ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?


ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं ?

ग्रहण (The Eclipses)
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

छाया तब बनती है, जब स्रोत से आता हुआ प्रकाश किसी और अपारदर्शी वस्तु द्वारा रोका रोक दिया जाता है। हम जमीन अथवा पर्दे पर बनने वाले छायाओं के साथ परिचित हैं। छाया केवल तभी बन सकती हैं जब वे  किसी पृष्ठ पर पड़ती हैं। हमारे सौरमंडल में, सूर्य प्रकाश का स्त्रोत है जबकि पृथ्वी और चंद्रमा अपारदर्शी वस्तुएं हैं। जब कभी सूर्य से आने वाला प्रकाश चंद्रमा, पृथ्वी तथा अन्य किसी तरह द्वारा रोक लिया जाता है, तब अंतरिक्ष में उसकी छाया बनती है। फिर भी हम इन छायाओं को तब तक नहीं देख सकते हैं जब तक कि वह किसी पृष्ठ पर ना बने हैं, इसे ही ग्रहण कहते हैं। सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण आकाश में होने वाली छाया का ही खेल है।

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)
अमावस्या के दिन, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं, तब चंद्रमा के बीच में होने के कारण चंद्रमा की छाया पृथ्वी के किसी भी भाग पर पड़ सकती है। उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए, सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है और पूर्ण सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) देखा जा सकता है। 
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

पूर्ण सूर्यग्रहण के समय, सूर्य की केवल बाहरी लपटें ही देखी जा सकती हैं। कभी-कभी यह प्रच्छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ती इसलिए पृथ्वी पर कहीं से भी इस पूर्ण सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकता है। उपच्छाया के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए, सूर्य ग्रहण केवल आंशिक होता है वह इसलिए होता है क्योंकि सूर्य से आने वाले प्रकाश का केवल कुछ ही भाग चंद्रमा द्वारा रोका जाता है।

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse)
पूर्णिमा के दिन, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया के क्षेत्र में प्रवेश करता है तब चंद्रग्रहण होता है।
जब चंद्रमा प्रच्छाया क्षेत्र में होता है, यह पृथ्वी की छाया द्वारा पूरी तरह ढका रहता है इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

जब चंद्रमा का कुछ भाग प्रच्छाया क्षेत्र में रहता है तथा कुछ भाग उपच्छाया में रहता है तो उसे आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं। जब चंद्रमा उपच्छाया से बिल्कुल बाहर होता है, यह तीव्रता से दीप्त होता है। वलयाकार चंद्र ग्रहण वह होता है जिसमें चंद्रमा की सतह का केवल केंद्रीय भाग ही सूर्य की छाया से ढका रहता है और शेष भाग में एक चमकदार वलय दिखाई देता है। पृथ्वी की छाया की चौड़ाई चंद्रमा के व्यास से लगभग 3 गुना बड़ी होती है अतः वलयाकार का चंद्र ग्रहण कभी भी नहीं देखा जा सकता है।


प्रत्येक अमावस्या अथवा पूर्णिमा के दिन ग्रहण नहीं लगता (Eclipse does not Occur Every New-Moon day or Every Full-Moon Day)-
ग्रहण प्रत्येक अमावस्या अथवा पूर्णिमा के दिन नहीं लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस समतल पर चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा लगाता है, वह पृथ्वी के समतल के समान नहीं होता जिस पर पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा लगाती है।
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

ऊपर चित्र में आप देख सकते हैं कि, दोनों समतल एक दूसरे से किसी कोण पर झुके हुए होते हैं। A स्थिति में, पूर्णिमा का चंद्रमा उस स्थिति पर होता है जहां दोनों समतल एक-दूसरे को काटते हैं और सूर्य, पृथ्वी तथा चंद्रमा सीधी रेखा में होते हैं। अतः इस स्थिति में ग्रहण लगता है। B स्थिति में, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को पृथ्वी की छाया मिल नहीं पाती और ग्रहण नहीं लगता।

ग्रहण देखना (Watching an Eclipse) : चंद्रमा सूर्य की किरणों को परावर्तित करता है अतः चंद्रमा अप्रदीप्त दर्पण की तरह कार्य करता है। इसलिए हम चंद्रमा तथा चंद्रग्रहण को अपनी आंखों से देख सकते हैं। सूर्य प्रकाश का अति तीव्र स्रोत होता है अतः सूर्य को सीधे देखने से आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है और स्थाई रूप से अंधापन भी हो सकता है। इसीलिए सूर्य अथवा सूर्य ग्रहण को कभी भी सीधे नहीं देखना चाहिए।

सूर्य ग्रहण को देखने के लिए निम्न विधियों को अपनाया जा सकता है :

• सूर्य ग्रहण को देखने के लिए गहरे रंग की समतल कांच की शीट का प्रयोग करें। एक समतल कांच की शीट ले (लेंस अथवा वक्र कांच नहीं क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है) और उसे काजल की पतली परत से काला कर दें ताकि उससे केवल सूर्य की सतह ही दिखाई दे। इस कांच की शीट का उपयोग प्रयोग सूर्य-ग्रहण देखने के लिए करें।
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

• सूर्य-ग्रहण को अप्रत्यक्ष देखने के लिए गत्ते के मध्य में एक बारीक छेद बनाएं। इसके प्रयोग से सूर्य का प्रतिबिंब सफेद दीवार पर प्राप्त करें। दीवार पर बने इस प्रतिबिंब से अब आप सूर्य ग्रहण देखें। सूर्य ग्रहण देखने के लिए आप सूक्ष्म छिद्रित कैमरे का प्रयोग भी कर सकते हैं।
ग्रहण किसे कहते हैं?(The Eclipses in hindi):सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण कैसे लगते हैं?

• सूर्य ग्रहण देखने के लिए आप सुरक्षित चश्मों का भी प्रयोग कर सकते हैं, जिन्हें विशेषकर इसीलिए बनाया जाता है कि उनसे ग्रहण देखा जा सके।

26 मई को साल के पहले चंद्र ग्रहण के बाद अब 10 जून को 2021 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 दिन गुरुवार को लगेगा. चंद्र ग्रहण के बाद वर्ष 2021 का ये दूसरा ग्रहण होगा। इस साल कुल 4 ग्रहण पड़ेंगे. 2 चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण होंगे. हाल, ही में वैसाख मास की पूर्णिमा तिथि को भारत के कुछ हिस्सों में आंशिक तौर पर चंद्र ग्रहण देखा  गया था. इसके बाद साल का ये पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। 10 जून 2021 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक तौर पर दिखाई देगा. ये सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम के 6 बजकर 41 मिनट पर पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि लगभग 5 घंटे की रहेगी. ये उत्तर-पूर्वी अमेरिका, यूरोप, एशिया, अटलांटिक महासागर के उत्तरी हिस्से में आंशिक रूप  में दिखाई देगा। यह जानकारी कुछ समाचार पत्रों द्वारा दी गई है। 



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