कार्बोहाइड्रेट:Introduction,Classification,Function|Hindi


 कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)

सामान्य जानकारी  (General introduction)
कार्बोहाइड्रेट 3 तत्वों से बने यौगिक होते हैं जो है- कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन । जिनमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात जल के समान 2:1 होता है।
Glucose, Fructose, sucrose, starch आदि योगिक कार्बोहाइड्रेट श्रेणी के अंर्तगत आते है। इन कार्बनिक यौगिकों में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात जल की समान 2:1 होने के कारण इन्हें कार्बन का हाइड्रेट (Hydrates of Carbon) माना गया और इन यौगिकों का नाम carbohydrate रखा गया।  कार्बोहाइड्रेट का अणु सूत्र (
CH2O
)n है।  कुछ कार्बोहाइड्रेट जल मेें घुलनशील और कुछ  अघुलनशील होते हैं।

जब कार्बोहाइड्रेट को गर्म किया जाता है तो इनमे से जल उड़ जाता है और कार्बन एक पदार्थ की रुप में शेष रह जाता है। इनके ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती हैं।


कार्बोहाइड्रेट, मोनोसैकेराइड (मुख्यतः Glucose) के रूप मे ऊर्जा उत्पादन के लिए ईंधन का और ग्लाइकोजन के रूप में संचित ईंधन का कार्य करने के अतिरिक्त वसा मे बदलकर 'संचित भोजन' का कार्य करते है। इनका निर्माण पौधों के हरे भागों मे प्रकाश- संश्लेषण क्रिया द्वारा होता है।

कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण  (Classification of Carbohydrate)
कार्बोहाइड्रेट का जल अपघटन (Hydrolysis) करने पर दो या दो से अधिक लघु अणुओं (Monomers) में अपघटित हो जाते हैं।

कार्बोहाइड्रेट के लघु अणु , जैसे glucose व Fructose आदि स्वाद मे मीठे होते हैं इसलिए ये सैकेराइड  कहलाते हैं।

संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट निम्न मुख्य श्रेणियों के विभाजित किये जाते है-

(i) मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides)
(ii) डाइसैकेराइड्स (Disaccharides)
(iii) ट्राईसैकेराइड्स (Trisaccharides)
(iv) ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides)
(v) पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides)



मोनोसैकराइड (Monosaccharides)

ये सरल, जल मे घुलनशील तथा स्वाद में मीठे होते हैं। इनका साधारण सूत्र CH2On हैं। वे मोनोसैकेराइड्स जिनका सूत्र C5H10O5 होता है Pentose तथा जिनका सूत्र C6H12O6 होता है Hexose कहलाते हैं।

इनमें glucose कार्बन संश्लेषण की प्रथम उपज है और यह सभी Chlorophyll वाले पौधों में होता है। Fructose (C6H12O6) फलों में मिलता है और पौधों में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है। अन्य Hexose शर्कराएँ Mannose और Galactose हैं।
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कुछ मोनोसैकेराइड्स


डाइसैकेराइड्स (Disaccharides) 
मोनोसैकेराइड्स के दो अणु ग्लाइकोसिडिक बांड (Glycosidic Bond,C-O-C) द्वारा जुड़कर डाईसैकेराइड्स   का निर्माण करते हैं। प्रमुख डाईसैकेराइड्स है सुक्रोज, माल्टोज तथा  लेक्टोज। सुक्रोज एक डाईसैकेराइड है।

इसका साधारण सूत्र C12H22O11 होता है। 

यह पौधों संग्राहक अंग में अधिक मात्रा मे पाया जाता है। घरेलु उपयोग के लिए सुक्रोज को गन्ने व चुकंदर से प्राप्त करते हैं। इसके जलीय अपघटन से glucose और Fructose के एक-एक अणु बनते हैं।
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सुक्रोज़ का जल अपघटन 




माल्टोज(Maltose) दूसरी डाईसैकेराइड्स (Disaccharides) है जो जलीय अपघटन से glucose के दो अणु बनाती है।
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माल्टोस -एक डाइसैकेराइड 


लेक्टोज दूध मे पाया जाता है। इसके जलीय अपघटन से glucose व गैलेक्टोस बनते हैं।

Monosaccharides तथा Disaccharides स्वाद में मीठे होते है और sugar कहलाते हैं । इनमें Fructose सबसे अधिक मीठा होता है।

 ट्राईसैकेराइड्स (Trisaccharides) 
रैफीनोस(Raffinose) एक ट्राईसैकेराइड्स  है जो पौधों मेें होता है। इसके जलीय अपघटन पर एक-एक अणु Glucose, Fructose तथा Galactose का बनता है|

ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides) 
जल अपघटित करने पर जो कार्बोहाइड्रेट मोनोसैकराइड्स के 4-10 तक अणु देते है, ऑलिगोसैकेराइड्स कहलाते है।  ये स्थायी अवस्था मेें नहीं पाए जाते हैं। इनका निर्माण कार्बोहाइड्रेट उपापचय में अस्थाई रूप से माध्यमिक योगियों (Intermediary or Transient Compound) के रूप में होता है।

पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides) 
जो कार्बोहाइड्रेट जल- अपघटित करने पर मोनोसैकेराइड्स के अणुओं की  एक बड़ी संख्या(10 से अधिक) देती है पॉलिसैकेराइड्स कहलाती है।
पॉलिसैकेराइड्स का सामान्य सूत्र (C6H10O5)n होता है। Starch, Cellulose, Hemicellulose तथा Lignin आदि कुछ पॉलिसैकेराइड्स हैं।

ये स्वाद में मीठे नहीं होते हैं इसलिए इन्हें Nonsugar कहते हैं।
ये अक्रिस्टलीय एवं जल में अविलेय तथा बहुत कम विलेय ठोस पदार्थ होते है।

कुछ मुख्य पॉलिसैकेराइड्स  निम्न हैं-

(a) इनूलिन (Inulin)- यह कुछ पौधों के कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) मेें पाया जाता है। Dahlia की जड़ के Section को Alcohol या Glycerine में डालकर कुछ समय तक रखने पर जड़ की कोशिकाओं में यह पंखों के आकार की रवे बना लेता है। 

(b) मण्ङ (Starch) - यह जल में अघुलनशील होता है। यह संचित भोजन का सबसे अधिक महत्वपूर्ण कण है। मण्ड के कण पौधे के सभी भागों में मिलते हैं, यद्यपि यह पौधों के संग्रह करने वाले भागों बीज, फलों इत्यादि में अधिकतर पाए जाते है। मण्ड दो प्रकार के होती हैं-

1. अस्थायी स्टार्च- ये दिन के समय प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में बनते हें तथा रात्रि में फिर से Sugar में बदल जाते हैं।
2. स्थायी स्टार्च - आवश्कता से अधिक Sugar स्थायी मण्ड में बदल जाती है। यह अधिकतर भूमिगत तनों,जड़ों ,बीजों व फलों में पाया जाता है।

मंड कणों में  
C6H10O5 का बहुलक(Polymer) होता है। अधिकतर मण्ड कण दो संरचनात्मक रूपों में पाए जाते हैं जिनमें एक ऐमीलोस(Amylose) और दूसरा ऐमीलोपेक्टिन(Amylopectin)  कहलाता है।

ऐमीलोस मण्ड कण के केंद्रीय भाग में रहता है और इसके चारों ओर ऐमीलोपेक्टिन का एक घेरा होता है।

मण्ड के जलीय अपघटन, जो कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न Enzymes द्वारा या खनिज अम्लों द्वारा प्रभावित होता है, से glucose बनता है। मण्ड, आयोडीन के घोल में नीला काला रंग देता है।

(c) पेक्टिन  (Pectin)-दो पास की कोशिकाओं को परस्पर बांधने वाली मध्य पटलिका(Middle Lamella), Pectin की बनी होती है। यह जल का अवशोषण सरलता से करती है अतः यह कोशिका की जल सोखने की शक्ति को बढ़ाती है जिस कारण इसका प्रयोग खाने की जेली  तथा मुरब्बे के रूप में किया जाता है। कवकों की कोशिका भित्ति,उप त्वचा(Cuticle) तथा कीटों का बाह्य कंकाल पेक्टिन का बना होता है।

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