परासरण (Osmosis) तथा विसरण (Diffusion) : परिभाषा, उदाहरण, महत्व|hindi


परासरण (Osmosis) तथा विसरण (Diffusion) : परिभाषा, उदाहरण, महत्व
परासरण (Osmosis) तथा विसरण (Diffusion) : परिभाषा, उदाहरण, महत्व|hindi

विसरण अथवा प्रसरण (Diffusion)

परासरण (osmosis) को समझने से पहले हमें प्रसरण (diffusion) को समझना आवश्यक है। जिस समय रसायन प्रयोगशाला में हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) गैस बनाते हैं तो वह प्रयोगशाला में फैल जाती है। इसी प्रकार यदि किसी घुलनशील पदार्थ ( विलेय =solute), जैसे शर्करा को किसी विलायक (solvent) जैसे जल में रखा जाये तो कुछ देर पश्चात् विलेय के कण सारे विलायक में फैल जाते हैं। यह वास्तव में इसलिये होता है कि गैस, द्रव तथा ठोस सभी पदार्थों के अणुओं (molecules) अथवा आयन्स (ions) में अधिक सान्द्रता (concentration) वाले भाग से कम सान्द्रता वाले भागों की ओर जाने का गुण होता है।

"Diffusion is the movement of molecules or ions of a gas, liquid or solid from an area of their greater concentration to an area of lesser concentration."

यह क्रिया उस समय तक चलती रहती है जब तक किसी पदार्थ के अणु प्राप्त स्थान में समान रूप से न फैल जायें। इस क्रिया को प्रसरण (diffusion) कहते हैं। एक पदार्थ का प्रसरण दूसरे पदार्थ के प्रसरण से पूर्णतः स्वतन्त्र होता है। प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस पत्तियों द्वारा ली जाती है और ऑक्सीजन पत्तियों से बाहर निकलती है। यह इस कारण होता है कि ऑक्सीजन की सान्द्रता पत्ती के अन्तराकोशीय स्थानों में वायुमण्डल की अपेक्षा अधिक होती है और कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता वायुमण्डल की अपेक्षा पत्ती के अन्तराकोशीय स्थानों में कम होती है। अतः ऑक्सीजन का प्रसरण भी पत्ती से वायुमण्डल में होने लगता है, जबकि इसी समय कार्बन डाइऑक्साइड का प्रसरण वायुमण्डल से पत्ती में होता है।

परासरण (Osmosis) तथा विसरण (Diffusion) : परिभाषा, उदाहरण, महत्व|hindi

प्रसरित (diffuse) होने वाले कण जिस माध्यम में प्रसरित होते हैं उस पर दाब डालते हैं जिसे प्रसरण दाब (diffusion pressure) कहते हैं। यह दाब प्रसरण कणों की सान्द्रता के पूर्वार्द्ध अनुपात में होता है, अर्थात् यह दाब उस स्थान पर अधिक होता है जहाँ प्रसरण पदार्थ ( diffusion substance) रखा होता है।



परासरण (Osmosis)

यदि एक यू-नली (U-tube) के बायें भाग में शर्करा का 10% घोल लिया जाये और दायें भाग में जल डाला जाये तो पहले जल और शर्करा के घोल अलग-अलग रहेंगे, परन्तु शीघ्र ही प्रसरण (diffusion) के नियम के अनुसार शर्करा के अणु जल में प्रसरित होने लगेंगे तथा जल के अणु शर्करा में प्रसरित होने लगेंगे, क्योंकि जल में जल के अणुओं की सान्द्रता अधिक है और शर्करा के विलयन में शर्करा के अणुओं की सान्द्रता अधिक है। यह विसरण क्रिया है।

यदि यू-नली (U-tube) के बीच में दोनों पदार्थों को अलग करती हुई सेलुलोस (cellulose) की बनी एक भित्ति या फिल्टर कागज लगा दिया जाये तब भी ऊपर लिखे अनुसार ही शर्करा और जल के अणु प्रसरित होंगे, क्योंकि सेलुलोस की भित्ति या फिल्टर कागज जो स्वयं सेलुलोस होता है एक पारगम्य झिल्ली (permeable membrane) के समान कार्य करता है। एक पारगम्य झिल्ली के द्वारा विलायक (solvent) व विलेय (solute) दोनों के अणुओं का एक ओर से दूसरी ओर प्रसरण होता है। पौधों में सेलुलोस (cellulose) से बनी कोशा-भित्ति पारगम्य झिल्ली होती है।

परासरण (Osmosis) तथा विसरण (Diffusion) : परिभाषा, उदाहरण, महत्व|hindi


यदि यू-नली (U-tube) के बीच में दोनों पदार्थों को अलग करती हुई रबर की एक झिल्ली लगा दी जाये तब इसके द्वारा विलेय (solute) या विलायक (solvent) दोनों के ही अणुओं का प्रसरण नहीं हो पाता है। ऐसी झिल्ली को अपारगम्य (impermeable) झिल्ली कहते हैं। सेलुलोस भित्ति में जब क्यूटिन (cutin), सुबेरिन (suberin) तथा मोम (wax) जैसे पदार्थों की परत बन जाती है तो वह अपारगम्य हो जाती है। यदि यू-नली के बीच में दोनों पदार्थों को अलग करते हुए चर्मपत्र (parchment paper) लगाया जाये तो जल के अणु दाहिनी ओर के भाग से बायीं ओर शर्करा के घोल में प्रसरित होते हैं। जल के कुछ अणु शर्करा के घोल से जल की ओर भी प्रसरित होते हैं, परन्तु जल के अणुओं की सान्द्रता (concentration) अधिक होने के कारण जल का प्रसरण (diffusion) जल से शर्करा के घोल की ओर अधिक तेजी से होगा। इसी तरह जल के प्रसरण की क्रिया उस समय भी होती है जब दो विभिन्न सान्द्रता वाले विलयनों को एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किया जाये। ऐसी झिल्ली को जिसके द्वारा विलायक (solvent) के अणु आर-पार जा सकें परन्तु विलेय (solute) के अणु आर-पार नहीं जा पाते अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) कहते हैं और इस प्रकार से जल के अणुओं के प्रसरण (diffusion of water molecules) की क्रिया को परासरण (osmosis) कहते हैं।

"परासरण (osmosis) की क्रिया को अग्र प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं, "परासरण किसी विलायक के अणुओं का प्रसरण है, जो उस समय होता है, जबकि शुद्ध विलायक (pure solvent) को उसके विलयन (solution) से या विभिन्न सान्द्रता वाले दो विलयनों को एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग कर दिया जाये।"

"Osmosis is a special type of diffusion which involves the movement of solvent molecules through a semipermeable membrane (or differentially permeable membrane) from an area where they are in high concentration to an area where they are in low concentration."



पौधों में पूर्णरूप से अर्धपारगम्य झिल्ली नहीं पायी जाती, परन्तु कोशाद्रव्य की जीवद्रव्य कला (plasmalemma) और टोनोप्लास्ट (tonoplast or vacuolar membrane) नामक झिल्लियाँ विभेदी पारगम्य (differentially permeable) अथवा वरणात्मक पारगम्य (selectively permeable) होती हैं। इस प्रकार की झिल्लियों से कुछ विलेयों (solutes) का विसरण (diffusion) एक ओर से दूसरी ओर हो सकता है, परन्तु सभी विलेयों का विसरण नहीं होता है।




पौधों के लिये परासरण का महत्त्व

पौधों में परासरण का बहुत महत्त्व है। मूलरोमों के द्वारा भूमि से जल का अवशोषण काफी समय तक परासरण की क्रिया पर ही निर्भर करता है। अजीवित जाइलम कोशिकाओं से पौधे की जीवित कोशिकाओं में जल पहुँचने की क्रिया भी परासरण पर निर्भर करती है। परासरण द्वारा ही पौधों की कोशिकाएं स्फीति अवस्था में बनी रहती हैं और इसी से पौधे का आकार, दृढ़ता, इत्यादि भी स्थिर रहते हैं। स्फीति दशा न रहने पर पौधों के अंग मुरझा जाते हैं। रन्ध्रों (stomata) की द्वार-कोशाओं (guard cells) का आकृति परिवर्तन भी परासरण की क्रिया द्वारा नियमित होता है। अनेक फलों व बीजाणुधानियों के तेजी से फटने का सम्बन्ध भी परासरण से है। छुईमुई (Mimosa pudica) की पत्तियों का मुरझाना तथा डेस्मोडियम गाइरेन्स (Desmodium gyrans) की स्वप्रेरित गति में भी परासरण का महत्त्व है।

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