ऊष्मीय ऊर्जा (ऊष्मा) (Thermal Energy) : परिभाषा, मात्रक|hindi


ऊष्मीय ऊर्जा (ऊष्मा) क्या होती है? (Thermal Energy) : परिभाषा, मात्रक तथा मात्रा 
ऊष्मीय ऊर्जा (ऊष्मा) (Thermal Energy) : परिभाषा, मात्रक|hindi

उष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का ही ए‍क रूप होती है। अर्थात् जब किसी निकाय तथा उसके चारो ओर के परिवेश के मध्‍य जब उनके तापमान मे अन्‍तर हेाता है तो उनकी ऊर्जा का आदान-प्रदान हेाने लगता हैजोकि उष्‍मा के रूप में होता है। उष्‍मा वह भोतिक राशि है जो किसी वस्‍तु के ठण्‍डे हेाने अथवा गर्म हेाने का बोध कराती है।

वस्तु की इस उष्मा को निकालने के लिए कई मात्रकों का प्रयोग किया जाता है। जिस प्रकार लम्बाई, आयतन, द्रव्यमान, इत्यादि भौतिक राशियों को नापने के लिए मात्रकों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार ऊष्मा की मात्रा अर्थात ऊष्मीय ऊर्जा को नापने के लिये भी मात्रक की आवश्यकता होती है। ऊष्मीय ऊर्जा की मात्रा नापने का मात्रक कैलोरी' (calorie) है। 1 ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिये जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कैलोरी कहते हैं।

कई प्रयोगों द्वारा यह देखा गया है कि जल प्रत्येक 1°C (जैसे 10°C से 11°C अथवा 80°C से 81°C) ताप बढ़ाने पर बराबर ऊष्मा नहीं लेता। अतः वैज्ञानिकों ने यह तय किया कि 1 ग्राम जल का ताप 14.5°C से 15.5° C तक बढ़ाने के लिये जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कैलोरी कहते हैं। इसे 'अन्तर्राष्ट्रीय कैलोरी' अथवा 15°C-कैलोरी भी कहते हैं ।

ऊष्मा को 'किलोकैलोरी' में भी व्यक्त कर सकते हैं। किलोग्राम जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिये जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे 1 किलोकैलोरी कहते हैं।

              1 किलोकैलोरी = 1000 कैलोरी

चूँकि ऊष्मा ऊर्जा का ही एक रूप है, अतः एस० आई० प्रणाली में ऊष्मा को ऊर्जा के मात्रक 'जूल' (joule) में व्यक्त करते हैं। सर्वप्रथम डॉ० जूल (Joule) ने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया कि 4.2 जूल ऊर्जा 1 कैलोरी ऊष्मा के तुल्य है

इस प्रकार,
             1 कैलोरी = 4.2 जूल
             1 किलोकैलोरी = 4.18 
× 10³ जूल ≃ 4.2 × 10³ जूल



ऊष्मा की मात्रा (Quantity of Heat)

यदि दो ऐसी वस्तुओं को संपर्क में रखा जाए जिनके ताप भिन्न-भिन्न हो तो उस स्थिति में ऊष्मा ऊँचे ताप वाली वस्तु से नीचे ताप वाली वस्तु में जाने लगती है और यह प्रक्रिया तब तक होती है जब तक कि दोनों वस्तुओं के ताप समान नहीं हो जाते है। इस प्रकार विभिन्न तापों वाली वस्तुओं को जब परस्पर सम्पर्क में रखा जाता है तो उनमें ऊष्मा का आदान-प्रदान होता है।
किसी वस्तु द्वारा ली गई अथवा दी गई ऊष्मा की मात्रा तीन बातों पर निर्भर करती है :
(1) वस्तु के द्रव्यमान पर
(2) वस्तु के ताप में होने वाली वृद्धि अथवा कमी पर
(3) वस्तु के पदार्थ पर

इन बातों का ध्यान रखकर हम कसी भी वस्तु की ऊष्मा की मात्रा निकाल सकते हैं। 

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