जीन (Gene)
संतान को अपने जनकों (Parents) से जो गुणसूत्र प्राप्त होते हैं उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंश डीएनए है। इस डीएनए के एक खंड को जिसमें आनुवंशिक कोर्ट कूट निहित होता है, जीव वैज्ञानिक "जीन (Gene)" कहते हैं। वास्तव में यह संसार का सबसे विचित्र रसायन है जिसमें अपने प्रतिकृति उत्पन्न करने की ही नहीं बल्कि जीव धारियों के शरीर में होने वाले अगुणित क्रियाओं को आरंभ और नियंत्रित करने की क्षमता भी होती है। जॉनसन नामक वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम जीन(Gene) शब्द का प्रयोग किया।
कई वैज्ञानिकों ने जीन (Gene) की निम्न परिभाषाएं दी-
1. वंशा गत कारक जो जैविक लक्षण का निर्धारण करता है।
2. जीन वंशागति की प्राथमिक इकाई है ।
3. उस पदार्थ की एक इकाई जो माता पिता से संतति में जाती है।
4. पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रंखला के वे भाग जो एक विशेष लक्षण के व्यस्त होने को नियंत्रित करते हैं।
2. जीन वंशागति की प्राथमिक इकाई है ।
3. उस पदार्थ की एक इकाई जो माता पिता से संतति में जाती है।
4. पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रंखला के वे भाग जो एक विशेष लक्षण के व्यस्त होने को नियंत्रित करते हैं।
अनुवांशिकी विज्ञान की नींव ग्रेगर मेंडल के प्रयोग द्वारा रखी गई। मेंडल की मुख्य खोज थी की अनुवांशिक लक्षण एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं और प्रत्येक एक स्वतंत्र इकाई के रूप में जनक(Parents)से संतान (offspring) में जाते हैं।
मेंडल ने यह सिद्ध किया कि एकसंकर(Hybrid) में ये इकाइयां निकट आ जाती हैं ,लेकिन इनका मिश्रण नहीं होता है। अपितु संकर में इनमें से कोई लक्षण अदृश्य हो जाता है लेकिन अप्रभावी(Recessive) इकाई के रूप में उपस्थित रहता है और बाद की पीढ़ी में फिर से प्रकट हो जाता है।
यद्यपि अधिकतर जींस डीएनए के भाग हैं परंतु कुछ वायरस में यह RNA का भाग होते हैं जैसे रियोवायरस।
जंपिंग जीन(Jumping Gene)
उन्होंने Indian Corn के अनुवांशिक लक्षणों का अध्ययन करते समय यह भी ज्ञात किया कि जंपिंग जींस द्वारा जो अनुवांशिक परिवर्तन होते हैं उससे मक्का के दाने पर कुछ धब्बे पड़ जाते हैं।
मैक क्लिंटॉक ने जंपिंग जींस का आविष्कार बहुत पहले कर लिया था ,लेकिन इस कार्य का महत्व बहुत बाद में समझा गया ।
नए प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि सभी कोशिकाओं में DNA के खंड (Segment) होते हैं जिन्हें ट्रांस्पोजेबल तत्व (Transposable elements) या ट्रांसपोजोन (Transposon) कहते हैं ।यह तत्व अपना स्थान बदल सकते हैं । यह गतिशील अनुवांशिक तत्व प्राकृतिक उत्परिवर्तन(Natural Mutagens) का कार्य करते हैं तथा अनुवांशिक विभिन्नताएं उत्पन्न करते हैं । ट्रांसपोजोन का विकास की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण योगदान है।
सन् 1983 में 81 वर्षीय मैक क्लिंटॉक को इसके लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उत्परिवर्तन तथा उत्परिवर्तन कारकों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि हुई, बाद में जीन की एक नई परिभाषा दी गई जो इस प्रकार है— गुणसूत्र की वह छोटी से छोटी इकाई जिसमें उत्परिवर्तन हो सकता है। यह एक अथवा एक से अधिक न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़ों का बना होता है। इसे म्यूटोन कहा जाता है।
जीन के कार्य को उसके द्वारा नियंत्रित क्रिया के द्वारा ही समझ सकते हैं इसलिए जीन को कार्य-विधि की एक इकाई (A unit of Function) माना गया है– प्रत्येक इकाई एक-एक उत्पाद के लिए उत्तरदाई होती है। इसमें 30,000 तक न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़े हो सकते हैं । इसे सिस्ट्रोन कहा जाता है।
1. DNA के अणु ही शरीर की विभिन्न क्रियाओं को करने के लिए प्रोटीन के अणुओं का संश्लेषण करते हैं। दूसरे शब्दों में वह अन्य रसायनों को "निर्देश" देता है और यह निर्देश जटिल कूट के रूप में होते हैं। DNA के कूटित निर्देशों को राइबोसोमल कणों तक ले जाने का कार्य m-RNA करता है। m-RNA के संदेशों को t-RNA कार्यान्वित करता है।
जीनोम एवं प्लाज्मोन (Genome and Plasmon)संपूर्ण अनुवांशिक पदार्थ दो प्रकार का होता है-
- जीनोम (Genome)- गुणसूत्रों के एक अगुणित समुच्चय (Haploid Set) को Genome कहते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र पर Genes होते हैं।
- प्लाज्मोन (Plasmon)- गुणसूत्र से बाहर स्थित आनुवंशिक पदार्थ को प्लाज्मोन कहते हैं।
रीकोन, म्यूटोन एवं सिस्ट्रोन (Recon,Muton and Cistron)
ड्रोसोफिला पर किए गए मोर्गन(Morgan) के कार्य से जीन की एक नई परिभाषा की उत्पत्ति हुई—जीन गुणसूत्र का वह छोटे से छोटा भाग है जो विनिमय(Crossing over) द्वारा अपने पास के भागों से अलग किया जा सके। यह एक या दो जोड़ें न्यूक्लियोटाइड्स का बना होता है। इसे रीकोन कहते हैं।उत्परिवर्तन तथा उत्परिवर्तन कारकों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि हुई, बाद में जीन की एक नई परिभाषा दी गई जो इस प्रकार है— गुणसूत्र की वह छोटी से छोटी इकाई जिसमें उत्परिवर्तन हो सकता है। यह एक अथवा एक से अधिक न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़ों का बना होता है। इसे म्यूटोन कहा जाता है।
जीन के कार्य को उसके द्वारा नियंत्रित क्रिया के द्वारा ही समझ सकते हैं इसलिए जीन को कार्य-विधि की एक इकाई (A unit of Function) माना गया है– प्रत्येक इकाई एक-एक उत्पाद के लिए उत्तरदाई होती है। इसमें 30,000 तक न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़े हो सकते हैं । इसे सिस्ट्रोन कहा जाता है।
जीन संश्लेषण (Gene Synthesis)
2. t-RNA ,कोशिका द्रव्य में स्थित उन अमीनो अम्ल का चयन करता है जो राइबोसोमल कणों में होने वाले प्रोटीन संश्लेषण में प्रयुक्त होते हैं।
3. अब तक 20 t-RNA की प्राथमिक संरचना ज्ञात कर ली गई है।
4. t-RNA पर "एंटीकोडॉन्स (Anticodons)" होते हैं जो m-RNA के कोडोन (Codon) को ढूंढ लेते हैं और उनसे ताले-चाबी की भांति जुड़ जाते हैं।
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