव, परन्तु पुच्छीय ग्रन्थियाँ उपस्थित होती हैं। उदाहरण- ट्राइलोबियस (Trilobius), ट्राइकिनेला (Trichinella), कैपिलैरिया (Capillaria)
इस संघ के जंतुओं द्वारा मनुष्यों जंतुओं तथा पौधों में कई संक्रमण फैलते हैं। मनुष्यों में इसके कारण कई बार इनकी मृत्यु भी हो जाती है। यह मुख्यतः कीचड़ या गीली मिट्टी में काम करने वाले लोगों में अधिक पाए जाते हैं क्योंकि यह उनका वास स्थान होता है इसलिए गीली मिट्टी या कीचड़ में कार्य करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।जिसके अंतर्गत काम करने वाले कर्मियों के पैर रबर बूट के द्वाराअच्छी तरह से ढके रहने चाहिए। 





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