सन् 1869 में रूसी वैज्ञानिक मेंडलीफ ने उस समय ज्ञात 57 तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में श्रृंखलाबद्ध किया। तत्वों को इस प्रकार श्रृंखलाबद्ध करने पर यह पाया गया कि तत्वों के एक नियमित अन्तर के बाद लगभग समान गुण वाले तत्व पाये जाते हैं, अर्थात् एक नियमित अन्तर के बाद गुणों की पुनरावृत्ति होती है। पुनरावृत्ति करने के इस गुण को आवर्तिता (periodicity) कहते हैं। पुनरावृत्ति के इस गुण के आधार पर मेंडलीफ ने यह निष्कर्ष निकाला कि तत्वों का मूल लक्षण (original characteristic) उनका परमाणु भार होता है। इसको आधार मानकर मेंडलीफ ने एक नियम प्रस्तुत किया जिसे मेंडलीफ का मूल आवर्त नियम (Mendeleev'sOriginal Periodic Law) कहते हैं। इस नियम के अनुसार -
"तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं। (The physical and chemical properties of elements are periodic functions of their atomic weights) I'
इस कथन का अभिप्राय यह है कि तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखने पर एक नियमित अन्तर के बाद उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणों की पुनरावृत्ति (repetition) होती है।
सन् 1871 में मेंडलीफ ने मूल आवर्त नियम के अनुसार उस समय ज्ञात 58 तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में एक सारणी के रूप में श्रृंखलाबद्ध किया। इस सारणी को मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी (Mendeleev'sOriginal Periodic Table) कहते हैं।
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण
- इस सारणी में तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखा गया है।
- इस सारणी में 12 क्षैतिज पंक्तियाँ (horizontal rows) हैं जिन्हें श्रेणियाँ (series) कहा गया।
- इस सारणी में 8 ऊर्ध्वाधर कॉलम (vertical columns) हैं जिन्हें समूह (groups) कहा गया।
- तत्वों को क्रमबद्ध करते हुए यह विशेष रूप से ध्यान रखा गया कि समान गुणों वाले तत्व एक ही समूह में रहें। ऐसा करने के लिए कहीं-कहीं खाली स्थान छोड़ने पड़े। उदाहरणार्थ- कैल्सियम (Ca, परमाणु भार =40) को चतुर्थ श्रेणी में द्वितीय समूह में रखा गया। परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में उस समय ज्ञात अगला तत्व टाइटेनियम (Ti, परमाणु भार = 48) था। अत: इसे चतुर्थ श्रेणी में ही तृतीय समूह में रखना चाहिये था लेकिन इसके गुण तृतीय समूह के तत्वों के गुणों से समानता नहीं रखते थे वरन् चतुर्थ समूह के तत्वों के गुणों से समानता रखते थे। अतः टाइटेनियम को चतुर्थ श्रेणी के चतुर्थ समूह रखा गया तथा चतुर्थ श्रेणी के तृतीय समूह में रिक्त स्थान छोड़ दिया गया।
नोट- 1. मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी सन् 1871 में बनाई गई थी।
2. उपरोक्त सारणी में तत्वों के संकेतों के दायीं ओर लिखी संख्यायें उनके मेंडलीफ द्वारा सन् 1871 में सही माने गये परमाणु भार हैं। सन् 1871 के बाद इनमें से कुछ तत्वों के परमाणु भार संशोधित किये जा चुके हैं।
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के लाभ
- तत्वों के गुणों के अध्ययन में सुविधा - मेंडलीफ की मूल आवर्त-सारणी से तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन सरल हो गया। चूँकि समान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखा गया है, अतः किसी समूह के किसी एक तत्व के गुणों के अध्ययन से उस समूह के अन्य तत्वों के गुणों का पर्याप्त सीमा तक ज्ञान हो जाता है। यह सारणी तत्वों में परस्पर सम्बन्ध तथा विभेद स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करती है।
- सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता - सन् 1869 से पहले बेरिलियम का परमाणु भार 13.5 माना जाता था। बेरिलियम के गुण मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के द्वितीय समूह के तत्वों के गुणों के समान है। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त-सारणी में बेरिलियम द्वितीय समूह में स्थित होना चाहिए। इस दशा में बेरिलियम का परमाणु भार लीथियम के परमाणु भार (अर्थात् 7) तथा बोरॉन के परमाणु भार (अर्थात् 11) के मध्य होना चाहिये। इससे मेंडलीफ ने यह निष्कर्ष निकाला कि बेरिलियम का परमाणु भार 13.5 नहीं है तथा 9.4 है। इसके बाद प्रयोगात्मक परीक्षणों द्वारा यह प्रमाणित हो गया कि बेरिलियम का परमाणु भार लगभग 9.4 ही है। इसी प्रकार मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी से कुछ अन्य तत्वों के सही परमाणु भारों को ज्ञात करने में सहायता मिली।
- नये तत्वों की खोज तथा अनुसंधान (research) में सहायता- जैसा कि पहले बताया गया है, मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिये गये। ये रिक्त स्थान उन तत्वों से सम्बन्धित थे जिनकी खोज उस समय तक नहीं हुई थी। इन अज्ञात तत्वों के गुणों तथा परमाणु भारों की भविष्यवाणी कर दी गई थी। नये तत्वों की खोज के साथ-साथ इन रिक्त स्थानों की पूर्ति होती चली गई तथा इनके गुण तथा परमाणु भार पहले की गई भविष्यवाणी के अनुरूप थे जिससे इनकी खोज की पुष्टि हुई। स्कैण्डियम (Sc, परमाणु भार = 44.9), गैलियम (Ga, परमाणु भार = 69.7) तथा जर्मेनियम (Ge, परमाणु भार= 72.6) इसके उदाहरण हैं। इस प्रकार मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी से नये तत्वों की खोज तथा अनुसंधान में सहायता मिली।
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष
यद्यपि मेंडलीफ की मूल आवर्त-सारणी का रसायन विज्ञान के अध्ययन तथा विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथापि इसमें कुछ कमियाँ रह गई थीं जिसके कारण तत्वों के वर्गीकरण की इस योजना में परिवर्तन की आवश्यकता समझी गई। इसके प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं
1. परमाणु भारों के क्रम में परिवर्तन - मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के प्रकाशन के बाद भी विभिन्न वैज्ञानिकों ने विभिन्न तत्वों के परमाणु भारों को ज्ञात करने तथा उनका पुष्टिकरण करने के लिए विभिन्न प्रयोग किये। इन प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ कि अनेक तत्वों के परमाणु भार मेंडलीफ द्वारा सही माने गये उनके परमाणु भारों से भिन्न हैं। मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में सभी तत्वों के परमाणु भारों के प्रयोगों द्वारा स्थापित मानों को रखने पर यह पाया गया कि कहीं-कहीं परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरण के लिए-
(अ) मेंडलीफ ने टेल्यूरियम (Te) का परमाणु भार 125 तथा आयोडीन (I) का परमाणु भार 127 मानकर टेल्यूरियम को आयोडीन से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा यह स्थापित हो गया कि टेल्यूरियम का परमाणु भार 127.6 है तथा आयोडीन का परमाणु भार 126.9है। अतः ये दो तत्व मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं।
( ब ) मेंडलीफ ने कोबाल्ट (Co) का परमाणु भार 59 माना तथा निकल (Ni) का परमाणु भार 59 ही मानकर कोबाल्ट को निकल से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा स्थापित कोबाल्ट तथा निकल के परमाणु भार क्रमश: 58.933 तथा 58.71 हैं। अतः ये दो तत्व भी मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं।
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम का उल्लंघन हैं। अत: मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम तथा मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में संशोधन की आवश्यकता समझी गई।
2. अनेक नये तत्वों के लिए उचित स्थान का अभाव - कुछ नये तत्वों की खोज के बाद उनको मेंडलीफ की मूल - आवर्त सारणी में छोड़े गये रिक्त स्थानों में से उचित स्थान मिल गया और इस प्रकार मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में छोड़े गये रिक्त स्थानों की पूर्ति होती गयी।
3. समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज - समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज के बाद यह स्पष्ट हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं होता है। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं परन्तु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु भार समान होते हैं परन्तु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में समस्थानिकों तथा समभारिकों को कोई स्थान नहीं दिया जा सकता है। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में सुधार की आवश्यकता समझी गई।
4. तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु क्रमांक है - परमाणु संरचना व रेडियोएक्टिवता की खोज के बाद यह स्थापित हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं वरन् परमाणु क्रमांक है। अतः तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रख कर उनको सारणी के रूप में श्रृंखलाबद्ध करने का कोई औचित्य (justification) नहीं है।
4. तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु क्रमांक है - परमाणु संरचना व रेडियोएक्टिवता की खोज के बाद यह स्थापित हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं वरन् परमाणु क्रमांक है। अतः तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रख कर उनको सारणी के रूप में श्रृंखलाबद्ध करने का कोई औचित्य (justification) नहीं है।
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