परासरण दाब (Osmotic Pressure = OP) : परिभाषा, उदाहरण|hindi


परासरण दाब (Osmotic Pressure = OP)  तथा परासरणी सान्द्रता (Osmotic concentration)
परासरण दाब (Osmotic Pressure = OP) : परिभाषा, उदाहरण|hindi

किसी विलयन का परासरण दाब (osmotic pressure) वह दाब है जो उस विलयन की अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक (अथवा कम सान्द्रता वाले विलयन) से पृथक् करने पर अधिक सान्द्रता वाले विलयन में विलायक के परासरण के कारण उत्पन्न हो सकता है।

वास्तव में परासरण दाब उस द्रव-स्थैतिक दाब के बराबर होगा जो अधिक सान्द्रता वाले विलयन में उत्पन्न होता है। दूसरे शब्दों में—

"परासरण दाब वह दाब है जो किसी विलयन पर बाहर से अनुप्रयुक्त करने पर विलायक के उस परासरण को रोकती है जो उस विलयन को उसके विलायक से अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करने पर विलयन की ओर होता है।"

(in english)
"(The pressure required to prevent the passage of pure water into an aqueous solution through a semipermeable membrane thereby preventing an increase in the volume of that solution.)"



परासरणी सान्द्रता (Osmotic concentration) —किसी विलयन के प्रति इकाई आयतन में परासरण रूप से सक्रिय विलेय कणों (osmotically active solute particles), अर्थात् घुलित पदार्थों की कुल मात्रा को परासरण सान्द्रता कहते हैं। यदि किसी विलयन में अनेक प्रकार के विलेय (solutes) हैं, जैसा कि जीवित कोशा में होता है, तो परासरण सान्द्रता विलयन के इकाई आयतन में घुलित उन सभी विलेयों के कणों (particles) से निर्धारित होगी।

जब कोई विलेय आयनों में टूट जाता है तो प्रत्येक आयन एक पृथक् कण (particle) के रूप में कार्य करता है, जैसे नमक के विलयन में नमक का अणु (NaCl) सोडियम आयन (Na+) तथा क्लोराइड आयन (Cl-) में विभक्त हो जाता है। ये दोनों आयन्स, दो कणों के रूप में कार्य करते हैं। दो विभिन्न विलयनों को यदि अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् किया जाये तो जल का शुद्ध गमन (net movement) परासरणीय रूप से कम सक्रिय कणों के विलयन से परासरण रूप से अधिक सक्रिय कणों के विलयन की ओर, अर्थात् कम परासरणीय सान्द्रता वाले विलयन से अधिक परासरणीय सान्द्रता वाले विलयन की ओर होता है।
परासरण दाब (Osmotic Pressure = OP) : परिभाषा, उदाहरण|hindi

जैसे यदि U नली की A भुजा में 1 M सान्द्रता का शर्करा का विलयन तथा B भुजा में इतनी ही सान्द्रता का नमक का विलयन लेकर इन्हें अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् किया जाये तो जल A भुजा, (शर्करा के घोल) से B भुजा (नमक के घोल) में जायेगा। इसका कारण यह है कि नमक के अणु Na+ तथा CI- में टूट जाते हैं, दोनों आयन पृथक् कणों के रूप में कार्य करते हैं जिससे नमक के घोल की परासरण सान्द्रता दुगुनी हो जाती है।



No comments:

Post a Comment