टेरिडोफाइटा वह वर्ग होता है जिसके अंतर्गत chlorophyll व संवहन ऊतक (vascular tissue) युक्त, cryptogams पौधे आते हैं। इस वर्ग के पौधों का कई महत्व होता है। इनका वर्णन हम नीचे करेंगे-
1. जैव उर्वरक (Biofertilizer) के रूप में– एजोला नामक टेरिडोफाइटा के अन्दर ऐनाबिना ऐजोली (Anabaena azollae) नामक नीली हरी शैवाल वास करती है। यह शैवाल स्वतन्त्र नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है। इस कारण से एजोला को धान आदि के खेतों में उर्वरक (fertilizer) के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह पौधा तालाब की सतह पर अधिक वृद्धि करके मच्छरों के लार्वा को सांस लेने में अवरोध करता है। जिससे यह उनकी वृद्धि में बाधा पहुंचाते हैं और उन्हें बढ़ने से रोकते हैं।
2. सजावट के लिए (Ornamental) – टेरिडोफाइटा वर्ग के अंतर्गत आने वाले फर्न की विभिन्न जातियाँ घरों व बगीचों में सुन्दरता के लिये लगायी जाती हैं। लाइकोपोडियम (ground pines) तथा सैलाजिनेला (spike mosses) का उपयोग अन्दर व बाहर के भूतल को सजाने (ground covers) के रूप में किया जाता है।
3. खाद्य पदार्थ के रूप में (As food)– टेरिडोफाइटा वर्ग के अंतर्गत आने वाले पौधे क्विलर्ट्स (आइसोइट्स – Isoetes) के घनकन्द (corms), मनुष्यों, पालतू व जंगली जन्तुओं द्वारा खाये जाते हैं।
4. मनोरंजन हेतु (For entertainment)— टेरिडोफाइटा वर्ग के अंतर्गत आने वाले पौधे सैलाजिनेला की कुछ मरुद्भिद् जातियों को पुनर्जीवनी पौधे (resurrection plant) कहा जाता है, इन्हें कौतुहल वश बाजार में बेचा जाता है। ये पौधे सूख जाने पर मुड़कर छोटी गेंद (balls) के रूप में हो जाते हैं और पूर्णतया मृत प्रतीत होते हैं। लेकिन पुनः पानी में डाल दिये जाने पर यह पौधे तेजी से पूर्णतया खुलकर हरे हो जाते हैं।
5. जीवाश्म ईंधन (Fossil fuel) –टेरिडोफाइट्स जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जमा होने में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आदि काल में विशाल हार्सटेल्स (giant horsetails), क्लब मौस, आदि दलदली वनस्पति (swampy vegetation) का प्रमुख अंश थे। दलदल धीरे-धीरे डूबने लगे और पौधों के विभिन्न भाग एकत्रित होते गये। पानी में ऑक्सीजन के अभाव में इन पौधों को जीवाणु विघटित (decompose) नहीं कर पायें। इन परिस्थितियों के कारण कालान्तर में कोयले (coal) का निर्माण हुआ।
6. जीव नाशक (Pesticide) के रूप में- टेरिडोफाइटा वरुण के अंतर्गत आने वाले लाइकोपोडियम (Lycopodium) की अनेक जातियाँ नाइट्रोजन युक्त रसायन (alkaloids) बनाती हैं। यह विष का कार्य करता है। अतः लाइकोपोडियम की सूखी पत्तियाँ यूरोपीय देशों में जीव नाशक (pesticides) के रूप में प्रयोग की जाती हैं।
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