स्फीति दाब (Turgor Pressure = TP) परिभाषा, उदाहरण |hindi


स्फीति - दाब (Turgor Pressure = TP) एवं भित्ति-दाब (Wall Pressure = WP)

स्फीति - दाब (Turgor Pressure = TP) परिभाषा, उदाहरण |hindi

कोशाद्रव्य (cytoplasm) और उसमें पाये जाने वाले कोशिकांग (cell organelles) जीवद्रव्य कला (plasmalemma) से घिरे रहते हैं । जीवद्रव्य कला के बाहर सेलुलोस की बनी कोशा भित्ति (cell wall) होती है। जिस समय एक कोशा को जल में रखा जाता है रिक्तिका रस (vacuolar sap) का परासरण दाब अधिक होने के कारण, जल के अणु बाहर से कोशा में विसरित होते हैं जिसके कारण जीवद्रव्य फैलता है और जीवद्रव्य कला (plasmalemma) कोशिका भित्ति (cell wall) के ऊपर दाब डालती है।

वह दाब जिसके कारण जीवद्रव्य कला कोशा-भित्ति के ऊपर दाब डालती है स्फीति-दाब (turgor pressure) कहलाता है।

(The pressure that develops in a cell from time to time due to osmotic diffusion of water memories bringing back molecules into a cell that causes stretching of the cell wall is called turgor pressure.)

कोशा-भित्ति, दृढ़ होने के कारण स्फीति-दाब के बराबर परन्तु उल्टी दिशा में जीवद्रव्य पर दाव डालती है जिसे भित्ति-दाब (wall pressure) कहते हैं।

(Due to turgor pressure rigid cell wall offers resistance. This resistance which works in a direction opposite to turgor pressure but is equal in strength to turgor pressure is called wall pressure.)

स्फीति - दाब (Turgor Pressure = TP) परिभाषा, उदाहरण |hindi

इन दोनों दाबों के कारण कोशा स्फीति अवस्था में रहती है। कोशा में जल की कमी होने पर स्फीति-दाब कम हो जाता है जिसके कारण पत्तियाँ स्फीति अवस्था खोकर मुरझा जाती हैं।

कोशिका में जल की माँग उस समय तक बनी रहती है जब तक स्फीति दाब परासरण दाब के बराबर नहीं हो जाता। यहाँ पानी की कोशिका में माँग को सक्शन प्रैशर या अवशोषण क्षमता (absorbing power) या अधिक उचित रूप में विसरण दाब की कमी या पानी की कमी (water deficit) कह सकते हैं। यदि परासरण दाब = OP, स्फीति दाब = TP [जो स्वयं रसदाब = SP या इस अवस्था में भित्तिदाब के बराबर होता है।] और विसरण दाब की कमी या पानी की कमी = DPD हो तो DPD का मान होगा-

DPD = OP-TP (SP)

अब यदि कोशिका आसुत जल के स्थान पर किसी विलयन (घोल) में रखी है तो उस घोल का परासरण दाब DPD को कम कर देगा। उस दशा में यदि बाहर के घोल का परासरण दाब OP₁ हो तो यदि दो कोशिकाएँ पास-पास (सटी हुई) हैं और दोनों कोशिकाओं के कोशिका रस के सान्द्रण में अन्तर है तो दोनों के कोशिका रस में परासरण होता है। इसी प्रकार पौधों में जल, एक कोशिका से दूसरी कोशिका में पहुँचता है। यह कार्य दो कोशिकाओं की DPD में अन्तर के कारण हो रहा है, जो दोनों के अपने-अपने कोशिका रस के कारण अलग-अलग होता है।


स्फीति दाब का महत्त्व (Importance of Turgor Pressure)

(1) इससे शाकीय पौधों को यान्त्रिक शक्ति प्राप्त होती है।

(2) स्फीति दाब के कारण जल तथा खनिज पदार्थों का अवशोषण एवं स्थानान्तरण प्रभावित होता है।

(3) कोशिकाएँ अपने निर्धारित आकार एवं आकृति को बनाए रखती हैं।

(4) कभी-कभी अधिक स्फीति दाब के कारण पौधों पर लगे फल फट जाते है, जैसे-अधिक सिंचाई करने से तरबूज, खरबूजे फट जाते हैं।




FAQs

1. टर्गर प्रेशर कैसे बनता है?

Ans. टर्गर प्रेशर, जिसे कोशिका दबाव भी कहा जाता है, कोशिका के अंदर पानी के दबाव से बनता है। यह दबाव कोशिका झिल्ली और उसके अंदर मौजूद अर्धपारगम्य झिल्ली के बीच होता है।

यह कैसे बनता है:

  • पानी का प्रवेश: जब पानी कोशिका में प्रवेश करता है, तो यह अर्धपारगम्य झिल्ली से गुजरता है, लेकिन कोशिका झिल्ली से नहीं। यह झिल्ली के अंदर पानी की मात्रा बढ़ाता है।
  • दबाव का निर्माण: पानी की बढ़ती मात्रा कोशिका झिल्ली पर दबाव डालती है, जिसे टर्गर प्रेशर कहा जाता है।
  • संतुलन: कोशिका में पानी का प्रवाह तब तक जारी रहता है जब तक कि टर्गर प्रेशर बाहरी वातावरण के दबाव के बराबर न हो जाए।

2. स्फीति क्या है?

Ans. स्फीति कोशिकाओं में टर्गर प्रेशर के बढ़ने के कारण होता है। जब टर्गर प्रेशर कोशिका झिल्ली की सहनशीलता से अधिक हो जाता है, तो कोशिका फूल जाती है और फट सकती है। यह अक्सर तब होता है जब कोशिकाओं को बहुत अधिक पानी मिलता है।


3. परासरण दाब क्या होता है?

Ans. परासरण दाब वह दबाव है जो अर्धपारगम्य झिल्ली के दोनों तरफ विलयन की सांद्रता में अंतर के कारण उत्पन्न होता है। यह दबाव पानी को कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सांद्रता वाले विलयन में जाने के लिए प्रेरित करता है।


4. क्या होता है जब टर्गर प्रेशर कम हो जाता है?

Ans. जब टर्गर प्रेशर कम हो जाता है, तो कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं। यह अक्सर तब होता है जब कोशिकाओं को पर्याप्त पानी नहीं मिलता है।

कम टर्गर प्रेशर (Turgor Pressure = TP) के प्रभाव
  • पौधे मुरझा जाते हैं
  • पत्तियां पीली हो जाती हैं
  • कोशिकाओं का कार्य बाधित होता है
  • गंभीर मामलों में, कोशिकाएं मर सकती हैं

टर्गर प्रेशर (Turgor Pressure = TP) का महत्व

टर्गर प्रेशर पौधों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
  • कोशिकाओं को अपना आकार बनाए रखने में मदद करता है
  • पौधों को सीधा खड़ा रहने में मदद करता है
  • पानी और पोषक तत्वों के परिवहन में मदद करता है
  • प्रकाश संश्लेषण और अन्य चयापचय क्रियाओं में मदद करता है

No comments:

Post a Comment