गुणसूत्र(Chromosome): परिभाषा, अवस्था, प्रकार, गुणसूत्र गणना|Hindi


गुणसूत्र(Chromosome)

गुणसूत्र(Chromosome): परिभाषा, अवस्था, प्रकार, गुणसूत्र गणना|Hindi

विभाजनान्तराल अवस्था (Interphase)

  • केन्द्रक में उपस्थित केन्द्रक रस के अन्दर Chromatin धागों का एक जाल फैला रेहता है जिसे क्रोमैटिन जालिका कहते है। क्रोमैटिन के कुछ भाग interphase के समय केन्द्रक में गहरा stain और कोशिका विभाजन के समय हल्का stain लेते हैं। इस भाग को Heterochromatin कहते हैं। इस भाग को अनुवांशिक दृष्टि से निष्क्रिय समझा जाता है क्योंकि इसमें DNA से RNA नहीं बनता। 
  • क्रोमेटिन का शेष भाग जो हल्का स्टेन देता है यूक्रोमेटं अन कहलाता है। यह भाग अनुवांशिक दृष्टि से सक्रिय रहता है क्योंकि इसमें डी एन ए आर एन ए का ट्रांसक्रिप्शन होता है। 
  • कोशिका विभाजन के समय कॉमेडियन धागे टूट कर सिकुड़ कर मोटे हो जाते हैं जिन्हें क्रोमोसोम कहते हैं। इनकी औसतन लंबाई 0.5-30 तथा व्यास 0.2-3 होता है।
  • Waldeyer ने सन् 1888 में केन्द्रक में पाई जाने वाली और गहरा stain लेने वाली सूत्री रचनाओं को Chromosome नाम दिया।

DNA packaging का लेबलयुक्त चित्र



मध्यावस्था (Metaphase) 

  • इस समय गुणसूत्र (Chromosome) अधिक साफ दिखाई देता है। प्रत्येक Chromosome में दो अर्ध-गुणसूत्र (Chromonemata) दिखाई देता है। दोनों Chromonemata एक स्थान पर एक दूसरे से गुणसूत्र-बिन्दू (Centromere) के द्वारा जुड़े रहते है। यह गुणसूत्र को दो भागों में विभाजित करता है। यह वह स्थान है जहाँ पर मध्यावस्था के समय कुछ Tractile Fibers जुड़े रहते हैं।
  • मध्यावस्था के अंत में गुणसूत्र बिन्दु दो भागों में विभाजित हो जाता है। अतः मध्यावस्था (Metaphase) में एक गुणसूत्र में दो अर्ध-गुणसूत्र (Chromonemata) होते हैं लेकिन पश्चावस्था में एक गुणसूत्र में केवल एक अर्थ गुणसूत्र होता है।
  • यदि गुणसूत्र मैं गुणसूत्र बिंदु अनुपस्थित होता है तो ऐसे गुणसूत्र को अकेंद्री गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्र लंबे धागे जैसी रचना होती है जिस पर विभिन्न अनिश्चित फासलों पर सूक्ष्म दानों की तरह के उभार  होते हैं  जिन्हें वर्ण कणिकाएं कहते हैं। 
  • गुणसूत्र पर एक विशेष स्थान होता है जिसे केन्द्रिकीय  संगठन कहते हैं इससे इसी भाग से केंद्रिका बनती है। गुणसूत्र के स्वतंत्र सिरे अंतःखंड(Telomere) कहलाते हैं।
  • गुणसूत्र की एक या दोनों भुजाओं में द्वितीयक संकीर्ण भी हो सकता है। इस द्वितीयक संकीर्तन वाले गुणसूत्र का ऊपरी  किनारा फूला होता है जिसे सेटेलाइट कहते हैं।  ऐसे क्रोमोसोम को सैट क्रोमोसोम(SAT Chromosome) कहते हैं। 


गुणसूत्र(Chromosome) के विभिन्न रूप का लेबलयुक्त चित्र
गुणसूत्र के विभिन्न रूप 


गुणसूत्र-बिन्दू (Centromere) की स्थिति के आधार पर गुणसूत्र चार प्रकार के होते हैं -

1. अन्तकेन्द्री (Telocentric)- गुणसूत्र-बिन्दू (Centromere) गुणसूत्र के एक किनारे पर स्थित होता है। 

2. अग्रबिन्दुक (Acrocentric)- गुणसूत्र-बिन्दू (Centromere) गुणसूत्र के किनारे की समीप होता है जिससे गुणसूत्र में एक बहुत छोटा भाग तथा बहुत बड़ा भाग होता हैं। 

Chromosome:Definition,Phases,Types,Chromosome Calculation|Hindi
गुणसूत्र-बिंदु की स्थिति के आधार पर विभिन्न प्रकार के गुणसूत्र A. अग्रबिन्दु ,  B. अंतकेन्द्री ,   C. उप-मध्यकेन्द्री ,  D. मध्यकेन्द्री 


3. उप- मध्यकेंद्री (Sub-Metacentric)- इसमें गुणसूत्र-बिन्दू मध्य भाग के समीप होता हैं जिससे गुणसूत्र के दो भाग बराबर नहीं होते, एक भाग बड़ा होता हैं। ऐसे गुणसूत्र L या J प्रकार के होते हैं। 

4. मध्यकेंद्री (Metacentric)- गुणसूत्र के दो भाग बराबर या लगभग बराबर होते हैं क्योंकि गुणसूत्र-बिन्दू (Centromere) मध्य में स्थित होता है। 

लिंग लक्षण या दूसरे लक्षणों के निर्धारण के आधार पर यूकैरियोटिक कोशिकाओं में गुणसूत्र दो प्रकार के हो सकते हैं-
  1. ऑटोसोम(Autosomes): इसमें 44 क्रोमोसोम्स पाए जाते हैं यह लिंग से निश्चित करने से संबंधित नहीं होते हैं ।
  2. लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosome): यह गुणसूत्र लिंग निर्धारित करते हैं। इसमें दो क्रोमोसोम (X तथा Y) होते हैं। 


• जिस Organism में एक Set Chromosome होता है, उसे Genome कहते हैं। 
• जिसमें एक Genome होता हैं उसे Haploid Chromosome कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं। 
• जिस Organism में दो Genome होते हैं उसे Diploid Chromosome कहते हैं। इसी 2n से प्रदर्शित करते हैं। 
• यदि दो या दो अधिक Genome होते हैं उसे Polyploid Chromosome कहते हैं।इस क्रिया को Polyploid or An euploidy कहते हैं। 
• Polyploid में से एक या दो Chromosome की संख्या घट या बढ़ सकती है। 
• यदि Polyploid में से एक Chromosome कम हो जाए (2n-1),उसे Monosomy कहते हैं और इस क्रिया को Monosomic कहते हैं।
• यदि Polyploid में से एक Chromosome जुड़ जाए (2n+1),उसे Trisomy कहते हैं और इस क्रिया को Trisomic कहते हैं।

गुणसूत्र(Chromosome) संख्या का लेबलयुक्त चित्र

Note*
  1. पौधों में सबसे छोटा क्रोमोसोम कवक या Fungi में होता है। 
  2. पौधों में सबसे बड़ा क्रोमोसोम Trillium (Liliaceae) में होता है।
  3. जंतुओं में सबसे छोटा क्रोमोसोम चिड़िया में होता है। 
  4. पौधों में सबसे कम क्रोमोसोम संख्या Hipplo pappus gracilis (2n-4) होती है।
  5. पौधों में सबसे अधिक क्रोमोसोम फर्न (2n=1260) में पाया जाता है। 
  6. जंतुओं में सबसे कम क्रोमोसोम संख्या एस्केरिस(2n=2) में पाया जाता है। 
  7. जंतुओं में सबसे अधिक क्रोमोसोम संख्या Autocantha(2n=1600) में होती है। 
  8. मोनोकॉट प्लांट में क्रोमोसोम बड़ा होता है अपेक्षाकृत Dicot के।
  9. Algae के क्रोमोसोम fungi  के क्रोमोसोम से बड़े होते हैं। 


गुणसूत्र की गणना का तरीका  (Method of chromosome calculation) 

1. जीनोम(Genome) - जिस Organism में एक Set Chromosome होता है, उसे Genome कहते हैं। उदाहरण यदि एक आवृत्तबीजी पौधे के परागकण में 8 गुणसूत्र है और उसी पेड़ की पत्ती तने या जड़ की कोशिका में 16 गुणसूत्र हैं तो इस पौधे का जीनोम 8 होगा।

2. केरियोटाइप (Karyotype)- गुणसूत्र के समूचे की संपूर्ण आकारिकी को केरियो टाइप कहते हैं। इसके अंतर्गत कई विशेषताएं आती है जो इस प्रकार हैं - गुणसूत्र की संख्या परिमाण गुणसूत्र की कुल लंबाई लंबी तथा छोटी भुजाओं का अनुपात आदि। 

3. इडियोग्राम (Idiogram)-केरियोटाइप का किसी एक पैमाने पर खींचा गया आरेखीय निरूपण इडियोग्राम कहलाता है।मनुष्य में 22 जोड़ी ऑटोसोम के साथ एक जोड़ा लिंग गुणसूत्र का होता है।



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