केंचुए का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of earthworm)|hindi


केंचुए का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of earthworm)

केंचुए का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of earthworm)|hindi


केंचुओं में केवल लैंगिक (sexual) जनन होता है। ये द्विलिंगी (bisexual or hermaphrodite) होते हैं, अर्थात् प्रत्येक केंचुए में नर व मादा, दोनों प्रकार के जननांग होते हैं। दोनों जननांगो का वर्णन इस प्रकार है -

केंचुए का नर जनन तन्त्र (Male Reproductive System of earthworm)

1. केंचुए में नर जनन तन्त्र के अंग 10वें से 21वें खण्डों में फैले होते हैं। 10वें तथा 11वें खण्डों में, आमाशय के अधरतल की ओर, एक-एक बड़े bilobed, थैलीनुमा testis sacs होते हैं। प्रत्येक sacs में इसकी अगली दीवार से दो वृषण (testis) लटके रहते हैं। इस प्रकार, testis की दो जोड़ियाँ होती हैं। 

2. 11 वें तथा 12वें खण्डों में, आमाशय के sides में, एक-एक जोड़ी बड़े थैलीनुमा seminal vesicles होते हैं। 11वें खण्ड के seminal vesicles छोटे होते हैं और इस खण्ड के testis sacs में ही बन्द होते हैं। 

3. प्रत्येक testis sacs एक जोड़ी छोटी नलिकाओं द्वारा अपने खण्डों के पीछे वाले खण्ड में स्थित seminal vesicles में खुलता है। 

4. प्रत्येक testis sacs में, प्रत्येक testis के ठीक पीछे, एक ciliated spermiducal funnel होती है। 

5. प्रत्येक funnel पीछे एक सँकरी तथा भीतर से रोमाभि spermatic duct या vas deferens बनकर अधर देहभित्ति से चिपकी, पीछे की ओर बढ़ती है।

6. पीछे 18वें खण्ड में प्रत्येक ओर की दोनों vas deferens एक prostatic duct के सम्पर्क में आती हैं तथा तीनों नलिकाएँ एक ही मांसल सहआवरण में बन्द होकर एक छोटी व मोटी common male genital duct बना लेती हैं। जो अपनी ओर के नर जनन छिद्र (male genital aperture) द्वारा बाहर खुल जाती है।

केंचुए का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of earthworm)|hindi

seminal vesicles अन्तराखण्डीय पट्टियों से तथा testis sacs देहगुहीय एपिथीलियम से बनते हैं। अतः sacs की भित्ति भ्रूण की mesoderm से बनती है। प्रत्येक वृषण एक शाखान्वित रचना होती है। वृषणों से गोल spermatogonia टूट-टूटकर testis sacs में गिरते हैं और यहाँ से seminal vesicles में पहुँचते हैं। seminal vesicles में spermatogenesis द्वारा पहले इनका maturation होता है और फिर spermateleosis द्वारा इनका पुच्छयुक्त शुक्राणुओं (sperms) में रूपान्तरण होता है।


केंचुए का मादा जनन तन्त्र (Female Reproductive System of earthworm)

1. केवल एक जोड़ी बड़े एवं सफेद अण्डाशय (ovaries) केंचुए के प्रमुख मादा जननांग होते हैं। ये खण्ड 12 व 13 के बीच की अन्तराखण्डीय पट्टी (intersegmental belt) से nerve cord के इधर-उधर, 13वें खण्ड की गुहा में लटके रहते हैं। 

2. वृषणों की तरह ही, प्रत्येक अण्डाशय भी अँगुली के समान का बना होता है। प्रत्येक प्रवर्ध परिपक्वनशील अण्डाणुओं (ova) की एक श्रृंखला होती है। 

3. 13वें खण्ड में प्रत्येक अण्डाशय के ठीक पीछे, एक छोटी-सी ciliated oviducal funnel होती है। यह एक छोटी तथा रोमाभि oviduct बनकर पीछे 14वें खण्ड में पहुँचती है। यहाँ दोनों ओर की अण्डवाहिनियाँ बीच में मिलकर एक ही, मध्यअधर मादा जनन छिद्र (female genital pore) से बाहर खुलती हैं। परिपक्व ova ovaries से मुखिकाओं में गिरकर oviduct द्वारा जनन छिद्र से बाहर निकलते हैं।


केंचुए का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of earthworm)|hindi


शुक्रग्राहिका या स्परमैथीकी (Spermathecae) : मादा जननांगों में, ovaries के अतिरिक्त, चार जोड़ी थैलीनुमा शुक्रधानियाँ होती हैं। ये छठे से नवें खण्ड में, ग्रासनली के ventro-lateral sides में एक-एक होती हैं। प्रत्येक शुक्रग्राहिका फ्लास्कनुमा होती है। इसके प्रमुख चौड़े भाग को ampulla तथा सँकरी ग्रीवा को शुक्रग्राहिका वाहिनी (spermathecal duct) कहते हैं। शुक्रग्राहिका वाहिनी से एक छोटी सी नाल जैसी संरचना निकली रहती है जिसे डाइवर्टीकुलम (diverticulum) कहते हैं। शुक्रग्राहिका वाहिनी आगे वाली खाँच में स्थित शुक्रग्राहिका अर्थात् स्परमैथीकी छिद्र (spermathecal pore) से बाहर खुलती है। जो 5/6, 6/7, 7/8 तथा 8/9 नम्बर की अन्तराखण्डीय खाँचों में होते हैं।



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