ब्रायोफाइटा (Bryophyte) : परिचय, वासस्थान, संरचना |hindi


ब्रायोफाइटा (Bryophyte) : परिचय, वासस्थान, संरचना
ब्रायोफाइटा (Bryophyte) : परिचय, वासस्थान, संरचना |hindi

ब्रायोफाइटा का परिचय (Introduction)
ब्रायोफाइटा भ्रूण (embryo) बनाने वाले पौधों, एम्ब्रियोफाइटा (embryophyta) का सबसे साधारण व primitive समूह है। इसके अन्तर्गत लगभग 840 वंश (genera) तथा 23,500 जातियाँ (species) आती हैं। ये पौधे प्रायः छोटे होते हैं और सर्वव्यापी हैं। इनमें संवहन ऊतक (vascular tissue) नहीं होता है। इन में उपस्थित नर जननांग को पुंधानी (antheridium) और मादा जननांग को स्त्रीधानी (archegonium) कहते है। ये दोनों अंग बहुकोशीय (multicellular) होते हैं जिनमें चारों ओर एक परत का चोलक (jacket) होता है। बन्ध्य कोशाओं से बनी यह परत इन पौधों में स्थलीय (terrestrial) जीवन के लिए पूर्णरूप से उपयुक्त होते है, क्योंकि ऐसा न होने से जननांगों के जल का वाष्पीकरण होने लगता है जिससे उनकी मृत्यु की सम्भावना हो जाती है। ये पौधे स्थलीय (terrestrial) होने के साथ ही छायादार स्थानों पर उगते हैं और इन्हें अपने जीवन में पर्याप्त आर्द्रता (humidity) की तथा निषेचन के लिये जल आवश्यक है। अतः कुछ वैज्ञानिक ब्रायोफाइटा समुदाय को वनस्पति जगत् के एम्फीबिया (Amphibians of Plant Kingdom) भी कहते हैं। ये पौधे थैलोफाइटा (Thallophyta) से अधिक विकसित होते हैं। प्रोफेसर एस० आर० कश्यप (S.R. Kashyap) को भारतीय ब्रायोफाइटा विज्ञान का जनक (Father of Indian Bryology) कहा जाता है।

ब्रायोफाइटा का वासस्थान (Habitat)
ब्रायोफाइटा के अधिकतर पौधे स्थलीय (terrestrial) होते हैं, परन्तु इसकी कुछ जातियाँ जल में भी पायी जाती हैं, जैसे रिक्सिया फ्लूटान्स (Riccia fluitans)। ये प्रायः छायादार व नम स्थानों व नम दीवारों, नम भूमि, लकड़ी के लट्ठों, नदी व तालाब के किनारे के पेड़ों, तनों तथा नम चट्टानों पर पाये जाते हैं।
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ब्रायोफाइटा की संरचना (Structure)
इनका मुख्य पौधा युग्मकोद्भिद् (gametophyte) होता है। यह हरे रंग का सूकाय (thallus) होता है, जैसे रिक्सिया (Riccia), मार्केन्शिया (Marchantia) अथवा यह 'मूलांग', 'पत्ती' एवं 'तने' में विभाजित रहता है, जैसे मौस (Moss)। पौधे एक या बहुकोशीय मूलाभासों (rhizoids) द्वारा अधोस्तर (underlay) पर स्थिर रहते हैं जो इसे भूमि से जल तथा खनिज लवण शोषण करने में सहायता प्रदान करते हैं। इन पौधों में ऊतक तन्त्र कम विकसित होता है तथा केवल मृदूतक कोशायें पायी जाती हैं। इनमें संवहन ऊतक (vascular tissue) अनुपस्थित होता है। इस वर्ग के सदस्य आकार में छोटे होते हैं। इनकी लम्बाई कुछ मिलीमीटर से लेकर कुछ सेन्टीमीटर तक होती है। इस वर्ग का सबसे बड़ा पौधा डाउसौनिया (Dawsonia) लगभग 40-50 सेन्टीमीटर तक लम्बा होता है। जूप्सिस आर्जेन्टेटा (Zoopsis argentata) इस वर्ग का सबसे छोटा पौधा है।

युग्मकोद्भिद् (gametophyte) के मूलाभासों को छोड़कर शेष भाग में हरितलवक (chloroplast) होते हैं जिसके कारण ये आत्मपोषी (autotrophs) होते हैं। अपवाद स्वरूप कुछ ब्रायोफाइट्स मृतोपजीवी भी होते हैं, जैसे बक्सबौमिया एफिल्ला (Buxbaumia aphylla) तथा क्रिप्टोथैलस मिरॉबिलिस (Cryptothallus mirabilis)।





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