कुल- लेग्युमिनोसी (Family - Leguminosae) : लक्षण, उदाहरण, आर्थिक महत्त्व|hindi


कुल- लेग्युमिनोसी (Family - Leguminosae) : लक्षण, उदाहरण, आर्थिक महत्त्व
कुल- लेग्युमिनोसी (Family - Leguminosae) : लक्षण, उदाहरण, आर्थिक महत्त्व|hindi

लेग्युमिनोसी कुल के पौधों के प्रमुख लक्षणों का वर्णन तथा इनके उपकुलों का वर्णन इस प्रकार है -
  1. स्वभाव (Habit)– इस कुल के वृक्ष एकवर्षीय या बहुवर्षीय शाक, झाड़ी या वृक्ष होते हैं।
  2. मूल (Root) - मूसला जड़।
  3. स्तम्भ (Stem) –सर्पी या सीधे, मजबूत तथा कमजोर दोनों प्रकार के तने मिलते हैं।
  4. पत्ती (Leaf)–एकान्तर या भ्रमिक, अनुपत्रीय जो कभी-कभी संजनियों (tendrils) में बदल जाती हैं। संवेदनशील, सवृन्त, सरल या प्रायः संयुक्त, जालिकावत् शिराविन्यास।
पुष्पक्रम तथा पुष्प के लक्षणों के आधार पर इस कुल को तीन उपकुलों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार हैं-

कुल- लेग्युमिनोसी (Family - Leguminosae) : लक्षण, उदाहरण, आर्थिक महत्त्व|hindi


उपकुल-पेपिलियोनेटी (फेबेसी) (Subfamily – Papilionatae = Fabaceae)
  1. पुष्पक्रम (Inflorescence)– असीमाक्षी (Racemose) या एकल कक्षीय (solitary axillary)।
  2. पुष्प (Flower) - सहपत्री (bracteate), सवृन्त, द्विलिंगी, पूर्ण, एकव्याससममित (zygomorphic), अधोजाय (hypogynous)।
  3. बाह्यदलपुंज (Calyx) - 5 बाह्यदल, आधार भाग से संलग्न, कोरस्पर्शी (valvate) अथवा कोरछादी विन्यास (imbricate aestivation) |
  4. दलपुंज (Corolla) –5 दल, पृथक्दली, आगस्तिक (papilionaceous) अवरोही, descending imbricate aestivation, posterior दल standard या वैक्सीलम (vexillum) बड़ा तथा दो पार्श्व (lateral) छोटे होते हैं जिन्हें पक्षक (wings) या ऐली (alae) कहते हैं। दो अग्र (anterior) दल जो एक-दूसरे से जुड़े रहने के कारण एक नौकाकार (boat shaped) रचना बनाते हैं और सबसे छोटे हैं कील या केरिना (keel or carina) कहलाते हैं। ये सब मिलकर पुष्प को एकव्याससममित (zygomorphic) बना देते हैं।
  5. पुमंग (Androecium) – 10 पुंकेसर, द्विसंलाग (diadelphous), नौ पुंकेसरों के पुंतन्तु परस्पर युक्त अग्र छोर (anterior side) पर रहते हैं तथा एक पुंकेसर पश्च (posterior) भाग की ओर स्वतन्त्र रहता है, परागकोश द्विकोष्ठीय, पृष्ठलग्न (dorsifixed), अन्तर्मुखी (introrse)।
  6. जायांग (Gynoecium) - एकाण्डपी, एककोष्ठीय, उत्तरवर्ती, वर्तिका मुड़ी हुई, वर्तिकाग्र साधारण, marginal placentation।

फल (Fruit)–फली (legume)।

पुष्पसूत्र (Floral formula)–Br % ⚥ K(5) C1+2+(2) A1+(9) G1



वर्गीकृत स्थान (Systematic Position)

विभाग (Division) - फैनेरोगेमिया (Phanerogamia)
उपविभाग (Subdivision) - एन्जियोस्पर्मी (Angiospermae)
वर्ग (Class) - डाइकोटिलीडनी (Dicotyledonae)
उपवर्ग (Subclass) - पोलीपेटेली (Polypetalae)
श्रेणी (Series) - कैलाइसीफ्लोरी (Calyciflorae)
गण ( Order) - रोजेल्स (Rosales)
कुल (Family) - लेग्युमिनोसी (Leguminosae)



आर्थिक महत्त्व (Economic Importance)
आर्थिक महत्त्व की दृष्टि से पेपिलियोनेटी उपकुल के पौधों को निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है—

(क) भोजन के काम आने वाले पौधे

  1. विभिन्न प्रकार की दालें - अनेक प्रकार की दालें इसी उपकुल के पौधों की देन हैं, जैसे–मटर (Pisum sativum), चना (Cicer arietinum), लोबिया (Vigna sinensis), अरहर (Cajanus cajan), मसूर (Lens esculenta), मूँग (Phaseolus aureus), उरद (Phaseolus mungo) । दालों में प्रोटीन्स (proteins) की मात्रा अधिक होती है।
  2. सेम (Dolichos lablab), लोबिया (Vigna sinensis) तथा मटर (Pisum sativum) की फलियों को शाक के रूप में प्रयोग किया जाता है। मेथी (Trigonella) की पत्तियों का साग खाया जाता है।
  3. मूँगफली (Arachis hypogea) की गिरी (भ्रूण) से वनस्पति घी (vegetable ghee) बनाया जाता है और उसके शेष भाग को खली के रूप में मवेशियों के खाने में प्रयोग किया जाता है। सोयाबीन (Glycine soja) से विशेष प्रकार का दूध निकाला जाता है जिसमें प्रोटीन्स (proteins) की मात्रा अधिक होती है। इसके बीजों से खाद्य तेल भी तैयार किया जाता है।

(ख) औषधि प्रदान करने वाले पौधे
  1. अपराजित (Clitoria ternata)—पत्ती तथा पुष्प साँप के काटे जाने पर दवाई के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
  2. सालपान (Desmodium gangetium)– जड़ों को डायरिया, खाँसी, वमन, दमा, बिच्छू तथा सर्पदंश के काम में लाते हैं।

(ग) रेशे (fibres) प्रदान करने वाले पौधे
सनई (Crotolaria juncea = Sunn hemp)– रेशे प्रदान करने के साथ-साथ यह हरी खाद बनाने के काम भी आती है।

(घ) बगीचों में सजावट के लिये लगाये जाने वाले पौधे
अगस्त (Sesbania grandiflora), टेसू (Butea monosperma), मीठी-मटर (Lathyrus odoratus)।
(ङ) रंग–नील, Indigofera tinctoria के पौधे से निकलता है। ढाक के फूलों से नारंगी-पीला रंग और पांगर (Erythrina variegata) के पुष्पों से लाल रंग निकलता है। लाल चन्दन (red sandal wood, Pterocarpus santalinus) का प्रयोग चमड़ा, कपड़ा तथा लकड़ी रंगने में किया जाता है।
(च) लकड़ी (Timber) शीशम (Dalbergia sissoo) की लकड़ी फर्नीचर बनाने के काम आती है।
(छ) मसाले–मेथी (Trigonella foenum graecum) मसाले में प्रयोग की जाती है।

(ज) अन्य व्यावसायिक वस्तुएँ
ढाक की टहनियों पर लाख के कीड़े पाले जाते हैं। एस्काइनोमीन इण्डिका (Aeschynomene indica) का प्रयोग सोला हैट बनाने में किया जाता है।





उपकुल- सिजैलपिनोइडी (Subfamily - CAESALPINIOIDEAE)
  1. पुष्पक्रम (Inflorescence)—असीमाक्ष (raceme), पुष्पछत्र (umbel) या एकल पुष्प (solitary flower)।
  2. पुष्प (Flower)—सहपत्री या असहपत्री, सपुष्पवृन्त, द्विलिंगी, पूर्ण, एकव्याससममित (zygomorphic) तथा अधोजाय (hypogynous)।
  3. बाह्यदलपुंज (Calyx) - 5 बाह्यदल, पृथक्बाह्यदली (polysepalous), कोरछादी विन्यास (imbricate aestivation)।
  4. दलपुंज (Corolla)–5 दल, पृथक्दली, आरोहित कोरछादी विन्यास (ascending imbricate aestivation), इमली में शल्कों (scales) के रूप में छोटे होते हैं।
  5. पुमंग (Androecium) -10 पुंकेसर अथवा वृद्धिरोध के कारण कुछ बन्ध्य पुंकेसर (staminode) बन जाते हैं (जैसे Cassia), स्वतन्त्र तन्तु की लम्बाइयाँ असमान, परागकोश द्विकोष्ठीय, अन्तर्मुखी (introrse), मध्यडोली (versatile)।
  6. जायांग (Gynoecium) - एकाण्डपी (monocarpellary), एककोष्ठीय (unilocular), उत्तरवर्ती (superior) अण्डाशय, सीमान्त बीजाण्डन्यास (marginal placentation), वर्तिका लम्बी, सीधी सरल तथा वर्तिकाग्र समुण्ड (capitate)।

फल (Fruit) – फली (legume)

पुष्पसूत्र (Floral formula) – Br or Ebr % ⚥ K5 C5 A5 + 5 staminodes or 7 + 3 staminodes G1

आर्थिक महत्त्व (Economic Importance)

(क) औषधियों में काम आने वाले पौधे
  1. कसुंडा (Cassia occidentalis) तथा पनवाड (Cassia obtusifolia) की पत्तियाँ तथा बीज चर्म रोगों में काम आते हैं।
  2. केसीया ग्लोका (Cassia glauca) की छाल तथा पत्तियाँ मधुमेह तथा गोनोरिया रोगों में प्रयोग की जाती हैं।
  3. केसीया फिस्टुला (Cassia fistula) के फल तथा गूदा दस्तावर (purgative) दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  4. इमली (Tamarindus indica) के फल तथा पत्तियाँ सहपाचक के रूप में प्रयोग की जाती हैं।

(ख) भोजन–कचनार (Bauhinia variegata) की कलियों की सब्जी बनती है।

(ग) रंग-हेमैटॉक्सिलौन कैम्पिचिएनम (Hematoxylon campechianum) के काष्ठ से हेमैटॉक्सिलीन नामक वर्णक (pigment) निकाला जाता है जिसका प्रयोग जन्तु ऊतकों के लिये अभिरंजक (stain) के रूप में किया जाता है। सीजैलपिनिया सैपन (Caesalpinia sappan) से लाल रंग (गुलाल) निकाला जाता है।

(घ) चमड़ा पकाना (Leather tanning)—सीजैलपिनिया तथा बहुनिया की कुछ जातियों (species) की छाल से चमड़ा पकाने का काम लिया जाता है।

(ङ) सजावट के काम आने वाले पौधे-गुलमोहर (Delonix regia= Dwarf gold mohur), कचनार (Bauhinia variegata), पीकॉक पुष्प (Caesalpinia pulcherrima), अशोक (Saraca indica), अमलतास (Cassia fistula)।





उपकुल-मिमोसॉइडी (Subfamily —MIMOSOIDEAE)

  1. पुष्पक्रम (Inflorescence) - ससीमाक्ष मुण्डक (cymose head) अथवा स्पाइक (spike)।
  2. पुष्प (Flower) - सहपत्री (bracteate) अथवा सहपत्र रहित (असहपत्री) (ebracteate), अपुष्पवृन्त (sessile), द्विलिंगी (hermaphrodite), पूर्ण (complete), त्रिज्यासममित (actinomorphic), अधोजाय (hypogynous)।
  3. बाह्यदलपुंज (Calyx) - 4-5 बाह्यदल, संयुक्त बाह्यदली (gamosepalous), आधार भाग में संलग्न, कोरस्पर्शी विन्यास (valvate aestivation)।
  4. दलपुंज (Corolla) - 4-5 दल, संयुक्तदली (gamopetalous) अथवा पृथक्दली (polypetalous), झिल्लीदार, कोरस्पर्शी विन्यास (valvate aestivation)।
  5. पुमंग (Androecium) - प्रायः असंख्य पुंकेसर (indefinite stamens), स्वतन्त्र, कई भ्रमियों (whorls) में, तन्तु दीर्घ, परागकोश द्विकोष्ठीय, अन्तर्मुखी, मध्यडोली (versatile), लम्बाकार स्फुटन।
  6. जायांग (Gynoecium) –एकाण्डपी (monocarpellary), एककोष्ठीय (unilocular), उत्तरवर्ती (superior) अण्डाशय, ban वर्तिका लम्बी, बेलनाकार, वर्तिकाग्र एक तथा समुण्ड (capitate), सीमान्त बीजाण्डन्यास (marginal placentation)।

फल (Fruit) - लोमेण्टम (lomentum)।

पुष्पसूत्र (Floral formula) — Br or Ebr ⊕ ⚥  K(5) C(5) or 5 A∞ G1


आर्थिक महत्त्व (Economic Importance)

आर्थिक महत्त्व की दृष्टि से मिमोसॉइडी उपकुल के पौधों को निम्न वर्गों में विभाजित किया जाता है—

(क) लकड़ी (Timber) प्रदान करने वाले पौधे

सिरस (Albizia lebbek) की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और फर्नीचर, रेल के डिब्बों को बनाने के काम आती है। बड़ी घुमची (Adenanthera pavonina) वृक्ष की लकड़ी मजबूत तथा लाल रंग की होती है। इसका प्रयोग फोटो के फ्रेम बनाने में किया जाता है।

(ख) रेशे (Fibres) प्रदान करने वाले पौधे
सफेद कीकर (Acacia leucophloea) की छाल के रेशे से मछली के जाल बनाये जाते हैं।

(ग) गोंद (Gum) – बबूल (Acacia) की बहुत सी जातियों से गोंद निकलता है।

(घ) कत्था
Acacia catechu के काष्ठीय भाग से कत्था प्राप्त किया जाता है जिसका प्रयोग पान में तथा रंगाई के व्यवसाय में किया जाता है।

(ड़) शिकाकाई (Acacia conicana) इसके बीजों का प्रयोग बाल धोने में किया जाता है।

(च) इत्र (Perfume)—viton गन्ध बबूल (Acacia farnesiana) के पुष्पों से सुगन्धित इत्र निकाला जाता है।

(छ) बगीचों में सजावट के लिये लगाये जाने वाले पौधे

लाजूला (Neptunia oleracea), चोंकरा (Prosopis spicigera) तथा छुईमुई (Mimosa pudica) के पौधे बागों में लगाये जाते हैं। जंगल जलेबी (Pitheclobium dulce) की हैज (hedge) लगायी जाती है।

(ज) अन्य व्यावसायिक वस्तुएँ
ब्लैक बैटल (Acacia decurrens) की छाल का प्रयोग चमड़ा पकाने में किया जाता है। इसकी लकड़ी से लुग्दी बनायी जाती है जिससे कागज बनाया जाता है।

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