महावर्ग पिसीज (मत्स्य – Superclass Pisces) : वर्गीकरण, लक्षण|hindi


महावर्ग पिसीज (मत्स्य – Superclass Pisces) : वर्गीकरण, लक्षण 
महावर्ग पिसीज (मत्स्य – Superclass Pisces) : वर्गीकरण, लक्षण|hindi

इस महा वर्ग के अंतर्गत वास्तविक मछलियाँ या मीन (fishes) आती है। इसकी लगभग 33,000 जातियाँ ज्ञात है। इस महावर्ग के अंतर्गत आने वाली मछलियों के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. इसके अंतर्गत आने वाली सभी मछलियां जलीय होती हैं। 
  2. इन जीवो में गमन (जल में तैरने) की सुविधा के लिए शरीर धारारेखित (streamlined) और पैरों के स्थान पर जोड़ीदार तथा अन्य पखने (fins) उपस्थित रहते हैं। 
  3. इन जीवो में श्वसन क्लोमों (gills) द्वारा होता है। इनका हृदय द्विकक्षीय होता है जिसमें केवल अशुद्ध रुधिर आता है जो शुद्धिकरण के लिए क्लोमों में जाकर वहाँ से सीधे विभिन्न अंगों में चला जाता है। 
  4. इनमें बाह्यकर्णों (external ear) का अभाव होता है। 
  5. इनकी त्वचा पर प्रायः शल्क (scales ) उपस्थित रहती है।
  6. इनमें श्वसन के लिए नासावेश्म (nasopharynx) उपस्थित रहते है तथा अन्तःनासाद्वार नहीं होता है। भारत के मुम्बई शहर में विभिन्न प्रकार की मछलियों का विशाल जलपात्र संग्रहालय (aquarium) है। जहां पर विभिन्न प्रकार की मछलियों को देखा जा सकता है।

मछलियों की शल्कों की किस्मों, कशेरुकदण्ड के विकास तथा अन्तःकंकाल की दशा के आधार पर इस महावर्ग को तीन वर्गों में बाँटा गया है-
  1. वर्ग प्लैकोडर्माई (Class Placodermi)
  2. वर्ग कॉण्ड्रिक्थीज (Class Chondrichthyes)
  3. वर्ग ओस्टाइक्थीज या टीलिओस्टोमाई (Class Osteichthyes or Teleostomi)

1. वर्ग प्लैकोडर्माई (Class Placodermi) : इस वर्ग के अंतर्गत सबसे पहली, अलवणजलीय प्राचीनकालीन (डिवोनियन से परमियन कल्प तक की) विलुप्त (extinct) मछलियाँ आती है। इन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-
  • इनके शरीर पर अस्थिल शल्कों (bony scales) का रक्षात्मक कवच (armour) होता है। 
  • इनके जबड़े एवं दाँत कम विकसित होते हैं। 
  • इन मछलियों के पखनों (wings) में बड़े-बड़े काँटें लगे रहते हैं।
  • इनका कंकाल अस्थिल (asthenic) होता है। उदाहरण—कॉक्सोस्टियस (Coccosteus)।

(2) वर्ग कॉण्ड्रिक्थीज (Class Chondrichthyes) : इस वर्ग के अंतर्गत उपास्थीय (cartilaginous) मछलियाँ आती है। इन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-
  • इसके अंतर्गत आने वाली मछलियां अधिकांश समुद्री होती है।
  • इनका अन्तःकंकाल उपास्थि का बना होता है तथा नोटोकॉर्ड प्रायः वयस्क में भी उपस्थित रहता है। 
  • इसकी त्वचा की शल्कें सूक्ष्म दाँत सदृश दन्ताभ अर्थात् प्लैकॉएड शल्कों (placoid scales) द्वारा ढकी रहती हैं। 
  • क्लोम चापों (gill arches) एवं क्लोम दरारों (gill clefts) की प्रायः पाँच से सात जोड़ियाँ होती हैं, परन्तु क्लोमढापन (operculum) अनुपस्थित रहता है।
  • इनमें वायु आशय (air bladder) या फेफड़े अनुपस्थित रहते हैं।
  • इनके शरीर में प्रायः दो बाह्य नासाद्वार होते हैं तथा अन्तःनासाद्वार नहीं होता है। 
  • इनका मुखद्वार सिर के अधरतल पर होता है तथा जबड़े दाँतयुक्त होते हैं।
  • इनकी आँत में प्रायः एक सर्पिल कपाट (spiral or scroll valve) उपस्थित होता है।
  • यह जीव एकलिंगी होते हैं। संसेचन मादा के शरीर में होता है। मादाएँ अण्डज (oviparous) या अण्डजरायुज (ovoviviparous) होती हैं – अण्डों से निकले अपरिपक्व शिशु तुरन्त मादा के शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इन में डिम्भक प्रावस्था नहीं होती है।
  • उदाहरण–शार्क (sharks) मछलियाँ जैसे डॉगफिश या स्कोलिओडॉन (Dogfish or Scoliodon)। रे (ray) मछलियाँ जैसे टॉरपीडो (Torpedo), काइमेरा (Chimaera), आदि।

3. वर्ग ओस्टाइक्थीज या टीलिओस्टोमाई (Class Osteichthyes or Teleostomi) : इस वर्ग के अंतर्गत सबसे अधिक विकसित तथा अस्थिल मछलियाँ आती है। इन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  • यह मछलियां सभी प्रकार के जल में पाई जाती हैं।
  • इनका अन्तःकंकाल मुख्यतः अस्थि का बना होता है। 
  • इनकी त्वचा की शल्कें साइक्लॉइड (cycloid), टीनॉएड (ctenoid) या गैनॉएड (ganoid) होती हैं। 
  • इसके सिर के छोर पर मुखद्वार होता है जिसमें दाँत व जबड़े उपस्थित रहते हैं। इसके शरीर के पृष्ठतल पर बाह्य नासाद्वार होता है लेकिन कुछ में अन्तः नासाद्वार भी होता है। 
  • इनके शरीर पर जोड़ीदार व अन्य पखने होते हैं तथा इनमें उपास्थि या अस्थि का अन्तःकंकाल होता है। 
  • क्लोमढापन (operculum) से ढकी क्लोम दरारें। 
  • इनमें वायु आशय (air or swim bladder) या फेफड़े प्रायः उपस्थित रहते है। इनका प्रमुख कार्य द्रव्यस्थैतिक अंगों (hydrostatic organs) के रूप में होता है।
  • यह मछलियां एकलिंगी होती है तथा इनमें जनद जोड़ीदार के रूप में पाए जाते हैं। मादाएँ अण्डयुज, अण्डजरायुज या जरायुज (viviparous— विकसित शिशुओं को जन्म देने वाली) होती है। उदाहरण- -रोहू अर्थात् लेबियो (Labeo), अश्वमीन या समुद्री घोड़ा (sea horse) अर्थात् हिप्पोकैम्पस (Hippocampus), ऐसिपेन्सर (Acipenser), फुफ्फुस मछलियाँ जैसे प्रोटोप्टेरस (Protopterus), उड़न मछली (flying fish-Exocoetus)
इस महा वर्ग के अंतर्गत कई प्रकार की मछलियां आती है जिनमें से कुछ का वर्णन आप नीचे पढ़ सकते हैं।

कुछ सामान्य मछलियां- एक उपास्थिल मीन-स्कोलिओडॉन (Scoliodon), एक अस्थिलमीन– रोहू अर्थात् लेबियो (Labeo), समुद्री घोड़ा (अश्वमीन – हिप्पोकैम्पस (Hippocampus)
 



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