हीमोग्लोबिन (Hemoglobin)
हीमोग्लोबिन कशेरुकी जन्तुओं के लाल रुधिराणुओं में पाया जाने वाला श्वसन रंजक (respiratory pigment) है। यह रुधिर की ऑक्सीजन वाहन की क्षमता को 70 गुना बढ़ा देता है। हीमोग्लोबिन लौहयुक्त संयुक्त प्रोटीन (conjugated protein) होता है। इसका प्रत्येक अणु चार उप-इकाइयों (sub-units) a1, a2, B1, B2 का बना होता है। प्रत्येक उप-इकाई में एक लौहयुक्त पोरफाइरिन वलय (porphyrin ring) या हीमेटिन या हीम ग्रुप (haeme group) होता है जिससे एक लम्बी व कुण्डलित पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला जुड़ी होती है। यह ग्लोबिन प्रोटीन है और हीमोग्लोबिन का 95% भाग बनाती है। हीम ग्रुप के मध्य में आयरन फैरस अवस्था (Fe) में होता है। इसमें O₂ से जुड़ने की क्षमता होती है। इसी कारण हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन वाहक का कार्य करता है।
हीमोग्लोबिन का लौह फैरस (ferrous) अवस्था में होता है। हीमोग्लोबिन अणु के चारों Fe परमाणु ऑक्सीजन के एक-एक अणु के साथ प्रतिवर्ती (reversible) बन्धन द्वारा जुड़ जाते हैं। इस प्रकार हीमोग्लोबिन का एक अणु ऑक्सीजन के चार अणुओं से जुड़ता है। इस क्रिया को ऑक्सीजनीकरण (oxygenation) कहते हैं। इस प्रकार हीमोग्लोबिन व ऑक्सीजन का एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) बनता है।
ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न ऊतकों एवं कोशिकाओं में पहुँचाने में हीमोग्लोबिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑक्सीजन के अधिक सान्द्रता वाले स्थानों पर यह ऑक्सीजन के साथ संयोग करके अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है। यह यौगिक रुधिर परिवहन द्वारा ऊतकों तक ले जाया जाता है। स्पष्टतः ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता रुधिर की अपेक्षा बहुत कम होती है। अतः ऊतकों में ऑक्सीहीमोग्लोबिन विघटित होकर ऑक्सीजन मुक्त कर देता है। यह निर्मुक्त हुई ऑक्सीजन ऊतकों द्वारा श्वसन के उपयोग में आती है:
हीमोग्लोबिन का लौह फैरस (ferrous) अवस्था में होता है। हीमोग्लोबिन अणु के चारों Fe परमाणु ऑक्सीजन के एक-एक अणु के साथ प्रतिवर्ती (reversible) बन्धन द्वारा जुड़ जाते हैं। इस प्रकार हीमोग्लोबिन का एक अणु ऑक्सीजन के चार अणुओं से जुड़ता है। इस क्रिया को ऑक्सीजनीकरण (oxygenation) कहते हैं। इस प्रकार हीमोग्लोबिन व ऑक्सीजन का एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) बनता है।
Hb (Haemoglobin) + 4O2 ⇌ Hb (O2)4
HbO2 ⟶ Hb + O2
सामान्य व्यक्ति में प्रति 100 mL रुधिर में हीमोग्लोबिन की मात्रा औसतन 15 g होती है। स्त्रियों में यह अपेक्षाकृत कुछ कम होती है। एक ग्राम हीमोग्लोबिन से लगभग 1.34 mL O2 जुड़ती है। इस प्रकार 100 mL शुद्ध रुधिर के ऑक्सीहीमोग्लोबिन में लगभग 200 mL (15 x 1.34) ऑक्सीजन होती है।
कुछ अकशेरुकी जन्तुओं जैसे केंचुए (ऐनिलिडा), आर्थोपोडा व मौलस्का के कुछ सदस्यों में हीमोग्लोबिन होता है परन्तु वह प्लाज्मा में घुला रहता है। इनमें लाल रुधिराणु नहीं होते।
अधिकांश, आर्थोपोडा व मौलस्का में श्वसन रंजक हीमोसायनिन (haemocyanin) होता है। यह ताँबायुक्त यौगिक है और रुधिर को नीला-सा रंग देता है।
कार्बन डाइऑक्साइड की विमुक्ति (Release of CO₂)
रुधिर में CO₂ बाइकार्बोनेट व कार्बोनिक अम्ल (bicarbonates and carbonic acid) के रूप में होती है। ये यौगिक फेफड़ों में पहुँचने पर निम्नलिखित कारकों के प्रभाव से विघटित हो जाते हैं और CO2 मुक्त होती है:
इस प्रकार विमुक्त हुई CO₂ केशिकाओं की भित्ति में से एल्वियोलर वायु में विसरित हो जाती है।
HCO-3 ⇌ H2O + CO2
2NaHCO3(Sodium bicarbonate) ⟶ Na2CO3 + H2O + CO2↑
2HbNHCOOH ⟶ HbNH2 + CO2
इस प्रकार विमुक्त हुई CO₂ केशिकाओं की भित्ति में से एल्वियोलर वायु में विसरित हो जाती है।
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