कोशिका के भाग (Parts of a Cell)
विकसित कोशिका के 3 महत्वपूर्ण भाग होते है -
- जीवद्रव्य (Protoplasm)
- रिक्तिका या रसधानी (Vacuoles)
- कोशिका भित्ति (Cell Wall)
जीवद्रव्य के दो भाग होते है -
A- केन्द्रक(Nucleus)
B- कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)
B- कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)
A-केन्द्रक (Nucleus)- केन्द्रक के चार भाग होते है -
- केन्द्रक कला(Nuclear membrane)
- केन्द्रक द्रव्य(Nucleoplasm)
- क्रोमेटिन जाल(Chromatin network)
- केन्द्रिका(Nucleolus)
B-कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)- कोशिका द्रव्य के तीन भाग होते है -
- सक्रिय पदार्थ (Active material)
- कोशिका द्रव्य कला (Cytoplasmic membrane)
- निष्क्रिय पदार्थ (Inactive material)
1-सक्रिय पदार्थ (Active materials)-सक्रिय पदार्थो के अंतर्गत निम्न पदार्थ आते है -
2-निष्क्रिय पदार्थ (Inactive materials)- निष्क्रिय पदार्थो के अंतर्गत निम्न पदार्थ आते हैं -
a- संचित पदार्थ (Reserve product)
b- स्त्रावी पदार्थ (Secretory product)
c-उत्सर्जी पदार्थ (Excretory product)
a-संचित पदार्थ (Reserve product) -
- कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate )
- नाइट्रोजनयुक्त पदार्थ(Nitrigenous products
- वसा और तेल (Fats and Oils)
b-स्त्रावी पदार्थ (Secretory products) -
- एल्केलॉइड्स (Alkaloids)
- ग्लूकोसाइड्स (Glucosides)
- वाष्पशील सुगन्धित तेल (Essential Oil)
- गोंद (Gums)
- खनिज क्रिस्टल (Mineral crystals)
- कार्बनिक अम्ल (Organic acids)
जीवद्रव्य (Protoplasm)क्या है?-
- जीवद्रव्य जीवन का सार है। हक्सले के शब्दों में जीवद्रव्य जीवन की भौतिक आधारशिला है।
- जीवद्रव्य से रहित कोशिकाएं मृत कोशिकाएं कहलाती है ,जैसे -कॉर्क की कोशिकाएं।
- जीवद्रव्य की खोज डुजार्डिन (Dujardin) नामक वैज्ञानिक ने 1835 में की परन्तु इसके लिए सार्कोड (Sarcode) शब्द का प्रयोग किया।
- बाद में परकिंजे (Purkinje,1837) नामक वैज्ञानिक ने इसे सर्वप्रथम जीवद्रव्य (Protoplasm)नाम दिया
- Hugo von Mohl, 1846 ने पादप कोशिका के जीवद्रव्य का वर्णन किया और उसका महत्त्व बतलाया।
जीवद्रव्य के भौतिक गुण (Physical Properties of Protoplasm)
यह विभिन्न पदार्थो के अनेक अतिसूक्ष्म कणों का जलीय विलयन है। इस कारण से यह सूक्ष्मदर्शी में चिपचिपा (viscous),लचीला (elastic)और कणिकामय (granular)दिखलाई देता है। इसे एक धागे के समान खींचा जा सकता है,जो छोड़ने पर पुनः अपने स्थान पर वापस आ जाता है। इसमें एक या भिन्न-भिन्न आकार की अनेक रिक्तिकाएँ के कारण यह फेनयुक्त दिखाई देता है। यह वाह्य उत्तेजनाओं (outer stimuli)जैसे -गर्मी ,बिजली के आघात ,रासायनिक पदार्थों से अनुक्रिया (response) करता है। उत्तेजनशीलता जीवद्रव्य का जन्मजात लक्षण है।
जीवद्रव्य कई प्रवाही गति दिखलाता है जो इस प्रकार है -
A- जीवद्रव्य भ्रमण(Cyclosis)-यह भ्रमण दो प्रकार के होते है -
- यदि जीवद्रव्य एक कोशिका के अंदर रिक्तिका के चारो ओर केवल एक दिशा में ही धूमता है तो उसे घूर्णन(rotation) कहते है। जैसे-हाइड्रिला की पत्ती में और वैलिस्नेरिअ (Vallisneria)
- यदि जीवद्रव्य एक ही कोशिका में अनेक दिशाओ में घूमता है तो इसे परिसंचरण(circulation)कहते है। जैसे -Tradescantia के पुंकेसरीय रोम में।
B- पक्षमाभिकीय गति (Ciliary movement)- इसमें सिलिआ के द्वारा गति होती है। जैसे क्लैमिडोमोनस (Chlamydomonas)
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chlamydomonas |
C- अमीबिय गति (Amoeboid movement)- जीवद्रव्य कूटपाद के द्वारा गति करते है। जैसे -अवपंक फफूंदी (Slime mold)
जीवद्रव्य एक जटिल (Complex),बहुकलीय (Polyphasic) कोलाइडी तंत्र (Colloidal system) है। जीवद्रव्य का सबसे महत्वपूर्ण भौतिक गुण उसका कोलाइडी होना है।
जीवद्रव्य की प्रकृति (Nature of Protoplasm)
इसकी प्रकृति के विषय में कई तथ्य प्रस्तुत किये गए जो इस प्रकार है -
1-जालिका सिद्धान्त (Reticular theory)-जीवद्रव्य एक महीन जाली के रूप में कोशिका में रहता है।
2-तंतुमय सिद्धान्त (Fibrillar theory)- जीवद्रव्य महीन रेशों के रूप में कोशिका में रहता है।
3-दानेदार सिद्धान्त (Granular theory)-जीवद्रव्य एक सूक्ष्म दानेदार पदार्थ है।
4-वायुकोष्ठिकामय सिद्धान्त (Alveolar theory)-जीवद्रव्य एक द्रव्य की अतिसूक्ष्म बूंदो का समूह है जो एक-दूसरे तरल पदार्थो में फैले रहते है। इस प्रकार से यह एक पायस (emulsion) है। यह सिद्धांत आधुनिक विचारधारा से अधिक मिलता है।
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A-जालीदार, B -तन्तुमय, C -दानेदार, D -वायुकोष्टिकमय |
जीवद्रव्य का रासायनिक संगठन (Chemical Composition of Protoplasm)
जीवद्रव्य एक बहुत जटिल पदार्थ है। इसका विश्लेषण करते समय इसकी मृत्यु हो जाती है,इस कारण यह जानना कठिन हो जाता है कि यह जीवित अवस्था में किस प्रकार का होता है।
- जल में उगने वाले पौधों में जल 95 %तक होता है।
- सुप्त अवस्था में रहने वाले भागो के जीवद्रव्य में जल 10 -15 %तक होता है।
- सूखे पदार्थो में 99 %कार्बनिक पदार्थ और शेष अकार्बनिक पदार्थ होते है।
- अकार्बनिक पदार्थ आयनिक अवस्था में होते है। मुख्या धनायन कैल्शियम ,पोटैशियम ,मैगनीशियम और आइरन है। मुख्या ऋणायन नाइट्रेट, सल्फेट,बाइकार्बोनेट और क्लोराइड है। खनिज तत्त्व पौधे के विभिन्न कोशिकाओं पर विशेष प्रभाव डालते है तथा कोशिका व वातावरण के बीच परासरण (osmosis) की क्रिया में इनकी विशेष भूमिका है।
- कार्बनिक पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट कार्बन ,हाइड्रजन और ऑक्सीजन के यौगिक है ,जिनमे बाद के दो तत्त्व 2 :1 के अनुपात में होते है। ग्लूकोस,फ्रक्टोज़,सुक्रोस मुख्य कार्बोहाइड्रेट है जो जीवद्रव्य में पाए जाते है। इनका मुख्या कार्य ऊर्जा (energy) प्रदान करना है जो कोशिका के बहुत से कार्यों के लिए आवश्यक है।
- विभिन्न प्रकार के लिपिड भी जीवद्रव्य की रचना में भाग लेते है और ऊर्जा उत्पन्न करते है ,उनमे भी कार्बन ,हाइड्रजन और ऑक्सीजन होते हैं परन्तु कार्बोहाइड्रेट की तुलना में इसमें ऑक्सीजन काम होती है।
- प्रोटीन (कुल ठोस पदार्थो का 64 %) जीवद्रव्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसमें कार्बन हाइड्रोजन आदि बहुत से तत्त्व पाए जाते है। यह सबसे जटिल अणु होता है जीवद्रव्य का। जीवद्रव्य में होने वाले असंख्य रासायनिक परिवर्तन enzymes से होते है। यह भी एक प्रकार के प्रोटीन होते है जिनकी रचनात्मक इकाई ऐमीनो अम्ल होते है (अमीनो अम्ल 20 विभिन्न प्रकार के होते है जो संघनन करके भिन्न प्रकार के प्रोटीन बन जाते है)।
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जीवद्रव्य का रासायनिक संगठन |
- दिए गए रासायनिक पदार्थो के साथ ही इसमें विभिन्न प्रकार के वर्णक,विटामिन,enzymes,एल्केलॉइड्स आदि पदार्थ होते है जिनके विभिन्न कार्य होते है।
- कोशिकाओं में pH बदलता रहता है एक ही कोशिका में pH समय समय पर बदलता रहता है जिसकी जानकारी pH को चेक करते समय होती है जो भिन्न भिन्न परिणाम देता है परन्तु सामान्य रूप से pH को 7 ही माना जाता है।
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