मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी (Mendeleev's Modified Periodic Table)|hindi


मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी (Mendeleev's Modified Periodic Table)
मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी (Mendeleev's Modified Periodic Table)|hindi

परमाणु संरचना, रेडियोएक्टिवता, समस्थानिकों व समभारिकों की खोज तथा मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की असंगतियों से यह स्पष्ट हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण परमाणु भार न होकर उनका परमाणु क्रमांक होता है। इस आधार पर मोसले ने सन् 1913 में मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम में संशोधन करके एक नया नियम प्रस्तुत किया जिसे आधुनिक आवर्त नियम (Modern Periodic Law) कहते हैं।

इस नियम के अनुसार-

"तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं (The physical and chemical properties of elements are periodic functions of their atomic numbers)।"

इस कथन का अभिप्राय यह है कि तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में रखने पर एक नियमित अन्तर के बाद उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणों की पुनरावृत्ति होती है।

मेंडलीफ के आधुनिक आवर्त नियम के आधार पर मोसले ने सन् 1913 में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में रख कर एक सारणी बनायी जिसे मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी (Mendeleev's Modified Periodic Table) कहते हैं।


मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण
  1. इस सारणी में तत्वों को परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में रखा गया है।
  2. इस सारणी में 7 आवर्त (periods) है। ये 7 आवर्त दस क्षैतिज पंक्तियों द्वारा बने होते हैं जिन्हें श्रेणियाँ (series) कहते हैं। पहले, दूसरे, तीसरे व सातवें आवर्त में एक-एक क्षैतिज पंक्तियाँ है तथा चौथे, पाँचवे व छठे आवर्त में दो-दो क्षैतिज पंक्तियाँ हैं। चौथे, पांचवें व छठे आवर्त की दो-दो क्षैतिज पंक्तियों को क्रमशः सम तथा विषम श्रेणियाँ कहते हैं। पहले, दूसरे व तीसरे आवतों को लघु आवर्त (short periods) तथा चौथे, पाँचवें, छठे तथा सातवें आवतों को दीर्घ आवर्त (long periods) कहते है। पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें तथा छठे आवर्त में क्रमश: 2. 8, 8, 18, 18 तथा 32 तत्व है। सातवाँ आवर्त अपूर्ण (incomplete) है।
  3. इस सारणी में 9 समूह (groups) हैं। इन्हें वर्ग भी कहते हैं। I, II, III, IV. V. VI तथा VII समूह दो-दो ऊर्ध्वाधर कॉलमों (vertical columns) द्वारा बने होते हैं। I से VII समूह के इन ऊर्ध्वाधर कॉलमों को उप-वर्ग या उप-समूह (sub-groups) कहते हैं। इन उप-वर्गों को उप-वर्ग A तथा उप-वर्ग B कहते हैं। VIII समूह में तीन ऊर्ध्वाधर कॉलम होते हैं। इसके बाद शून्य समूह आता है जिसमें केवल एक ऊर्ध्वाधर कॉलम होता है।
  4. प्रत्येक आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है।
  5. प्रत्येक समूह में तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों में समानता पायी जाती है।
  6. प्रत्येक समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर उनके परमाणु क्रमांक बढ़ते हैं तथा साथ ही साथ उनके गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन (gradation) होता जाता है।
  7. किसी समूह की समूह संख्या उस समूह के तत्वों की संयोजकता की जानकारी देती है। शून्य, IA, IIA, IIIA तथा IVA समूह के तत्वों की संयोजकताएँ उनकी समूह संख्या के बराबर होती है। VA, VIA तथा VIIA समूह के तत्वों की संयोजकताएँ 8 में से समूह संख्या को घटा देने पर प्राप्त होती हैं। उदाहरणार्थ- द्वितीय आवर्त में IA, IIA, IIIA, IVA, VA, VIA, VIIA तथा शून्य समूह में Li, Be, B, C, N, O, F तथा Ne स्थित हैं। इनकी संयोजकताएँ क्रमशः 1, 2, 3, 4, 3.2, 1 व शून्य हैं। VIII समूह तथा B उपवर्ग के तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
  8. किसी समूह में A उप-वर्ग के तत्वों के गुण एक-दूसरे से अधिक समानता रखते हैं तथा B उप-वर्ग के तत्व एक-दूसरे से अधिक समानता रखते हैं।
  9. प्रतिरूपी या निरूपक तत्व (Typical Elements) - तृतीय आवर्त के तत्व प्रतिरूपी तत्व या निरूपक तत्व (representative or typical elements) कहलाते हैं। ये तत्व अपने समूहों में उपस्थित अन्य तत्वों का आदर्श प्रतिनिधित्व (ideal representation) करते हैं।
  10. विकर्णी सम्बन्ध (Diagonal Relationship) - द्वितीय आवर्त के कुछ तत्वों के गुण तृतीय आवर्त के उन तत्वों के गुणों से मिलते-जुलते हैं जो उनके विकर्णी अभिमुख (diagnally opposite) हैं, जैसे-द्वितीय आवर्त में लीथियम (Li) के गुण तृतीय आवर्त में मैग्नीशियम (Mg) के गुणों से मिलते-जुलते हैं। सोडियम कार्बोनेट को गर्म करने पर इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जबकि लीथियम कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट गर्म करने पर अपघटित हो जाते है

          Li2CO3 ऊष्मा → Li2O + CO2

          MgCO3 ऊष्मा → MgO + CO2


इसी प्रकार सोडियम नाइट्रेट पर ऊष्मा का प्रभाव भिन्न है तथा लीथियम नाइट्रेट व मैग्नीशियम नाइट्रेट पर ऊष्मा का प्रभाव समान है

2NaNO3 ऊष्मा → 2NaNO2 + O2

4LiNO3 ऊष्मा 2Li2O + 4NO2 + O2

2Mg(NO3)2 ऊष्मा → 2MgO + 4NO2 +02


इसी प्रकार बेरिलियम (Be) के गुण ऐलुमिनियम (AI) के गुणों से तथा बोरॉन (B) के गुण सिलिकन (Si) के गुणों से मिलते-जुलते हैं।

इस प्रकार के सम्बन्ध को विकर्णी सम्बन्ध ( diagonal relationship) कहते हैं।

11. सेतु तत्व (Bridge Elements) - तृतीय आवर्त में I से VII समूह के तत्व सेतु तत्व अथवा ब्रिज तत्व (bridge elements) भी कहलाते हैं। ये तत्व अपने समूह के दोनों उप-वर्गों के तत्वों के मध्य एक सेतु अथवा ब्रिज का कार्य करते हैं। इनके गुण अपने समूह के दोनों उप-वर्गों के तत्वों के गुणों से मिलते-जुलते हैं।

सेतु तत्वों के गुण उस उप-वर्ग के तत्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं जिनमें वे स्वयं उपस्थित होते हैं।

12. नॉर्मल तत्व (Normal Elements) - जिन तत्वों के गुण सेतु तत्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं, उन्हें सामान्य अथवा नार्मल तत्व (normal elements) कहते हैं। सेतु तत्वों को भी सामान्य अथवा नार्मल तत्व कहते हैं। सभी A उपवर्गों के तत्व नार्मल तत्व है।

13. संक्रमण तत्व (Transition Elements) - जिन तत्वों के गुण सेतु तत्वों के गुणों से कम समानता रखते हैं उन्हें संक्रमण तत्व (transition elements) कहते हैं। VIII समूह के तत्वों को भी संक्रमण तत्व कहते हैं। इस प्रकार सभी B उपवर्गों तथा VIII समूह के तत्व संक्रमण तत्व है।

14. आन्तरिक संक्रमण तत्व (Inner Transitional Elements) - परमाणु क्रमांक 57 से 71 तक के तत्वों को लैन्येनाइड श्रेणी के तत्व या लैन्थेनाइड्स (lanthanides) कहते हैं। परमाणु क्रमांक 89 से 103 तक के तत्वों को ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्व या ऐक्टिनाइड्स (actinides) कहते हैं। लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्वों के गुण एक दूसरे से अधिक मिलते-जुलते हैं। इसी प्रकार ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों के गुण एक-दूसरे से अधिक मिलते-जुलते है। परमाणु क्रमांक 58 से 71 तथा 90 से 103 तक के तत्वों को आवर्त सारणी में परमाणु क्रमांक के बढ़ते हुए क्रम में रखने पर सारणी की व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है। अत: इन तत्वों को आवर्त सारणी के बाहर अलग से दो क्षैतिज पंक्तियों में रखा गया है। एक पंक्ति में परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक के लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्व है तथा दूसरी पंक्ति में परमाणु क्रमांक 90 से 103 तक के ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्व हैं। इन दोनों प्रकार के तत्वों को आन्तरिक संक्रमण तत्व (inner transitional elements) भी कहते हैं।


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