नर फर्न (ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स) में प्रजनन (Reproduction in ferns) |hindi


नर फर्न (ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स) में प्रजनन (Reproduction in ferns) 
नर फर्न (ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स) में प्रजनन (Reproduction in ferns) |hindi

फर्न  में प्रजनन की निम्नलिखित दो विधियां होती हैं-

(अ) वर्धी जनन (Vegetative reproduction)
(ब) लैंगिक जनन (Sexual reproduction)


कायिक (वर्धी) जनन (Vegetative Reproduction)

यह दो प्रकार से हो सकता है-
  1. अपस्थानिक कलिकाओं द्वारा (By adventitious buds)–प्रायः प्रकन्द (rhizome) पर पत्तियों के कक्ष में अपस्थानिक कलिकाएँ (adventitious buds) होती हैं जो पृथक् होकर नये पौधों को जन्म देती हैं।
  2. प्रकन्द के विखण्डन द्वारा (By fragmentation of rhizome)–वृद्ध प्रकन्द (rhizome) क्षय (decay) होती रहती है। जब यह क्षय प्रकन्द (rhizome) की दो शाखाओं तक पहुँच जाती है तब प्रत्येक शाखा से एक नया पौधा बन जाता है।

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

  1. फर्न का मुख्य पौधा Sporophyte होता है। फर्न में Sporophyte तथा Gametophte दोनों अवस्था में पाए जाते हैं अर्थात फर्न में पीढ़ी एकांतरण पाया जाता है।
    नर फर्न (ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स) में प्रजनन (Reproduction in ferns) |hindi

  2. फोटोफर्न के मुख्य plant Sporophytic होता है इनकी पत्तियों की Mid Vein के दोनों तरफ Lamiena से लगे हुए Sporangium के गुच्छे होते हैं जिसे Sorus कहते हैं। यह पत्तियों की निचली सतह पर स्थित होते हैं।
  3. Sporangium के समूह को Sorus कहते हैं तथा उन पत्तियों पर पाए जाने वाले Spores को Sporophyll कहते हैं। जिन पौधों पर Sporophyll उपस्थित होता है उस पौधे को Sporophyte कहते हैं।
  4. Sori के अंदर बहुत से Sporangia उपस्थित होते हैं। इन Sporangium में Haploid Spores पाए जाते हैं। एक Sporangium में 32-64 Spores पाए जाते हैं।
  5. Haploid Spores का निर्माण Diploid Spores mother cell के द्वारा होता है। इन spore mother cells में  Meiosis devision होता है जिसके द्वारा Haploid Spores  का निर्माण होता है।
Sporangium petiolate होता है। इसके मुख्यतः दो भाग होते हैं-
  • वृन्त (Stalk)
  • सम्पुटिका (Capsule)
Sporangium के Capsule का wall दो layer का बना होता है। अंदर वाली layer को Intine तथा बाहर वाले layer को Extine कहते हैं। इनकी wall के द्वारा जल वाष्प अंदर जाती है जिसके कारण extine wall सिकुड़ जाती है जिससे एक संरचना बन जाती है जिसे Stome कहते हैं। यह Stome धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और इसके अंदर से Haploid Spores बाहर निकल कर बिखर जाते हैं।


युग्मकोद्भिद् ( Gametophyte)

बीजाणुओं का अंकुरण (Germination of Spores)
  1. फर्न में Spores का निर्माण Sporangium में होता है। Spores में अंकुरण नम एवं गरम स्थानों पर होता है। Spores के द्वारा निकलता है यह हरे रंग का होता है क्योंकि इसमें क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है।
  2. Germtube में अनुप्रस्थ विभाजन के द्वारा कई कोशिकाएं बनती हैं। यह कोशिकाएं वृद्धि करके चपटी संरचना बनाती हैं जोकि Heart shape की होती है जिसे Prothallus कहते हैं।

Prothallus क्या होता है?
  1. Prothallus फर्न की Gametophyte अवस्था होती है। यह बहुकोशिकीय होती है तथा इसका shape heart जैसा होता है। इनकी कोशिका में chloroplast उपस्थित होता है जिसके कारण यह आप भोजन स्वयं बनाने में सक्षम होते हैं इसलिए इन्हें Autotrophic कहते हैं।
  2. Prothallus चपटा सा बीच में मोटा तथा किनारे पर पतला होता है।
  3. Prothallus में Antheridium तथा Archegonium उपस्थित होता है। इसके अग्र सिरे के apical notch के पास Archegonium स्थित होता है किन्तु Antheridium अधर तल पर Rhizoids के पास स्थित होता है जोकि गोल सी संरचना दिखती है।
  4. Prothallus के Rhizoids Unicellular तथा Colourless होते हैं। इनमें  Antheridium के द्वारा नर युग्मक Antherozoids बनते हैं। जोकि Multiciliated होते हैं। Archegonium में female gamete Ovum का निर्माण होता है। Archegonium में Neck canal cell और Venter canal cell पाए जाते हैं।

निषेचन (fertilization)
  1. फर्न में fertilization Prothallus के Archegonium मैं होता है। यह नलिकाकार तथा उल्टा होता है।
  2. Antheridium से Antherozoids Cap cell के खुलने से यह बाहर निकल आते हैं और यह Antherozoids Multiciliated होते हैं।
  3. Archegonium के Neck पर पानी पड़ने से Venter canal cell तथा Neck canal cell disolved हो जाती है और Neck खुल जाती है। Neck के द्वारा रासायनिक तरल पदार्थ स्रावित होता है जोकि Antherozoids को आकर्षित करता है।
  4. Antherozoids Neck में प्रवेश करता है तथा egg cell से fuse करके Archegonium में Diploid Zygote का निर्माण करता है।

नर फर्न (ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स) में प्रजनन (Reproduction in ferns) |hindi

फ़र्न में बीजाणु-उद्भिद् का विकास (Development of Sporophyte)

1. Zygote निर्माण के बाद यह तुरंत ही अपने चारों ओर एक मोटी भित्ति का निर्माण कर लेता है। Prothallus में कई archegonium होती हैं तथा एक archegonium Fertilized होती है तथा एक भ्रूण का विकास होता है।

2. Zygote में पहला विभाजन archegonium के Longitudinal axis के समानांतर होता है जिससे दो कोशिकाएँ बनतीं है तथा दूसरा विभाजन पहली भित्ति के समकोण पर बनती है। Zygote की यह चार कोशीय अवस्था Auadrant Stage कहलाती है। इसकी प्रत्येक कोशिका एक अनुप्रस्थ भित्ति द्वारा विभाजित होती है। भ्रूण की यह अवस्था Octant Stage कहलाती है। यह कोशिकाएँ निरंतर विभाजित होकर भ्रूण बनती रहती हैं। इस भ्रूण में तना, बीजपत्र, पाद तथा प्राथमिक जड़े होती हैं।

3. ऐपीबेसल कोशा से तना तथा बीजपत्र विकसित होता है तथा हाइपोबेसल कोशा से पाद (foot) तथा जड़ (root) विकसित होती है। इसका पाद, प्रोथैलस में धँसा रहता है और वहीं से भोजन का अवशोषण करके वृद्धि कर रहे बीजाणु-उद्भिद् (sporophyte) को देता है।

4. Prothallus में प्राथमिक जड़ वृद्धि करके भूमि में चली जाती है तथा बीजपत्र से प्रथम पत्ती के निर्माण होता है। जोकि परिपक्व बीजाणु-उद्भिद् की पत्तियों से पूर्णतया भिन्न होती है। 

5. पत्ती बनते ही तरुण बीजाणु-उद्भिद् स्वपोषी हो जाता है। तथा इसके अक्ष का भाग धीरे-धीरे प्रकन्द में बदल जाता है और इस पर bipinnate पत्तियाँ निकल आती हैं। इसके बाद प्रोथैलस नष्ट हो जाता है और फर्न का नया पौधा बन जाता है।


इन्हें भी पढ़ें -
ड्रायोप्टेरिस फिलिक्स - मैस (फर्न) (Male Fern)
-  टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
-  टेरिडोफाइटा का वर्गीकरण (Classification of Pteridophyta)

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