पत्ती की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Leaf)|hindi


पत्ती की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Leaf)
पत्ती की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Leaf)|hindi

पत्ती पौधे का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है जिसके द्वारा पौधे की अधिकतर क्रियाएं पूरी होती है। इसके द्वारा पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसी पत्ती की आतंरिक संरचना का आज हम विस्तारपूर्वक वर्णन करेंगे। 

आन्तरिक रचना के आधार पर पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं -
  1. पृष्ठाधरी (Dorsiventral) पत्ती,
  2. समद्विपार्श्विक (Isobilateral) पत्ती

I. पृष्ठाधरी पत्ती की आन्तरिक रचना

साधारणतया इस प्रकार की पत्तियाँ क्षैतिज (horizontal) दिशा में रहती हैं। अतः सूर्य का प्रकाश इनकी ऊपरी सतह पर अधिक पड़ता है। इस प्रकार की पत्तियाँ द्विबीजपत्री पौधों में मिलती हैं।

आम (Mango) की पृष्ठाधरी पत्ती की आन्तरिक रचना

आम की पत्ती की अनुप्रस्थ काट सूक्ष्मदर्शी से देखने पर निम्नलिखित संरचनाएँ स्पष्ट होती हैं -

1. ऊपरी बाह्यत्वचा (Upper epidermis) - यह सबसे बाहरी परत होती है जिसमें मृदूतक कोशाएँ (parenchyma cells) एक कतार में एक-दूसरी से सटी हुई पायी जाती हैं। इस परत के ऊपर एक और परत पाई जाती है जिसे उपत्वचा (cuticle) कहते है। इसकी ऊपरी बाह्य त्वचा में हरितलवक (chloroplast) तथा रन्ध्र (stomata) नहीं पाये जाते हैं।

2. निचली बाह्यत्वचा (Lower epidermis)— यह परत ऊपरी बाह्यत्वचा की भाँति होती है लेकिन इसमें रन्ध्र (stomata) पाये जाते हैं। ऐसी पत्ती को अधोरन्ध्री (hypostomatic) कहते हैं। इसकी बाह्यत्वचा की कोशिकाओं में हरितलवक (chloroplast) नहीं पाये जाते परन्तु ये रन्ध्रों की guard cells में पाये जाते हैं। प्रत्येक रन्ध्र (stomata) के भीतर की ओर एक कक्ष होता है जिसको अधोरन्ध्रीय कोष्ठ (sub-stomatal chamber) कहते हैं। यह कक्ष गैसों के आदान-प्रदान में सहायता करता है। अतः इसको श्वसन कक्ष (respiratory cavity) भी कहते हैं। जलवाष्प के पौधों से बाहर निकलने में भी ये कक्ष सहायता करते हैं।

3. पर्णमध्योतक (Mesophyll) - ऊपरी तथा निचली बाह्यत्वचाओं के मध्य में पाये जाने वाले ऊतक को Mesophyll कहते हैं। इसको रचना के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
  • खम्भ मृदूतक (Palisade parenchyma) —इसमें कोशिकाएं कुछ लम्बी होती हैं और बाह्यत्वचा के साथ लम्बकोण बनाती हैं जिनमें हरितलवक (chloroplast) पाया जाता है। इन कोशाओं के मध्य अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) नहीं होते हैं। यह सूर्य के प्रकाश में पौधों के लिये शर्करा का निर्माण करती है।
  • स्पंजी मृदूतक (Spongy parenchyma) - यह खम्भ मृदूतक के नीचे पाया जाता है। इसमें कोशिकाएं लगभग गोलाकार अथवा अण्डाकार होती हैं जो बिखरी हुई-सी व्यवस्थित रहती हैं। इन कोशाओं में भी हरितलवक उपस्थित रहते हैं। इन कोशाओं के मध्य में बड़े अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) पाये जाते हैं। ये स्थान एक-दूसरे से सम्बन्धित रहते हैं और स्टोमेटा के द्वारा बाहर की ओर खुलते हैं। इनमें उपस्थित अन्तराकोशीय स्थान गैसों के विसरण (diffusion) में सहायता करते हैं।
पत्ती की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Leaf)|hindi


4. संवहन बण्डल (Vascular bundles) - संवहन बण्डल अनियमित रूप से Spongy parenchyma में बिखरे रहते हैं। जिन पत्तियों में मध्य शिरा (midrib) पायी जाती है (उदाहरण के लिए, आम) उनमें मध्य शिरा (midrib) का संवहन बण्डल अन्य बण्डलों की अपेक्षा बड़ा होता है। संवहन बण्डल संयुक्त (conjoint) बहि:फ्लोएमी (collateral) तथा बन्द (closed) होते हैं। प्रत्येक संवहन बण्डल (vascular bundles) के चारों ओर parenchyma cells की एक परत पायी जाती है जिसको बण्डल छाद (bundle sheath) कहते हैं। संवहन बण्डल के ऊपर तथा नीचे मृदूतक (parenchyma) अथवा स्थूलकोण ऊतक (collenchyma) की कुछ कोशिकाएं बाह्यत्वचा तक फैली रहती हैं। जाइलम में वाहिनिकाएँ (tracheids), वाहिकाएँ (tracheae), काष्ठ तन्तु (wood fibres) तथा काष्ठ मृदूतक (wood parenchyma) पाया जाता है। जाइलम जल तथा खनिज लवणों का diffusion करने का कार्य करता है। फ्लोएम में चालनी नलिकाएँ (sieve tubes), सह-कोशाएँ (companion cells) तथा बहुत ही थोड़ी मात्रा में फ्लोएम मृदूतक कोशाएँ भी पायी जाती हैं। फ्लोएम कार्बनिक भोज्य पदार्थों के वितरण का कार्य करता है। जाइलम ऊपरी बाह्यत्वचा की ओर तथा फ्लोएम नीचे की ओर होता है। प्रोटोजाइलम सदा ऊपरी बाह्यत्वचा की ओर रहता है। मध्य शिरा के दोनों ओर पाये जाने वाले संवहन बण्डलों में जाइलम तथा फ्लोएम कम मात्रा में होता है।


II. समद्विपार्श्विक पत्ती की आन्तरिक रचना

इस तरह की पत्ती एकबीजपत्री पौधों में मिलती है। इस पत्ती को सूर्य का प्रकाश दोनों तरफ समान रूप से मिलता है, क्योंकि यह सीधी (erect) अवस्था में उगती है।

मक्का (Maize) की पत्ती की आन्तरिक रचना

मक्का की पत्ती समद्विपार्श्विक (isobilateral) होती है। इसकी महीन अनुप्रस्थ काट को सूक्ष्मदर्शी (microscope) में देखने पर निम्नलिखित संरचनाएँ स्पष्ट होती हैं -

  1. बाह्यत्वचा (Epidermis) — दोनों सतहों की बाहरी परत को बाह्यत्वचा कहते हैं। यह एक कोशा मोटी होती है। दोनों बाह्यत्वचाओं के ऊपर मोटी उपत्वचा (cuticle) तथा रन्ध्र (stomata) पाये जाते हैं ऐसी पत्ती को उभयरन्ध्री (amphistomatic) कहते हैं। बाहरी स्तर पर बुलीफॉर्म (bulliform or motor) कोशाएँ पायी जाती हैं। ये कोशिकाएं अन्य बाह्यत्वचा कोशिकाओं से बड़ी होती हैं। वाष्पोत्सर्जन (transpiration) अधिक होने पर ये कोशाएँ अपनी स्फीति (turgidity) खोकर अपने धरातल पर मुड़ जाती हैं इससे पत्ती rolled हो जाती है, रन्ध्र अन्दर हो जाते हैं जिससे वाष्पोत्सर्जन कम हो जाता है।
  2. पर्णमध्योतक (Mesophyll) — Mesophyll, खम्भ (palisade) तथा स्पंजी (spongy) ऊतक में भिन्नित नहीं होता है। इसकी कोशिकाएँ समव्यासी (isodiametric) होती हैं और परस्पर सटी रहती हैं। इसी कारण इस ऊतक में अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) कम और आकार में छोटे होते हैं। इन कोशाओं में हरितलवक (chloroplast) होते हैं जो कि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन-निर्माण करते हैं।
  3. संवहन बण्डल (Vascular bundles) - संवहन बण्डल एक-दूसरे के समानान्तर स्थित होते हैं। ये बहिःफ्लोएमी (collateral), तथा बन्द (closed) होते हैं। संवहन बण्डल के चारों ओर मृदूतक कोशाओं की बनी बण्डल छाद (bundle sheath) होती है जिसमें मण्ड कण पाये जाते हैं। संवहन बण्डल में फ्लोएम नीचे की ओर तथा जाइलम ऊपर की ओर स्थित होता है। प्रत्येक बण्डल के ऊपर तथा नीचे दृढ़ ऊतक (Sclerenchyma) के समूह पाये जाते हैं।
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