एक उपास्थिल मीन या स्कोलिओडॉन (डॉगफिश) (Scoliodon) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


एक उपास्थिल मीन या स्कोलिओडॉन (डॉगफिश) (Scoliodon) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन
एक उपास्थिल मीन या स्कोलिओडॉन (डॉगफिश) (Scoliodon) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

एक उपास्थिल मीन या स्कोलिओडॉन (Scoliodon)
यह भारतीय एवं अन्य समुद्रों की सामान्य डॉगफिश शार्क (dogfish shark) होती है। यह भौगोलिक रूप से मुख्यतः सभी देशों में फैली रहती है। कई देशों में इसका खाद्य  मूल्य भी है। इससे संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे।

वर्गीकरण (Classification)

जगत (Kingdom)              -          जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)                 -          यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division)               -         बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision)    -          ड्यूटरोस्टोमिया  (Deuterostomia)
खण्ड (Section)                 -          यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)                   -          कॉर्डेटा  (Chordata)
उपसंघ (Subphylum)        -          वर्टीब्रैटा (Vertebrata)
समूह (Group)                   -          नैथोस्टोमैटा (Gnatho-stomata)
महावर्ग (Superclass)         -           पिसीज (Pisces)
वर्ग (Class)                        -          कॉन्ड्रिक्थीज (Chondrichthyes)
उपवर्ग (Subclass)             -           इलैस्मोग्रैन्काइ (Elasmobranchii)
गण (Order)                      -           स्क्वैलीफॉर्मिस (Squaliformes)

एक उपास्थिल मीन या स्कोलिओडॉन (डॉगफिश) (Scoliodon) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

लक्षण (Characteristic)
स्कोलिओडॉन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-
  1. इसका शरीर लगभग 30 से 60 सेमी तक लम्बा पृष्ठतल पर भूरा-सा और अधरतल पर सफेद-सा होता है। इसके शरीर के पार्श्वों में कुछ चपटा तथा तर्कुरूपी अर्थात् धारारेखित (streamlined) होता है। जो इनके जल में तैरने के लिए उपयुक्त होता है।
  2. इसका सिर पृष्ठ एवं अधर तलों पर चपटा सा होता है तथा आगे नुकीली तुण्ड अधरतलीय, चौड़ा व अर्धवृत्ताकार-सा मुख होता है जिसमें जबड़े दन्तयुक्त होते हैं। इसके मुख के पार्श्वों में एक-एक बाह्य नासाद्वार जो केवल घ्राण संवेदांगों का कार्य करते हैं।
  3. इसके सिर के पार्श्वों में एक-एक बड़ी पलकयुक्त आँखें होती हैं तथा इनके ठीक पीछे जल-क्लोमों से सम्बन्धित पाँच-पाँच क्लोम दरारें (gill slits) होती है।
  4. स्कोलिओडॉन में तैरने के लिए, दो जोड़ी पार्श्व पखने—आगे अंस पखने (pectoral fins) तथा पीछे श्रोणि पखने (pelvic fins), एक मध्यअधर पखना, दो मध्यपृष्ठ पखने तथा एक पुच्छ (caudal) पखना होता है।
  5. नर स्कोलिओडॉन में श्रोणि पखनों से जुड़े एक जोड़ी मैथुन अंग अर्थात् आलिंगक (claspers) होते हैं।
  6. इसकी पूरी त्वचा पर छोटी-छोटी प्लैकॉएड शल्कों (placoid scales) का आवरण होता है जिसके कारण इनका शरीर खुरदरी होता है।
  7. इनका अन्तःकंकाल पूरा उपास्थि (cartilage) का बना होता है।
  8. इनमें breeding अन्तःसंसेचन(Inbreeding) होती है तथा भ्रूणीय परिवर्धन मादा के गर्भाशय में होता है।
  9. इन भ्रूणों का पोषण पीत-पुटक आँवलों (yolk-sac placenta) द्वारा होता है। अतः मादाएँ बच्चे देती हैं, अर्थात् हम कह सकते हैं कि यह मछलियां पिण्डज (viviparous) होती हैं।
  10. शार्क का कई देशों में खाद्य मूल्य है। इसकी सूखी त्वचा को शाग्रीन कहा जाता है जिसका उपयोग फर्नीचर और धातु आदि पॉलिश करने के लिए किया जाता है। 
  11. इसका उपयोग प्रयोगशालाओं में अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इनका अध्ययन विच्छेदन (dissectons) करके किया जाता है।
  12. स्कोलियोडॉन का वितरण व्यापक रूप से भौगोलिक होता है। यह ज़ांज़ीबार से श्रीलंका और श्रीलंका से हिंद महासागर में मलय द्वीपसमूह तक बंगाल की खाड़ी, ईस्ट इंडीज और फिलीपीन द्वीप समूह से, मेक्सिको से पनामा तक पूर्वी प्रशांत में, लैब्राडोर से ब्राजील तक अटलांटिक में दर्ज किया गया है। वेस्ट इंडीज में क्यूबा से और दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट से भी इनको देखा गया है।



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