धावन सोडा (Washing Soda) : निर्माण विधि, सामान्य गुणधर्म तथा उपयोग|hindi


धावन सोडा (Washing Soda) 

धावन सोडा (Washing Soda) : निर्माण विधि, सामान्य गुणधर्म तथा उपयोग|hindi

रासायनिक नाम - सोडियम कार्बोनेट डेका-हाइड्रेट
अणु सूत्र - NaCO3.10H20


धावन सोडा की निर्माण की प्रयोगशाला विधि - प्रयोगशाला में सोडियम कार्बोनेट बनाने के लिए कॉस्टिक सोडा (NaOH) विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड CO2 गैस प्रवाहित करते हैं। निम्नलिखित अभिक्रिया होती है तथा सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन प्राप्त होता है-

2NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O

उपरोक्त विलयन का सान्द्रण करने तथा उसके उपरान्त विलयन को ठण्डा करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल (Na2CO3.10H2O) प्राप्त हो जाते हैं।

सोडियम कार्बोनेट का औद्योगिक निर्माण ली-ब्लॉक की विधि तथा अमोनिया सोडा विधि द्वारा किया जाता है।


औद्योगिक निर्माण की ली-ब्लॉक की विधि

सिद्धान्त - इस विधि में सोडियम क्लोराइड को सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर सोडियम सल्फेट बनाया जाता है।
2NaCl + H2SO4 Na2SO4 + 2HC1


'सोडियम सल्फेट को कार्बन (C) तथा चूने के पत्थर (CaCO3) के साथ गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट बन जाता है।
Na2SO4 + 4C Na2S + 4CO

Na2S + CaCO3 → Na2 CO3 + CaS



विधि - इस विधि में प्रयोग किये जाने वाला संयंत्र नीचे चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इस विधि में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न पद (steps) निम्नलिखित हैं-

(i) साल्ट-केक बनाना - लोहे के कड़ाहों में साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड, NaCl) का जलीय विलयन (ब्राइन) तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उचित मात्रायें लेकर इस मिश्रण को गर्म किया जाता है। सोडियम क्लोराइड तथा सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से सोडियम सल्फेट बनता है तथा हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) की वाष्पें प्राप्त होती हैं। इस प्रकार प्राप्त HCI की वाष्पों को चित्रानुसार ठण्डे पानी में विलयित (dissolve) करके हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बना लेते हैं। मिश्रण को अधिक गर्म करने पर सल्फ्यूरिक अम्ल की शेष मात्रा अपघटित होकर वाष्पों के रूप में अलग हो जाती है तथा सोडियम सल्फेट एक कड़े ठोस के रूप में प्राप्त होता है। इस कड़े ठोस को साल्ट-केक कहते हैं।

2NaCl + H2SO4 → Na2SO4 + 2HCI


धावन सोडा (Washing Soda) : निर्माण विधि, सामान्य गुणधर्म तथा उपयोग|hindi


(ii) काली राख बनाना - साल्ट-केक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर चूने के पत्थर (CaCO3) और कोक (C) के साथ एक परिक्रमी (revolving) भट्टी में गर्म किया जाता है। इस भट्टी में निम्नलिखित अभिक्रियायें होती हैं तथा सोडियम कार्बोनेट बन जाता है। इस भट्टी से प्राप्त मिश्रण को काली राख कहते हैं।

Na2SO4 + 4C  Na2S + 4CO↑
Na2S + CaCO3 → CaS + Na2 CO3            
Na2SO4 +4C+ CaCO3 CaS + 4CO + Na2CO3



(iii) काली राख से सोडियम कार्बोनेट को पृथक करना - काली राख में मुख्यतः सोडियम कार्बोनेट होता है परन्तु कोक, चूना-पत्थर, कैल्सियम सल्फाइड, आदि की अशुद्धियाँ भी होती हैं। इससे सोडियम कार्बोनेट प्राप्त करने के लिए इसे पानी में डालकर खूब खलबलाते (lixiviate) हैं। ऐसा करने पर सोडियम कार्बोनेट जल में घुल जाता है तथा अशुद्धियाँ नीचे बैठ जाती हैं जिन्हें फिल्टरित करके अलग कर दिया जाता है। फिल्टरित विलयन का सान्द्रण करने से सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल (Na2CO3.10H20) प्राप्त हो जाते हैं।



औद्योगिक निर्माण की सॉल्वे की अमोनिया-सोडा विधि

सिद्धान्त-अमोनियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने पर अमोनियम बाइकार्बोनेट (NH4HCO3) बनता है।

NH4OH + CO2 NH4HCO3


अमोनियम बाइकार्बोनेट की सोडियम क्लोराइड से क्रिया कराने पर अमोनियम क्लोराइड (NH4CI) तथा सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) बनते हैं।


NH4HCO3 + NaCl NH4Cl + NaHCO3


सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट बन जाता है।

2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2


विधि - इस विधि में प्रयोग किये जाने वाला संयंत्र चित्र नीचे प्रदर्शित किया गया है। इस विधि में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न पद निम्नलिखित हैं-

(i) ब्राइन को अमोनिया से संतृप्त करना - यह क्रिया संयंत्र के जिस भाग में करायी जाती है, उसे संतृप्तकारी हौज (saturating tank) कहते हैं। संतृप्तकारी हौज में सोडियम क्लोराइड का संतृप्त जलीय विलयन (ब्राइन) भरा होता है। इसमें अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ से प्राप्त अमोनिया गैस प्रवाहित की जाती है। अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ से अमोनिया के साथ कुछ कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस भी प्राप्त होती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड जल में मिली कैल्सियम तथा मैग्नीशियम की अशुद्धियों को दूर कर देती है।

2NH3 + H2O + CO2 (NH4 )2 CO3

CaCl2 + (NH4)2 CO3 → CaCO3↓ + 2NH4CI

MgCl2 + (NH4)2 CO3 MgCO3↓ + 2NH4CI


संतृप्तकारी हौज में भरे विलयन में अमोनिया प्रवाहित करने के बाद उसे फिल्टरित करके कार्बोनेटीकारक स्तम्भ में भेजा जाता है। संतृप्तकारी हौज से अमोनिया तथा सोडियम क्लोराइड का संतृप्त जलीय विलयन प्राप्त होता है

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(ii) कार्बोनेटीकरण (Carbonation) - यह क्रिया कार्बोनेटीकारक स्तम्भ (carbonating tower) में करायी जाती है। इस स्तम्भ में ऊपर की ओर से संतृप्तकारक हौज से प्राप्त अमोनियामय ब्राइन विलयन गिराया जाता है तथा नीचे की ओर से चूने के भट्टे से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है। इस स्तम्भ में निम्न अभिक्रियायें होती हैं-
2NH3 + CO2 + H2O (NH4 )2 CO3

(NH4)2 CO3 + CO2 + H2O → 2NH4HCO3

NaCl + NH4HCO3 NaHCO3 + NH4CI


(iii)
निर्वात-निस्पंदन (Vacuum filtration)-कार्बोनेटीकारक स्तम्भ से प्राप्त विलयन को निर्वात पम्पों (vacuum pumps) की सहायता से छान लिया जाता है। कम विलेय सोडियम बाइकार्बोनेट अवशेष (residue) में प्राप्त होता है तथा फिल्टरित विलयन में मुख्यतः अमोनियम क्लोराइड होता है।


(iv) निस्तापन (Calcination) - निर्वात निस्पंदन से प्राप्त ठोस पदार्थ को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त हो जाता है।
गर्म करने पर
2NaHCO3  →  Na2CO3 + H2O + CO2


(v)
अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ (Ammonia recovery tower) - इस स्तम्भ में निर्वात-निस्वंदन से प्राप्त फिल्टरित विलयन जिसमें अमोनियम क्लोराइड होता है तथा चूने के भट्टे से प्राप्त बुझे हुए चूने [Ca(OH)2] को मिला कर गर्म किया जाता है।

2NH4CI + Ca(OH)2 गर्म करने पर → CaCl + 2H2O + 2NH3

अमोनियम क्लोराइड तथा कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (बुझा हुआ भूना) की क्रिया से अमोनिया गैस प्राप्त होती है जिसे संतृप्तकारक हौज में भेजा जाता है।


(vi) चूने का भट्टा (Lime kiln) - चूने के भट्टे में चूने के पत्थर (CaCO3) तथा कोयले के मिश्रण को जलाया जाता है जिससे अधिक ताप उत्पन्न होता है तथा निम्न अभिक्रियायें होती हैं-
CaCO3 CaO + CO2

C + O2 CO2

चूने के भट्टे से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस को कार्बोनेटीकारक स्तम्भ में प्रवाहित किया जाता है तथा चूने (CaO) को जल में मिलाकर बुझा हुआ चूना बनाया जाता है जो अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ में भेजा जाता है।


नोट-
  1. अधिकांश अकार्बनिक यौगिकों के औद्योगिक निर्माण में किसी उत्प्रेरक का प्रयोग अवश्य किया जाता है। यहाँ यह नोट करना लाभप्रद रहेगा कि सोडियम कार्बोनेट के औद्योगिक निर्माण की ली-ब्लॉक तथा अमोनिया-सोडा विधि में, से किसी भी विधि में किसी उत्प्रेरक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  2. सोडियम कार्बोनेट के निर्माण की ली-ब्लॉक की विधि से क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3.10H2O) प्राप्त होता है जबकि सॉल्वे विधि से अनार्द्र सोडियम कार्बोनेट (Naz CO3 ) प्राप्त होता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।
  3. सोडियम कार्बोनेट के निर्माण की लो-ब्लांक की विधि अब पुरानी हो चुकी है। सोडियम कार्बोनेट के निर्माण के लिए अब मुख्यत: सॉल्वे की विधि प्रयुक्त की जाती है। सॉल्वे की विधि ली-ब्लॉक की विधि से सस्ती है। सॉल्वे की विधि में प्रयुक्त प्रारम्भिक पदार्थ सस्ते हैं एवं अभिक्रिया से प्राप्त सह-उत्पादों को पुनः सोडियम कार्बोनेट के निर्माण के लिए प्रयुक्त किया जाता है अर्थात् यह विधि चक्रीय (cyclic) है। सॉल्वे विधि द्वारा प्राप्त सोडियम कार्बोनेट अधिक शुद्ध होता है।
  4. सॉल्वे की विधि KHCO3 की जल में अधिक विलेयता के कारण पोटैशियम कार्बोनेट के निर्माण के लिये प्रयुक्त नहीं की जा सकती है।



भौतिक गुण
सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) सफेद रंग का ठोस पदार्थ है। इसका गलनांक 850°C है। यह जल में विलेय है। इसके जलीय विलयंन का सान्द्रण करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल (Na2CO3.10H2O) प्राप्त हो जाते हैं।


रसायनिक गुण

1. ऊष्मा का प्रभाव - क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट को शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर या हल्का गर्म करने पर इसके क्रिस्टलन जल का अधिकांश भाग वायुमण्डल में चला जाता है तथा Na2CO3.H2O बनता है।

Na2CO3.10H2O → शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर → Na2CO3.H2O + 9H20


अधिक गर्म करने पर यह निर्जल सोडियम कार्बोनेट बनाता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।

Na2CO3.10H2O → Na2CO3 + H2O
    निर्जल सोडियम कार्बोनेट

निर्जल सोडियम कार्बोनेट ऊष्मा के प्रति स्थायी है।


2. जल अपघटन - जल अपघटन (hydrolysis) के कारण इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।

Na2CO3 2Na+  ⇌ + CO--

2H2O 2H+  ⇌  + 2OH-

2Na+ + 2OH-  ⇌  2NaOH-

2H+ + CO3--  ⇌  H2CO3

Na2CO3 + 2H2O ⇌  2NaOH + H2CO3


2NaOH [सोडियम हाइड्रॉक्साइड(प्रबल क्षार)]
H2CO3 [कार्बनिक अम्ल (दुर्बल क्षार)]


3. कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया - सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का अधिकता में प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) बनता है।
Na2CO3 + H2O + CO2 2NaHCO3


4. अम्लों से क्रिया - क्षारीय होने के कारण यह अम्लों से क्रिया करके उनके संगत (corresponding) लवण बनाता है। यह अभिक्रिया दो पदों में पूर्ण होती है। उदाहरण के लिए-
Na2CO3 + HCI NaHCO3 + NaCl
NaHCO3 + HCl NaCl + H2O + CO2


5. धात्वीय कार्बोनेटों का अवक्षेपण - सोडियम कार्बोनेट विलयन को बुझे चूने (slaked lime) के साथ गर्म करने पर कैल्सियम कार्बोनेट अवक्षेपित होता है तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है। अधिकांश धातुओं के लवणों के जलीय विलयनों में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उन धातुओं के कार्बोनेट लवण प्राप्त होते हैं। क्षार धातुओं के कार्बोनेट तथा अमोनियम कार्बोनेट को छोड़कर अन्य सभी कार्बोनेट जल में अविलेय होते हैं तथा अवक्षेप के रूप में प्राप्त होते हैं।

उदाहरण के लिए-

Na2CO3 + Ca(OH)2  →  2NaOH + CaCO3

Na2CO3 + CaCl2   →  2NaCl + CaCO3

Na2CO3 + Ba(NO3)2  →  2NaNO3 + BaCO3

4 Na2CO3 + BaCl2      2NaCl + BaCO3


कुछ धातुओं के लवणों के जलीय विलयन में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उनके हाइड्रॉक्साइड अवक्षेपित होते हैं।

उदाहरण के लिए-

2FeCl3 + 3Na2CO3 + 3H20 → 2Fe(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2

2AlCl3 + 3Na2CO3 + 3H2O 2AI(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2

2CrCl3 + 3Na2CO3 + 3H2O 2Cr(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2


कुछ धातुओं के लवणों के जलीय विलयन में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उनके भास्मिक कार्बोनेट अवक्षेपित होते हैं।


उदाहरण के लिए-

3ZnSO4 + 3Na2CO3 + H2O 2ZnCO3.Zn (OH)2↓ + 3Na2SO4 + CO2↑ भास्मिक जिंक कार्बनिट

3Pb(NO3)2 + 3Na2CO3 + H2O → 2PbCO3.Pb(OH)2↓ + 6NaNO3 + CO2

2PbCO3.Pb(OH)2 (भास्मिक लेड कार्बोनेट या सफेद लेंड या सफेदा)


इन धातुओं के कार्बोनेट बनाने के लिये उनके लवणों के जलीय विलयन को सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ गर्म किया जाता है।

ZnSO4 + 2NaHCO3 → ZnCO3↓ + Na2SO4 + H2O + CO2

ZnCl2 + 2NaHCO3 → ZnCO3 + 2NaCl + H2O + CO2↑

PbSO4 + 2NaHCO3 → PbCO3 + Na2SO4 + H2O + CO2



धावन सोडा का उपयोग (Uses)

इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-
  1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  2. कपड़े धोने में तथा साबुन बनाने में।
  3. जल की कठोरता को दूर करने में।
  4. खाने का सोडा (बेकिंग सोडा, NaHCO3) बनाने में।
  5. काँच तथा कागज उद्योगों में।
  6. अनेक धातुओं के धातुकर्म में।
  7. रंजकों (dyes) के बनाने में।
  8. आग बुझाने वाले यंत्रों में।
  9. सफेदा बनाने में जिसका उपयोग सफेद पेण्ट के रूप में होता है।

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