ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स - (फर्न) (Male Fern):वर्गीकरण,वासस्थान,संरचना|hindi


ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स - (फर्न) (Dryopteris Filix-Mas = The Male Shield Fern) 

ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स - मैस (फर्न) (Male Fern):वर्गीकरण,वासस्थान,संरचना|hindi

वर्गीकरण (Classification)

जगत् (Kingdom)                  -     पादप (Plantae)
उपजगत् (Subkingdom)      -     एम्ब्रियोफाइटा (Embryophyta)
विभाग (Division)                  -     ट्रेकियोफाइटा (Tracheophyta)
उपविभाग (Subdivision)     -     टेरोप्सिडा (Pteropsida)
वर्ग (Class)                           -     फिलिसिनी (Filicineae)
क्रम ( Order)                        -     फिलिकेल्स (Filicales)
कुल (Family)                       -    पोलीपोडियेसी (Polypodiaceae)
प्रजाति (Genus)                    -    ड्रायोप्टेरिस (Dryopteris)
जाति (Species)                    -     फिलिक्स-मैस (filix-mas)




वासस्थान (Habitat)
फर्न (ड्रायोप्टेरिस) की लगभग 150 जातियाँ (species) ज्ञात हैं। इनमें से 25 जातियाँ भारत में पायी जाती हैं जो उपोष्ण (subtropical) एवं गर्म शीतोष्ण (warm temperate) प्रदेशों में मुख्य रूप से पायी जाती हैं। ये प्रायः नम व छायादार स्थानों पर पायी जाती हैं।


ड्रायोप्टेरिस का बीजाणु-उद्भिद् (Sporophyte)


ड्रायोप्टेरिस की बाह्य आकृति (External Morphology)

ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स - मैस (फर्न) (Male Fern):वर्गीकरण,वासस्थान,संरचना|hindi

1. फर्न (ड्रायोप्टेरिस) का मुख्य पौधा बीजाणु-उद्भिद् (sporophyte) होता है  जोकि जड़, स्तम्भ एवं पत्तियों में विभाजित होता है। 

2. फर्न में स्तम्भ भूमिगत राइजोम होता है जो भूमि में तिरछा उगता है तथा इसका केवल अगला शीर्ष भाग भूमि के बाहर निकला रहता है। 

3. फर्न के राइजोम का पुराना भाग अनेक पर्णाधारों (leaf-bases) द्वारा ढका रहता है तथा इसमें नीचे की ओर अपस्थानिक जड़ें (adventitious roots) निकलती हैं जो जल तथा खनिज पदार्थों को अवशोषित करती हैं। 

4. राइजोम के तरुण भाग कत्थई रंग के रोमों से ढके रहते हैं जिन्हें तनुशल्क (ramenta) कहते हैं। राइजोम के ऊपर की ओर पत्तियाँ उत्पन्न होती हैं जो प्रायः 25 सेमी से एक मीटर तक लम्बी हो सकती हैं। 

5. फर्न की यह पत्तियाँ द्विपिच्छकी संयुक्त (bipinnately compound) होती हैं। प्रत्येक रेकिस (rachis) पर पिच्छकों (pinnae) की दो पंक्तियाँ (rows) होती हैं जो पुनः विभाजित होकर पिच्छिकाएँ (pinnules) बनाती हैं। 

6. रेकिस प्रायः भूरे रंग के बहुकोशीय शल्कों द्वारा ढके रहते हैं। जिन्हें तनुशल्क या रेमेन्टा (ramenta) कहते हैं। 

7. फर्न की पत्तियाँ तरुण अवस्था (young late stage) में कुण्डलित होती हैं और घड़ी की एक कमानी के समान मुड़ी रहती हैं। यह फर्न की विशेषता है तथा इस प्रकार तरुण अवस्था में पत्तियों के कुण्डलनों को कुण्डलित विन्यास (circinate vernation) कहते हैं।


ड्रायोप्टेरिस की आंतरिक संरचना (internal Structure)

आंतरिक संरचना के अंतर्गत जड़ प्रकंद तथा पत्ती की संरचना का वर्णन किया गया है-

जड़ (Root)

ड्रायोप्टेरिस की जड़ की आन्तरिक रचना द्विबीजपत्री पौधों के समान होती है। इसमें बाहर की ओर epiblema अथवा रोमधर स्तर (piliferous layer) होता है। 

इसके नीचे parenchyma कोशाओं का बना outer cortex एवं अन्दर की ओर sclerenchyma कोशाओं द्वारा निर्मित inner cortex होता है। cortex का आन्तरिक स्तर एक कोशा मोटी endodermis बनाता है। इसके नीचे pericycle होती है। 

रम्भ (stele) के केन्द्र में xylem की एक पट्टी होती है जिसके दोनों सिरों पर protoxylem समूह मिलते हैं और मध्य में metaxylem होता है, अर्थात् xylem diarch तथा protoxylem exarch होता है। xylem पट्टी की दोनों lateral सतहों पर phloem समूह होते हैं।

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प्रकन्द (Rhizome)

Rhizome के अनुप्रस्थ आच्छेद (transverse section) में leaf bases की उपस्थिति के कारण यह कहीं उठा और कहीं दबा हुआ दिखलायी देता है। सबसे बाहर की ओर कोशाओं की एक परत की epidermis होती है जिस पर cuticle की परत होती है। epidermis के नीचे sclerenchymatous कोशाओं द्वारा निर्मित hypodermis होती है जिसके नीचे एक parenchymatous कोशाओं द्वारा निर्मित ground tissue होता है। ground tissue में अनेक meristeles पायी जाती हैं जो एक ring में होती हैं तथा फर्न में संवहन तन्त्र बनाती हैं। दो पास की meristeles के बीच के स्थान को leaf gap कहते हैं। प्रत्येक meristeles गोलाकार होती है तथा इसके मध्य में xylem होता है, जोकि चारों ओर से phloem द्वारा घिरा रहता है, अर्थात् प्रत्येक मेरीस्टील में concentric व amphicribral प्रकार का संवहन बण्डल होता है।

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xylem scalariform tracheids तथा wood parenchyma का बना होता है। इसके मध्य में spiral और reticulate वाहिनिकाओं के एक या दो protoxylem स्ट्रैण्ड होते हैं, अर्थात् protoxylem mesarch होता है। xylem में वाहिकाएँ (vessel) अनुपस्थित होती हैं। phloem चालनी-नलिकाओं (sieve tubes) और parenchyma का बना होता है। इसमें सह-कोशाएँ (companion cells) नहीं होती। फ्लोएम के बाहर pericycle व endodermis होती है। इस प्रकार की रम्भ (stele) को dictyostele कहते हैं।

टैरिस (Pteris) के राइजोम में meristele एक अथवा दो घेरों में रहते हैं। बाहरी घेरे के meristele छोटे और संख्या में अधिक होते हैं। इन्हें root traces कहते हैं। परन्तु अन्दर के घेरे में कम meristele होते हैं और यह काफी बड़े होते हैं।



ड्रायोप्टेरिस की पत्ती (Leaf)
ड्रायोप्टेरिस की पत्ती के दो भाग होते हैं-
  1. रेकिस (Rachis),
  2. पर्णफलक (Lamina)

रेकिस (Rachis)–पर्णवृन्त (petiole) की अनुप्रस्थ काट में सबसे बाहर की ओर epidermis होती है जिसके नीचे sclerenchymatous कोशाओं की दो या तीन पंक्तियों की hypodermis होती है। इसके नीचे parenchyma कोशाओं का बना ground tissue होता है। जिसमें तरुण अवस्था में C के आकार का रम्भ (stele) होता है। परिपक्व अवस्था में यह रम्भ (stele) बहुत से संवहन बण्डलों में टूट जाता है। प्रत्येक Meristeles रचना राइजोम के एक Meristele जैसी होती है।

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पर्णफलक (Lamina)
–ड्रायोप्टेरिस के pinna की अनुप्रस्थ काट में Upper व Lower epidermis होती हैं। इनकी कोशाएँ chlorophyll युक्त होती हैं तथा Lower epidermis पर कुछ रन्ध्र भी उपस्थित रहते हैं। दोनों epidermis के मध्य में mesophyll होता है जो palisade तथा spongy ऊतक में पूर्णतया विभाजित नहीं होता है। Upper epidermis के नीचे mesophyll की कोशाएँ वर्गाकार (squarish), पास-पास स्थित होती हैं जो palisade ऊतक का प्रतीक है जबकि mesophyll की नीचे की कोशाएँ अस्त-व्यस्त बिखरी रहती हैं और इनमें अन्तराकोशीय स्थान होते हैं। सभी कोशाएँ chlorophyll
होती हैं। केन्द्र में संवहन बण्डल bicollateral होता है, परन्तु छोटी शिराओं का बहिःफ्लोएमी (collateral) होता है।
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