धावन सोडा (Washing Soda)
धावन सोडा की निर्माण की प्रयोगशाला विधि - प्रयोगशाला में सोडियम कार्बोनेट बनाने के लिए कॉस्टिक सोडा (NaOH) विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड CO2 गैस प्रवाहित करते हैं। निम्नलिखित अभिक्रिया होती है तथा सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन प्राप्त होता है-
2NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
सोडियम कार्बोनेट का औद्योगिक निर्माण ली-ब्लॉक की विधि तथा अमोनिया सोडा विधि द्वारा किया जाता है।
औद्योगिक निर्माण की ली-ब्लॉक की विधि
सिद्धान्त - इस विधि में सोडियम क्लोराइड को सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर सोडियम सल्फेट बनाया जाता है।2NaCl + H2SO4 → Na2SO4 + 2HC1
'सोडियम सल्फेट को कार्बन (C) तथा चूने के पत्थर (CaCO3) के साथ गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट बन जाता है।
Na2SO4 + 4C → Na2S + 4CO
Na2S + CaCO3 → Na2 CO3 + CaS
विधि - इस विधि में प्रयोग किये जाने वाला संयंत्र नीचे चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इस विधि में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न पद (steps) निम्नलिखित हैं-
(i) साल्ट-केक बनाना - लोहे के कड़ाहों में साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड, NaCl) का जलीय विलयन (ब्राइन) तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उचित मात्रायें लेकर इस मिश्रण को गर्म किया जाता है। सोडियम क्लोराइड तथा सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से सोडियम सल्फेट बनता है तथा हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) की वाष्पें प्राप्त होती हैं। इस प्रकार प्राप्त HCI की वाष्पों को चित्रानुसार ठण्डे पानी में विलयित (dissolve) करके हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बना लेते हैं। मिश्रण को अधिक गर्म करने पर सल्फ्यूरिक अम्ल की शेष मात्रा अपघटित होकर वाष्पों के रूप में अलग हो जाती है तथा सोडियम सल्फेट एक कड़े ठोस के रूप में प्राप्त होता है। इस कड़े ठोस को साल्ट-केक कहते हैं।
2NaCl + H2SO4 → Na2SO4 + 2HCI
(ii) काली राख बनाना - साल्ट-केक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर चूने के पत्थर (CaCO3) और कोक (C) के साथ एक परिक्रमी (revolving) भट्टी में गर्म किया जाता है। इस भट्टी में निम्नलिखित अभिक्रियायें होती हैं तथा सोडियम कार्बोनेट बन जाता है। इस भट्टी से प्राप्त मिश्रण को काली राख कहते हैं।
Na2SO4 + 4C → Na2S + 4CO↑
Na2S + CaCO3 → CaS + Na2 CO3
Na2SO4 +4C+ CaCO3 → CaS + 4CO↑ + Na2CO3
औद्योगिक निर्माण की सॉल्वे की अमोनिया-सोडा विधि
सिद्धान्त-अमोनियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने पर अमोनियम बाइकार्बोनेट (NH4HCO3) बनता है।NH4OH + CO2 → NH4HCO3
NH4HCO3 + NaCl → NH4Cl + NaHCO3
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
(i) ब्राइन को अमोनिया से संतृप्त करना - यह क्रिया संयंत्र के जिस भाग में करायी जाती है, उसे संतृप्तकारी हौज (saturating tank) कहते हैं। संतृप्तकारी हौज में सोडियम क्लोराइड का संतृप्त जलीय विलयन (ब्राइन) भरा होता है। इसमें अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ से प्राप्त अमोनिया गैस प्रवाहित की जाती है। अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ से अमोनिया के साथ कुछ कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस भी प्राप्त होती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड जल में मिली कैल्सियम तथा मैग्नीशियम की अशुद्धियों को दूर कर देती है।
2NH3 + H2O + CO2 → (NH4 )2 CO3
CaCl2 + (NH4)2 CO3 → CaCO3↓ + 2NH4CI
MgCl2 + (NH4)2 CO3 → MgCO3↓ + 2NH4CI
(ii) कार्बोनेटीकरण (Carbonation) - यह क्रिया कार्बोनेटीकारक स्तम्भ (carbonating tower) में करायी जाती है। इस स्तम्भ में ऊपर की ओर से संतृप्तकारक हौज से प्राप्त अमोनियामय ब्राइन विलयन गिराया जाता है तथा नीचे की ओर से चूने के भट्टे से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है। इस स्तम्भ में निम्न अभिक्रियायें होती हैं-
2NH3 + CO2 + H2O → (NH4 )2 CO3
(NH4)2 CO3 + CO2 + H2O → 2NH4HCO3
NaCl + NH4HCO3 → NaHCO3 + NH4CI
(iv) निस्तापन (Calcination) - निर्वात निस्पंदन से प्राप्त ठोस पदार्थ को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त हो जाता है।
गर्म करने पर
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
2NH4CI + Ca(OH)2 → गर्म करने पर → CaCl + 2H2O + 2NH3
(vi) चूने का भट्टा (Lime kiln) - चूने के भट्टे में चूने के पत्थर (CaCO3) तथा कोयले के मिश्रण को जलाया जाता है जिससे अधिक ताप उत्पन्न होता है तथा निम्न अभिक्रियायें होती हैं-
CaCO3 → CaO + CO2
C + O2 → CO2
चूने के भट्टे से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस को कार्बोनेटीकारक स्तम्भ में प्रवाहित किया जाता है तथा चूने (CaO) को जल में मिलाकर बुझा हुआ चूना बनाया जाता है जो अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तम्भ में भेजा जाता है।
नोट-
- अधिकांश अकार्बनिक यौगिकों के औद्योगिक निर्माण में किसी उत्प्रेरक का प्रयोग अवश्य किया जाता है। यहाँ यह नोट करना लाभप्रद रहेगा कि सोडियम कार्बोनेट के औद्योगिक निर्माण की ली-ब्लॉक तथा अमोनिया-सोडा विधि में, से किसी भी विधि में किसी उत्प्रेरक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- सोडियम कार्बोनेट के निर्माण की ली-ब्लॉक की विधि से क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3.10H2O) प्राप्त होता है जबकि सॉल्वे विधि से अनार्द्र सोडियम कार्बोनेट (Naz CO3 ) प्राप्त होता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।
- सोडियम कार्बोनेट के निर्माण की लो-ब्लांक की विधि अब पुरानी हो चुकी है। सोडियम कार्बोनेट के निर्माण के लिए अब मुख्यत: सॉल्वे की विधि प्रयुक्त की जाती है। सॉल्वे की विधि ली-ब्लॉक की विधि से सस्ती है। सॉल्वे की विधि में प्रयुक्त प्रारम्भिक पदार्थ सस्ते हैं एवं अभिक्रिया से प्राप्त सह-उत्पादों को पुनः सोडियम कार्बोनेट के निर्माण के लिए प्रयुक्त किया जाता है अर्थात् यह विधि चक्रीय (cyclic) है। सॉल्वे विधि द्वारा प्राप्त सोडियम कार्बोनेट अधिक शुद्ध होता है।
- सॉल्वे की विधि KHCO3 की जल में अधिक विलेयता के कारण पोटैशियम कार्बोनेट के निर्माण के लिये प्रयुक्त नहीं की जा सकती है।
- इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?
- विद्युत्-रासायनिक श्रेणी (Electrochemical Series) क्या है?
भौतिक गुण
सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) सफेद रंग का ठोस पदार्थ है। इसका गलनांक 850°C है। यह जल में विलेय है। इसके जलीय विलयंन का सान्द्रण करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल (Na2CO3.10H2O) प्राप्त हो जाते हैं।
रसायनिक गुण
1. ऊष्मा का प्रभाव - क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट को शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर या हल्का गर्म करने पर इसके क्रिस्टलन जल का अधिकांश भाग वायुमण्डल में चला जाता है तथा Na2CO3.H2O बनता है।
Na2CO3.10H2O → शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर → Na2CO3.H2O + 9H20
अधिक गर्म करने पर यह निर्जल सोडियम कार्बोनेट बनाता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।
निर्जल सोडियम कार्बोनेट ऊष्मा के प्रति स्थायी है।
2. जल अपघटन - जल अपघटन (hydrolysis) के कारण इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2CO3.10H2O → शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर → Na2CO3.H2O + 9H20
अधिक गर्म करने पर यह निर्जल सोडियम कार्बोनेट बनाता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।
Na2CO3.10H2O → Na2CO3 + H2O
निर्जल सोडियम कार्बोनेट
निर्जल सोडियम कार्बोनेट ऊष्मा के प्रति स्थायी है।
2. जल अपघटन - जल अपघटन (hydrolysis) के कारण इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2CO3 2Na+ ⇌ + CO--
2H2O 2H+ ⇌ + 2OH-
2Na+ + 2OH- ⇌ 2NaOH-
2H+ + CO3-- ⇌ H2CO3
Na2CO3 + 2H2O ⇌ 2NaOH + H2CO3
2NaOH [सोडियम हाइड्रॉक्साइड(प्रबल क्षार)]
उदाहरण के लिए-
कुछ धातुओं के लवणों के जलीय विलयन में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उनके हाइड्रॉक्साइड अवक्षेपित होते हैं।
उदाहरण के लिए-
कुछ धातुओं के लवणों के जलीय विलयन में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उनके भास्मिक कार्बोनेट अवक्षेपित होते हैं।
उदाहरण के लिए-
H2CO3 [कार्बनिक अम्ल (दुर्बल क्षार)]
3. कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया - सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का अधिकता में प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) बनता है।
4. अम्लों से क्रिया - क्षारीय होने के कारण यह अम्लों से क्रिया करके उनके संगत (corresponding) लवण बनाता है। यह अभिक्रिया दो पदों में पूर्ण होती है। उदाहरण के लिए-
5. धात्वीय कार्बोनेटों का अवक्षेपण - सोडियम कार्बोनेट विलयन को बुझे चूने (slaked lime) के साथ गर्म करने पर कैल्सियम कार्बोनेट अवक्षेपित होता है तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है। अधिकांश धातुओं के लवणों के जलीय विलयनों में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उन धातुओं के कार्बोनेट लवण प्राप्त होते हैं। क्षार धातुओं के कार्बोनेट तथा अमोनियम कार्बोनेट को छोड़कर अन्य सभी कार्बोनेट जल में अविलेय होते हैं तथा अवक्षेप के रूप में प्राप्त होते हैं।
3. कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया - सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का अधिकता में प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) बनता है।
Na2CO3 + H2O + CO2 → 2NaHCO3
Na2CO3 + HCI → NaHCO3 + NaCl
NaHCO3 + HCl → NaCl + H2O + CO2↑
5. धात्वीय कार्बोनेटों का अवक्षेपण - सोडियम कार्बोनेट विलयन को बुझे चूने (slaked lime) के साथ गर्म करने पर कैल्सियम कार्बोनेट अवक्षेपित होता है तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है। अधिकांश धातुओं के लवणों के जलीय विलयनों में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उन धातुओं के कार्बोनेट लवण प्राप्त होते हैं। क्षार धातुओं के कार्बोनेट तथा अमोनियम कार्बोनेट को छोड़कर अन्य सभी कार्बोनेट जल में अविलेय होते हैं तथा अवक्षेप के रूप में प्राप्त होते हैं।
उदाहरण के लिए-
Na2CO3 + Ca(OH)2 → 2NaOH + CaCO3↓
Na2CO3 + CaCl2 → 2NaCl + CaCO3↓
Na2CO3 + Ba(NO3)2 → 2NaNO3 + BaCO3↓
4 Na2CO3 + BaCl2 → 2NaCl + BaCO3↓
कुछ धातुओं के लवणों के जलीय विलयन में सोडियम कार्बोनेट मिलाने पर उनके हाइड्रॉक्साइड अवक्षेपित होते हैं।
उदाहरण के लिए-
2FeCl3 + 3Na2CO3 + 3H20 → 2Fe(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2
2AlCl3 + 3Na2CO3 + 3H2O → 2AI(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2
2CrCl3 + 3Na2CO3 + 3H2O → 2Cr(OH)3↓ + 6NaCl + 3CO2
उदाहरण के लिए-
3ZnSO4 + 3Na2CO3 + H2O → 2ZnCO3.Zn (OH)2↓ + 3Na2SO4 + CO2↑ भास्मिक जिंक कार्बनिट
3Pb(NO3)2 + 3Na2CO3 + H2O → 2PbCO3.Pb(OH)2↓ + 6NaNO3 + CO2↑
2PbCO3.Pb(OH)2 (भास्मिक लेड कार्बोनेट या सफेद लेंड या सफेदा)
इन धातुओं के कार्बोनेट बनाने के लिये उनके लवणों के जलीय विलयन को सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ गर्म किया जाता है।
इन धातुओं के कार्बोनेट बनाने के लिये उनके लवणों के जलीय विलयन को सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ गर्म किया जाता है।
ZnSO4 + 2NaHCO3 → ZnCO3↓ + Na2SO4 + H2O + CO2↑
ZnCl2 + 2NaHCO3 → ZnCO3↓ + 2NaCl + H2O + CO2↑
PbSO4 + 2NaHCO3 → PbCO3↓ + Na2SO4 + H2O + CO2↑
धावन सोडा का उपयोग (Uses)
इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
- कपड़े धोने में तथा साबुन बनाने में।
- जल की कठोरता को दूर करने में।
- खाने का सोडा (बेकिंग सोडा, NaHCO3) बनाने में।
- काँच तथा कागज उद्योगों में।
- अनेक धातुओं के धातुकर्म में।
- रंजकों (dyes) के बनाने में।
- आग बुझाने वाले यंत्रों में।
- सफेदा बनाने में जिसका उपयोग सफेद पेण्ट के रूप में होता है।
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