लिपिड का महत्त्व (Importance of Lipids)|hindi


लिपिड का महत्त्व (Importance of Lipids)
लिपिड का महत्त्व (Importance of Lipids)|hindi

लिपिड के कई महत्व है जो इस प्रकार हैं-
  1. वास्तविक वसाओं का साबुनीकरण करने से साबुन बनता है।
  2. वास्तविक वसाओं के ऑक्सीकृत निम्नीकरण (oxidized degradation) से, कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन्स की तुलना में, दुगुनी से भी अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  3. निर्जल होने के कारण शरीर में ऊर्जा के लिए, “आरक्षित भोजन" के रूप में वसा का भण्डारण सबसे अधिक लाभदायक होता है। 
  4. समतापी जन्तुओं (पक्षियों और स्तनियों) में उनकी त्वचा के नीचे का वसा स्तर insulation , अंदरुनी अंगों की सुरक्षा तथा शरीर को आकृति प्रदान करने का काम करता है।
  5. बीजों में संचित वसा अंकुरण के समय भ्रूण का पोषण प्रदान करती है।
  6. मोम त्वचा, पत्तियों, परों, बालों आदि के लिए lubricant का काम करता है।
  7. मधुमक्खियाँ मोम से अपना छत्ता बनाती हैं।
  8. विविध प्रकार के संयुक्त लिपिड्स जीव कलाओं का निर्माण करते हैं।
  9. स्फिंगोमायलिन्स lipid जन्तुओं की तन्त्रिका कोशिकाओं द्वारा आवेगों के प्रसारण (transmission of impulses) में आवेगों के क्षरण (erosion of impulses) को रोकती हैं।
  10. ग्लाइकोलिपिड्स जन्तु कोशिकाओं में पहचान लेबलों (recognition tags) का काम करते हैं।
  11. स्टीरॉल्स जीव कलाओं के वसा स्तर की तरलता का regulation  करते हैं।
  12. कई स्टीरॉइड्स स्तनियों में हॉरमोन्स का काम करते हैं।
  13. जड़ी-बूटियों के कुछ स्टीरॉइड्स हृदयरोगों के उपचार में और कुछ कामुकता बढ़ाने में लाभदायक होते हैं।
  14. पित्त अम्ल, वसा पाचन को सुगम बनाते हैं।
  15. वसा में घुलनशील विटामिन शरीर की physiology  के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  16. अनेक प्रकार के आइसोप्रीनॉइड्स पादपों के smelly substance एवं pigment पदार्थ होते हैं।
  17. प्राकृतिक रबर भी आइसोप्रीनॉइड्स का बना होता है।
  18. कुछ आइसोप्रीनॉइड्स कीटों के हॉरमोन्स होते हैं । 
  19. थ्रॉम्बोक्सेन्स नामक आइकोसैनॉइड्स blood clot में सहायता करते हैं।
  20. ल्यूकोट्रीन्स नामक आइकोसैनॉइड्स वायु नलियों की दीवार की पेशियों को सिकोड़कर श्वास क्रिया में सहायता करती हैं।
  21. प्रोस्टैग्लैंडिन्स स्थानीय स्तरों पर कई प्रकार की प्रक्रियाओं का नियमन करते हैं।


विशेष क्रियात्मक महत्त्व के लिपिड्स (Lipids of Special Functional Importance)
सभी लिपिड्स (वास्तविक वसाएँ, संयुक्त लिपिड्स तथा स्टीरॉल्स) वसा भण्डारण या जैव कलाओं की संरचना में भाग लेते हैं। अतः ये उपापचयी प्रक्रियाओं (metabolic processes) में भाग न लेने वाले निष्क्रिय (inactive) पदार्थ होते हैं। अन्य अनेक प्रकार के लिपिड्स metabolic प्रक्रियाओं में सक्रिय भाग लेने वाले विशेष क्रियात्मक महत्त्व के होते हैं। इनमें प्रमुख होते हैं- स्टीरॉइड हॉरमोन्स, पित्त अम्ल, वसा में घुलनशील विटामिन, रंगा पदार्थ, गन्ध पदार्थ, आइकोसैनॉइड्स, आदि ।

A. स्टीरॉइड हॉरमोन्स (Steroid Hormones) : ये केवल स्तनियों में पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल से बनते हैं। ये gonads तथा adrenal glands से स्रावित लिंग हॉरमोन्स (sex hormones) तथा केवल adrenal glands द्वारा स्रावित ग्लूकोकॉर्टिकॉइड एवं मिनरलोकॉर्टिकॉइड (glucocorticoid and mineralocorticoid) हॉरमोन होते हैं।

सन् 1988 के गर्मियों के ओलिम्पिक (Olympic) खेलों में कनाडा के बेन जॉन्सन (Ben Johnson) ने 9.79 सैकण्डों में ही 100 मीटर की दौड़ पूरी करके सबको आश्चर्यचकित किया था। लेकिन बाद में उसे इसके अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि उसके urin में स्टैनोजोलॉल (stanozolol) नामक एक प्रतिबन्धित कृत्रिम स्टीरॉइड पाया गया। यह स्टीरॉइड पेशियों को अधिक सक्रिय करके खिलाड़ी की क्षमता को बढ़ा देता है, लेकिन यह वृक्कों, यकृत, जननांगों तथा cardiovascular system को नुकसान पहुँचाता है। इसके विपरीत, कुछ जड़ी-बूटियों से प्राप्त स्टीरॉइड्स हृदय को बल प्रदान करने वाले, अर्थात् cardiotonic होते हैं और हृदयरोगों के उपचार में इनका उपयोग किया जाता है। ऐसे ही कुछ स्टीरॉइड्स (डायस्जेनिन –diosgenin) कामुकता बढ़ाते हैं।

B. पित्त अम्ल (Bile Acids) : कोलेस्ट्रॉल से निकला पित्त अम्ल-टॉरोकोलिक (taurocholic) तथा ग्लाइकोकोलिक (glycocholic)अम्ल— यकृत में बनते हैं और पित्त के साथ आँत में जाकर भोजन की वसा के पाचन को सुगम बनाते हैं।

C. वसा में घुलनशील विटामिन (Fat-Soluble Vitamins) : ये आइसोप्रीन अणुओं से बने विटामिन (A, D, E तथा K) होते हैं।

गन्धयुक्त तथा वर्णक पदार्थ (Fragrant Compounds and Pigments) : ये भी आइसोप्रीन से बनते होते हैं। यूकैलिप्टस, सिट्रोनेला आदि का तेल, कस्तूरी, पिपरमेन्ट आदि सभी पदार्थ गन्धयुक्त आइसोप्रीनॉइड्स होते हैं। इसी प्रकार, क्लोरोफिल का हरा वर्णक पदार्थ, हमारे नेत्रों की रेटिनीन (retinene) रंगा, प्राकृतिक रबर तथा कीटों के हॉरमोन (gibberellins तथा juvenile hormones) भी आइसोप्रीनॉइड्स होते हैं।

D. आइकोसैनॉइड्स (Icosanoids) : लाइनोलीक (linoleic) तथा लाइनोलीनिक (linolenic) नाम के दो वसीय अम्ल मनुष्य तथा अन्य स्तनियों के लिए essential होते हैं, अर्थात् इन्हें केवल भोजन से ही प्राप्त किया जाता हैं। इनमें से लाइनोलीक अम्ल का विशेष महत्त्व होता है, क्योंकि इससे ऐरैकिडोनिक (arachidonic) नाम के वसीय अम्ल का संश्लेषण किया जाता है। ऐरैकिडोनिक अम्ल से फिर मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के महत्त्वपूर्ण यौगिक–आइकोसैनॉइड्स– बनते हैं जो कोशिकाओं से ऊतक द्रव्य में स्रावित होकर स्थानीय हॉरमोन्स का काम करते हैं। यह तीन यौगिक इस प्रकार है -
  1. थ्रॉम्बोक्सेन्स (Thromboxanes) : ये रुधिर की प्लेटलेट्स (platelets) में बनकर स्रावित होते हैं और blood clotting में सहायता करते हैं।
  2. ल्यूकोट्रीन्स (Leucotrienes) : ये श्वेत रुधिर कणिकाओं (ल्यूकोसाइट्स— leucocytes— WBCs) में बनकर स्रावित होते हैं और वायु नलियों की दीवार की पेशियों में contraction को प्रेरित करके श्वास क्रिया में सहायता करते हैं। शरीर में इनकी अधिकता से दमा (asthma) हो सकता है।
  3. प्रोस्टैग्लैंडिन्स (Prostaglandins) : ये वीर्य, स्त्रियों के menstrual fluid तथा कई ऊतकों के ऊतक द्रव्य में स्रावित होते हैं। चक्रीय AMP (cyclic AMP : cAMP) के बनने, menstruation तथा प्रसव के समय गर्भाशय की पेशियों के संकुचन, सोने-जागने, शरीर ताप को बढ़ाने तथा स्थानीय पीड़ा की उत्पत्ति आदि प्रक्रियाओं में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। 

No comments:

Post a Comment