मॉस = फ्युनेरिया (Moss = Funaria) : वर्गीकरण, संरचना, जनन|in hindi


मॉस = फ्युनेरिया (Moss = Funaria): वर्गीकरण, संरचना, जनन


मॉस (Moss = Funaria) : वर्गीकरण, संरचना, जनन|hindi


वर्गीकरण (Classification)


जगत् (Kingdom)           -       पादप (Plantae)
उपजगत् (Subkingdom) -       एम्ब्रियोफाइटा (Embryophyta)
संघ (Phylum)                 -       ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
वर्ग (Class)                     -       ब्रायोप्सिडा (Bryopsida) अथवा मसाई (Musci)
उपवर्ग (Sub-class)         -        ब्रायेडी (Bryidae)
क्रम ( Order)                  -        फ्यूनेरियेल्स (Funariales)
कुल ( Family)                -        फ्यूनेरियेसी (Funariaceae)
प्रजाति (Genus)              -         फ्यूनेरिया (Funaria) हरी मॉस (Green moss)




मॉस का वासस्थान (Habitat)


फ्यूनेरिया की लगभग 117 जातियाँ (species) ज्ञात हैं जो प्रायः संसार के सभी भागों में पायी जाती हैं। इसकी 15 जातियाँ भारत में भी पायी जाती हैं। भारत में फ्यूनेरिया हाइग्रोमेट्रिका (Funaria hygrometrica) सर्वाधिक पायी जाने वाली जाति है और फ्यूनेरिया फेसीकुलेरिस (F. fascicularis), फ्यूनेरिया आब्ट्यूसा (Fobtusa), फ्यूनेरिया एटीनुआटा (Fattenuata), आदि जातियाँ भी पायी जाती हैं।

ये प्रायः सघन गुच्छों के रूप में पुरानी दीवारों, वृक्षों के तनों, नम भूमि पर, हरे रंग के मखमली आवरण के रूप में मिलती हैं। ये जली हुई भूमि पर अधिक पायी जाती हैं।



मॉस की संरचना (Structure of Moss)

मॉस (Moss = Funaria) : वर्गीकरण, संरचना, जनन|hindi

बाह्य रचना (Morphology)

मॉस का पौधा युग्मकोद्भिद् (gametophyte) होता है।यह दो रूपों में मिलता है -
  1. पुंतन्तु (Protonema)
  2. पत्तियों वाला गैमीटोफोर (Gametophore)
  1. पुंतन्तु (Protonema) - बीजाणु अंकुरण करके पुंतन्तु बनाते हैं। यह महीन धागेनुमा शाखित संरचना होती है। यह हरे रंग का होता है क्योंकि इसमें chloroplast पाया जाता है। इनकी कुछ शाखा भूमि में प्रवेश करके Rhizoids बना लेती हैं तथा कुछ शाखाओं पर सीधी Leafy कलियाँ बनती हैं जो बाद में गैमीटोफोर में विकसित हो जाती हैं। गैमीटोफोर बनाने के पश्चात यह नष्ट हो जाता है।
  2. गैमीटोफोर (Gametophore) - Protonema वृद्धि करने के बाद पत्तियों का एक झुंड सा बना लेता है जिसे गैमीटोफोर (Gametophore) कहते हैं। यह मॉस के पौधे का प्रधान रूप होता है। जो 1 से 3 सेमी तक लंबा होता है। 
इसमें एक मुख्य अक्ष (main axis) होता है। जिनपर छोटी-छोटी हरी 'पत्तियों' की तरह की रचना सर्पिल (spiral) क्रम में लगी रहती हैं। ये 'पत्तियाँ' अक्ष (axis) के अग्र (apex) भाग पर बहुत अधिक होती हैं। 'पत्तियाँ' हरी, छोटी, अण्डाकार, अवृन्त (sessile) तथा सरल होती हैं। प्रत्येक पत्ती के मध्य में एक स्पष्ट mid rib होती है। तने के निचले भाग से बहुत-सी पतली जड़नुमा रचनाएँ निकलती हैं जो पौधे को भूमि में साधे रखती हैं तथा भूमि से जल आदि का अवशोषण करती हैं। इन्हें मूलाभास (rhizoids) कहते हैं। ये रंगहीन, शाखित होते हैं तथा इनमें तिरछे पट (oblique septa) पाये जाते हैं। इनमें नर तथा मादा जननांग एक ही पौधे की अलग अलग शाखाओं पर पाए जाते हैं।

मॉस में जनन (Reproduction in Moss)

इनमें जनन की मुख्य दो विधियाँ होती हैं-
  • वर्धी जनन (Vegetative reproduction)
  • लैंगिक जनन (Sexual reproduction)

वर्धी जनन (Vegetative reproduction) 

वर्धी जनन की निम्न विधियाँ मॉस में पाई जाती हैं-
  1. प्राथमिक पुंतन्तु के विखण्डन द्वारा (By fragmentation of primary protonema) -  जब बीजाणु में होता है तो यह Protonema जैसी संरचना बना लेता है जिसे प्राथमिक पुंतन्तु (primary protonema) कहते हैं। इनके बीच की कोशाओं की मृत्यु हो जाने पर पुंतन्तु में विखण्डन हो जाता है और प्रत्येक खण्ड से नये पौधों का जन्म होता है।
  2. द्वितीयक पुंतन्तु द्वारा (By secondary protonema)— अनुकूल परिस्थितियों में फ्यूनेरिया के पौधे के किसी भी अंग, जैसे तना, पत्ती, मूलाभास की कुछ कोशाएँ एक पुंतन्तु बना लेती हैं। यह द्वितीयक पुंतन्तु कहलाता है। इसके ऊपर भी स्थान-स्थान पर कलियाँ निकलकर नये पौधे को जन्म देती हैं।
  3. पत्र-प्रकलिकाओं द्वारा (By bulbils)— यह मॉस के Rhizoids एवं पत्तियों में गांठनुमा संरचना बना लेती हैं जिसे bulbils कहते हैं। ये विश्राम कलियाँ (resting buds) होती हैं जो अनुकूल स्थिति में नया पौधा बना लेती हैं।
  4. जेमा द्वारा (By gemma) — इस विधि में अक्ष (axis) एवं पत्ती के अग्र भाग पर छोटी-छोटी पर्णयुक्त, बहुकोशीय जेमा उत्पन्न होती हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देती हैं।
  5. अपबीजाणुता (Apospory)— इस विधि से बीजाणु-उद्भिद् के किसी भाग से कुछ कोशाएँ अलग हो जाती और पृथ्वी पर गिरकर पुंतन्तु बना लेती हैं। पुंतन्तु पर कलियाँ उत्पन्न होती हैं जो एक युग्मकोद्भिद् (gametophyte) जैसा थैलस बना लेती हैं। इसकी सभी कोशाओं में द्विगुणित अवस्था (diploid=2n) पायी जाती है। इस प्रकार से एक बीजाणु उद्भिद् बिना बीजाणु की सहायता के एक युग्मकोद्भिद् जैसा पौधा बना लेता है।

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

फ्यूनेरिया में लैंगिक जनन अण्डयुग्मकी (oogamous) प्रकार का होता है। इसमें नर व मादा जननांगों को क्रमशः पुंधानी (antheridium) तथा स्त्रीधानी (archegonium) कहते हैं। फ्यूनेरिया के पौधे उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होते हैं। अर्थात नर तथा मादा भाग एक ही पौधे पर होते हैं इसलिए मॉस का मुख्य पौधा Gametophytic होता है। इसमें नर भाग पौधे के शीर्ष पर पाया जाता है तथा मादा भाग नर के नीचे अलग शाखाओं पर स्थित होती है। मॉस में नर भाग के निर्माण पहले तथा मादा भाग का निर्माण बाद में होता है इसलिए इस पौधे को पुंपूर्वी (Protandrous)  कहते हैं।


पुंधानी (antheridium)

मॉस का नर भाग अर्थात antheridium शीर्ष पर स्थित होता है। यह लाल रंग के गुच्छे जैसा दिखाई देता है क्योंकि antheridium के चारों ओर लाल रंग के निचक्री पत्तियों का झुंड होता है जिसे पेरीगोनियल पत्तियां (Perigonia कहते हैं तथा इन पत्तियों सहित एंथरीडियम के झुंड को पेरीगोनियम (perigonium) कहते हैं। पुंधानियों के बीच-बीच में बहुकोशीय रोम जैसी (hair-like) रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें सहसूत्र (paraphysis) कहते हैं। प्रत्येक paraphysis में अनेक कोशाएँ पंक्तिबद्ध रहती हैं। इनमें ‘ सबसे ऊपरी कोशा फूली होती है। paraphysis का कार्य antheridium की रक्षा करना तथा जल का स्रावण है।


मॉस (Moss = Funaria) : वर्गीकरण, संरचना, जनन|hindi


Funaria की पुंधानी (antheridium) प्राय: 25 मिमी लम्बी होती है। यह लम्बी,club-shaped बहुकोशीय वृन्तयुक्त रचना होती है। इसके बाहर की ओर एक बहुकोशीय चोलक स्तर (jacket layer) होता है जिसके अन्दर बहुत-से द्विकशाभिक पुंमणु (antherozoids) होते हैं। 

Antheridium के jacket layer में हरितलवक (chloroplast) भरे रहते हैं जो पुंधानी के परिपक्व होने पर वर्णीलवक (chromoplast) में बदल जाने से नारंगी रंग के हो जाते हैं। पुंधानी के ऊपर दो कैप कोशाएँ (cap cells) होती हैं। जल अवशोषण करने पर यह कैप कोशाएँ (cap cells) एक लसलसा (mucilaginous) पदार्थ बना लेती हैं और फूल जाती हैं। 

हले इन कोशाओं की अन्दर वाली भित्ति और फिर बाहर वाली भित्ति फट जाती है जिससे पुंधानी के अग्र भाग में एक छिद्र (pore) बन जाता है तथा antherozoids mother cells antheridium के अन्दर से बाहर आ जाती हैं। प्रत्येक mother cells के अन्दर एक पुंमणु विकसित होता है। प्रत्येक पुंमणु, लम्बा, सर्पिलाकार (spiral), द्विकशाभिक (biflagellated) होता है।


स्त्रीधानी (Archegonium)

Archegonium का निर्माण मादा शाखा (female branch) के अग्र भाग पर निचक्री पत्तियों (involucral leaves) के झुण्ड के बीच में होता हैं। ये निचक्री पत्तियाँ लाल रंग की नहीं होती। इन पत्तियों को पेरीचीटियल (perichaetial) पत्तियाँ कहते हैं। इन पत्तियों सहित स्त्रीधानियों के समूह को परिलिंगधानी (perichaetium) कहा जाता है। स्त्रीधानियों के बीच-बीच में बहुकोशीय रोम-सम (hair-like) रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें सहसूत्र (paraphysis) कहते हैं। प्रत्येक paraphysis में अनेक कोशायें पंक्तिबद्ध होती हैं। इनमें ऊपरी कोशा फूली नहीं होती। paraphysis का कार्य स्त्रीधानियों की रक्षा करना है।



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प्रत्येक स्त्रीधानी (archegonium) एक फ्लास्क के समान रचना होती है जिसे दो भागों में बाँटा जाता है-
(a) ग्रीवा (Neck)
(b) अण्डधानी (Venter)
  • ग्रीवा (Neck)—यह लम्बी, वृन्त के समान रचना है। इसके चारों ओर ग्रीवा कोशाओं (neck cells) की छः खड़ी पंक्तियाँ (vertical rows) होती हैं तथा अन्दर छः से अधिक ग्रीवा नलिका कोशाएँ (neck canal cells) होती हैं। neck के शीर्ष पर चार आवरण कोशाएँ (cover cells) होती हैं।
  • अण्डधानी (Venter)—यह नीचे का फूला वाला भाग होता है। इसमें एक अण्डधानी नलिका कोशा (ventral canal cell) तथा एक अण्डाणु (ovum or egg cell) होता है।


मॉस में निषेचन (Fertilization in Moss)

मॉस को निषेचन के लिए जल की आवश्यकता होती है। निषेचन के समय ग्रीवा नलिका कोशाएँ (neck canal cells)अण्डधानी नलिका कोशा (ventral canal cell) फूल जाती हैं और एक म्यूसीलेज पदार्थ बनाती हैं जो जल का अवशोषण (absorption) करता है जिससे दबाव पड़ने के कारण आवरण कोशाएँ (cover cells) एक ओर हट जाती हैं और ग्रीवा खुल जाती हैं। म्यूसीलेज पदार्थ में कुछ शर्करा पदार्थ होते हैं, जो antherozoids को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। 


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स्त्रीधानी में बहुत से पुंमणु (antherozoids) ग्रीवा (neck) द्वारा प्रवेश करते हैं, परन्तु एक पुंमणु अण्डकोशा (egg cell) से संयोजन (fusion) कर युग्मनज (zygote) बनाता है जिसे निषिक्तॉण्ड (oospore) कहते हैं। यह द्विगुणित (diploid=2n) होता है और इससे बीजाणु-उद्भिद् (sporophyte) का विकास होता है।



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