हॉरमोन्स की परिभाषा एवं विशेषताएँ (Definition and Characteristics of Hormone)|hindi


हॉरमोन्स की परिभाषा (Definition of Hormones)

हॉरमोन्स की परिभाषा एवं विशेषताएँ (Definition and Characteristics of Hormone)|hindi



हॉरमोन (Hormone) ऐसा पारिभाषिक शब्द है जिससे अत्यधिक सक्रिय कार्बनिक यौगिक का आभास मिलता है। इसका प्रयोग सर्वप्रथम् हिप्पोक्रेटस (Hippocrates-460-377 BC) ने शरीर को सक्रिय बनाने वाले पदार्थों के लिए किया।

इसका विधिवत् उपयोग स्टारलिंग (Starling, 1905) ने "उत्तेजक पदार्थों (excitatory substances)" के लिए किया। बैलिस एवं स्टारलिंग ने सन् 1903 में Duodenum की श्लेष्मिक कला की स्रावी कोशिकाओं से सबसे पहला हॉरमोन प्राप्त किया और इसे सीक्रीटिन (secretin) का नाम दिया, क्योंकि इसने अग्न्याशय को स्रावण हेतु प्रेरित किया।

इस प्रकार सिद्ध हुआ कि, "हॉरमोन (Hormone) एक ऐसा सक्रिय संदेशवाहक पदार्थ होता है जो, किसी बाह्य या अन्तःउद्दीपन (stimulus) के कारण, शरीर के किसी भाग की अन्तःस्रावी कोशिकाओं द्वारा स्रावित होकर रुधिर में पहुँचकर पूर्ण शरीर में संचरित होता है। इसकी सूक्ष्म मात्रा ही शरीर की अन्य कोशिकाओं, प्रायः किसी विशिष्ट भाग की कोशिकाओं (लक्ष्य कोशिकाओं-target cells) की कार्यिकी को प्रभावित कर सकती है।" हॉरमोन्स की इस परिभाषा की नींव वैलिस एवं स्टारलिंग (Bayliss and Starling, 1903, 1905) के अनुसन्धानों से ही पड़ी।

इसके बाद,
न्यूरोएण्डोक्राइनोलॉजी के अन्तर्गत ग्विलेमिन (Guillemin, 1977) ने बताया कि तन्त्रिसंचारी पदार्थ (neurotransmitters or neurohumours) भी स्थानीय स्तर पर हॉरमोन्स जैसा ही काम करते हैं। अतः उन्होंने हॉरमोन्स की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की जिसके अनुसार "हॉरमोन्स ऐसे पदार्थ होते हैं जो कुछ कोशिकाओं द्वारा स्रावित होकर दूर या पास की अन्य कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं और इन लक्ष्य कोशिकाओं तक रुधिर या ऊतक द्रव्य में संचरित होकर, अथवा तन्त्रिका कोशिकाओं के एक्सॉन्स (axons) द्वारा पहुँचते हैं"।


हॉरमोन्स के भेद (Kinds of Hormones)

हॉरमोन्स की उपरोक्त नई परिभाषा के अनुसार, इनकी दो प्रमुख श्रेणियाँ होती हैं-

1. परिसंचारी या अन्तःस्रावी हॉरमोन्स (Circulating or Endocrine Hormones) : ये रुधिर के द्वारा सारे शरीर में पहुंच जाते हैं और ग्रन्थि से दूर स्थित लक्ष्य कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं।

2. स्थानीय या ऊतकीय हॉरमोन्स (Local or Tissue Hormones): ये रुधिर में न जाकर ऊतक द्रव्य में ही रहते और आस-पास की कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं- परास्रावी (paracrine) जो स्रावी कोशिकाओं के आस-पास की अन्य कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं तथा स्वःस्रावी (autocrine) जो उन्हीं कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं जिनसे ये स्रावित होते हैं।


हॉरमोन्स की विशेषताएँ (Characteristics of Hormones)

(1) हॉरमोन्स हमारे भोजन में नहीं होते हैं। ये हमारे शरीर में ही अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की या कुछ अन्य अंगों की अन्तःस्रावी कोशिकाओं द्वारा स्रावित (secreted) होते हैं।

(2) वैज्ञानिक पचास से अधिक हॉरमोन्स का पता लगा चुके हैं। यह अधिकांश हॉरमोन्स के रासायनिक संयोजनों का भी पता लग चुका है और कुछ का कृत्रिम संश्लेषण भी कर चुके है। ये चार प्रमुख श्रेणियों के कार्बनिक पदार्थ होते है प्रोटीन्स (proteins), स्टीरॉइड्स (steroids), ऐमीनो अम्लों से व्युत्पन्न पदार्थ तथा आइकोसैनॉइड्स (eicosanoids)। इनके अणु अपेक्षाकृत काफी छोटे होते हैं।

 • प्रोटीन हॉरमोन्स पैराथाइरॉइड तथा पीयूष ग्रन्थियों से और हाइपोथैलैमस एवं अग्न्याशय की अन्तःस्रावी कोशिकाओं से स्त्रावित होते हैं। ये 3 से 200 ऐमीनो अम्ल एकलकों अर्थात् मोनोमरों के बने पेप्टाइड्स (peptides) होते हैं। इनका संश्लेषण करने वाली अधिकांश कोशिकाओं की उत्पत्ति भ्रूणीय एक्टोडर्म (ectoderm) से और शेष की एण्डोडर्म (endoderm) से होती है। इनका संश्लेषण DNA के जीन्स (genes) की संकेत सूचनाओं (coded informations) के mRNA में transcription द्वारा तथा फिर कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम्स पर mRNA के translation द्वारा ठीक उसी प्रकार होता है जिस प्रकार कोशिका की अन्य प्रोटीन्स का। इनके नवसंश्लेषित अणु लम्बे और निष्क्रिय होते हैं। इन्हें पूर्वअग्र हॉरमोन (preprohormones) कहते हैं। 

 • एण्डोप्लाज्मिक जाल में इनके कुछ भाग को हटाकर इन्हें छोटे अग्र हॉरमोन (prohormone) अणुओं में बदला जाता है। ये भी निष्क्रिय होते हैं। अन्त में Golgi bodies में इन्हें और छोटे, सक्रिय हॉरमोन अणुओं में बदलकर नन्हीं कलायुक्त secretory vesicles में संग्रहित किया जाता है जो बाद में cytosol में मुक्त कर दी जाती हैं। स्रावी कोशिकाओं के तन्त्रिकीय, या हॉरमोनी या किसी अन्य संकेत सूचना द्वारा प्रेरित होने पर secretory vesicles कोशिकाकला तक पहुँचकर इससे fuse हो जाती हैं और फिर बाहर की ओर फटकर हॉरमोन को ऊतक द्रव्य में मुक्त कर देती हैं। इस प्रक्रिया को एक्सोसाइटोसिस (exocytosis) कहते हैं।

 • स्टीरॉइड हॉरमोन्स का स्रावण करने वाली कोशिकाएँ ऐड्रीनल (adrenal) ग्रन्थियों के वल्कलीय भागों तथा जनदों (gonads) में होती हैं। इनकी उत्पत्ति भ्रूणीय मीसोडर्म (mesoderm) से होती है। इनसे स्रावित हॉरमोन्स कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) से व्युत्पन्न लिपिड्स (lipids) होते हैं। अतः इन सब की अणु संरचना में स्टीरॉइड केन्द्रक (steroid nucleus) होता है। इनका संश्लेषण स्रावी कोशिकाओं के माइटोकॉण्ड्रिया तथा एण्डोप्लाज्मिक जाल में होता है।

 • ऐमीनो अम्लों से व्युत्पन्न हॉरमोन्स रचना में सबसे छोटे होते हैं। यह Hormones टाइरोसीन, हिस्टिडीन तथा ट्रिप्टोफान (tyrosine, histidine and tryptophan) से व्युत्पन्न होते हैं। टाइरोसीन से व्युत्पन्न हॉरमोन थाइरॉइड (thyroid) ग्रन्थि तथा ऐड्रीनल ग्रन्थियों के मज्जक भाग (adrenal medulla) से स्रावित होता हैं। संयोजी ऊतकों की मास्ट कोशिकाएँ (mast cells) तथा रुधिर की प्लेटलेट्स हिस्टिडीन से हिस्टैमीन (histamine) का संश्लेषण करके इसका स्रावण करती हैं। इसी प्रकार, रुधिर की प्लेटलेट्स तथा पीनियल (pineal) ग्रन्थि ट्रिप्टोफान से सीरोटोनिन (serotonin) एवं मिलैटोनिन (melatonin) हॉरमोन्स का संश्लेषण करती हैं।

 • आइकोसैनाइड्स (eicosanoids) 20-कार्बनीय वसीय अम्ल, अरैकिडोनिक अम्ल (arachidonic acid), से व्युत्पन्न पदार्थ होते हैं। ये स्थानीय हॉरमोन्स का काम करते हैं।

 • कई ऊतकों में नाइट्रिक ऑक्साइड (nitric oxide) गैस भी स्थानीय हॉरमोन का काम करती है।


(3) प्रोटीन तथा ऐमीनो अम्लों से व्युत्पन्न हॉरमोन्स जल में अघुलनशील, परन्तु अन्य वसा में घुलनशील होते हैं।

(4) हॉरमोन्स बहुत प्रभावशाली और सक्रिय पदार्थ होते हैं। इसलिए शरीर में इनकी आवश्यकता और इनका स्त्रावण अतिसूक्ष्म मात्रा में ही होता है। उदाहरणार्थ, ऐड्रीनल gland द्वारा स्रावित हॉरमोन, ऐड्रीनैलीन (adrenaline), की एक ग्राम मात्रा लगभग एक करोड़ मेंढकों के हृदयों का उद्दीपन कर सकती है। इसी प्रकार, एक ग्राम इन्सुलिन (insulin) हॉरमोन लगभग एक लाख व्यक्तियों के रुधिर में ग्लूकोस की मात्रा को कम कर सकता है।

(5) हॉरमोन्स का, इनकी स्रावी कोशिकाओं के अलावा, शरीर में कहीं और संचय नहीं होता है। सामान्यतः अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ शरीर की आवश्यकतानुसार इनका स्रावण करती रहती हैं। जिन हॉरमोन्स का लक्ष्य कोशिकाओं द्वारा उपयोग नहीं होता उनका यकृत कोशिकाएँ रुधिर से हटाकर विघटन करती रहती हैं। विघटन के फलस्वरूप बने अपजात पदार्थ पित्त (bile) के माध्यम से मल (faeces) के साथ या रुधिर में मुक्त होकर kidney में पहुँचने पर मूत्र के साथ उत्सर्जित कर दिए जाते हैं। ऐसे Hormones जिनकी आवश्यकता लंबे समय तक होती है उनका स्रावण थोड़े-थोड़े अन्तराल पर लगातार होता रहता है।

(6) रुधिर में जाते समय प्रोटीन हॉरमोन्स तथा ऐड्रीनल मेड्यूला के हॉरमोन्स, जल में घुलनशील होने के कारण, प्लाज्मा में स्वतन्त्र रूप से घुले रहते हैं। इसके विपरीत, स्टीरॉइड हॉरमोन्स तथा थाइरॉइड ग्रन्थि के हॉरमोन, जल में अघुलनशील होने के कारण, प्लाज्मा की कुछ विशेष प्रकार की परिवहन प्रोटीन्स (transport proteins) से अनुबन्धित और निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं। रुधिर से ऊतक द्रव्य में जाते समय यह अनुबन्धित प्रोटीन्स से मुक्त होकर सक्रिय अवस्था में आते हैं। फिर target cells इन्हें ऊतक द्रव्य से ग्रहण कर लेती हैं।

(7) कुछ हॉरमोन्स का शरीर की सारी कोशिकाओं पर, परन्तु अधिकांश का कुछ सुनिश्चित कोशिकाओं पर ही सुनिश्चित प्रभाव होता है। इन कोशिकाओं को सम्बन्धित हॉरमोन्स की लक्ष्य कोशिकाएँ (target cells) कहते हैं। क्योंकि हॉरमोन्स तो रुधिर के साथ शरीर के प्रत्येक ऊतक में पहुँचते हैं, उपयुक्त हॉरमोन्स को ऊतक द्रव्य से ग्रहण करने का रासायनिक प्रबन्ध स्वयं लक्ष्य कोशिकाओं में होता है। इससे स्पष्ट है कि प्रत्येक हॉरमोन में निहित संदेश एक coded information के रूप में होता है जिसकी decoding केवल इसकी लक्ष्य कोशिकाएँ ही कर सकती हैं।

(8) हॉरमोन्स लक्ष्य कोशिकाओं की एकाकी उपापचयी अभिक्रियाओं (metabolic reactions) में सीधे भाग न लेकर विभिन्न अभिक्रियाओं के एन्जाइमों के संश्लेषण और क्रियाशीलता स्तरों (activity levels) को प्रभावित करते हैं। जिसके फलस्वरूप उपापचयी प्रक्रियाओं (metabolic processes) की दर और स्वरूप तथा कोशिकाकला की पारगम्यता बदल सकती है। उदाहरण के लिए, थाइरॉक्सिन (thyroxine) हॉरमोन शरीर की सारी कोशिकाओं के माइटोकॉण्ड्रिया में पहुँचकर ऑक्सीकरण प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे ATP के संश्लेषण की दर बढ़ जाती है।

(9) कुछ हॉरमोन्स के रासायनिक संयोजन में स्तनियों की विभिन्न जातियों के बीच महत्त्वपूर्ण अन्तर होता है, परन्तु अधिकांश हॉरमोन्स में यह जातीय विशिष्टता (species specificity) नहीं होती है। अतः एक जाति के इन हॉरमोन्स का अन्य जाति के सदस्यों में उपयोग किया जा सकता है।

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