द्रव्य किनसे मिलकर बने होते है?(Matter)| in hindi


द्रव्य (Matter) किसे कहते हैं ?

द्रव्य किनसे मिलकर बने होते है?(Matter)| in hindi


द्रव्य (Matter)

जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं से अपने को घिरा पाते हैं। इन वस्तुओं की स्थिति का ज्ञान हमको ज्ञानेन्द्रियों द्वारा होता है। इनमें कुछ का अनुभव हम आँखों से देखकर करते हैं तथा कुछ को छूकर तथा कुछ को गन्ध या स्वाद द्वारा पहचानते हैं। 

पत्थर, आइरन, जल आदि को हम आँखों से देख सकते हैं, परन्तु अमोनिया, कोयले की गैस आदि का अनुभव सूँघने पर ही होता है। वायु गन्धहीन गैस है, इसलिए इसको सूँघकर भी नहीं पहचाना जा सकता, परन्तु जब यह तीव्र गति से बहती है तो हम इसका अनुभव करते हैं। इन सब वस्तुओं में द्रव्यमान होता है और इनको तोला जा सकता है। ये वस्तुएँ स्थान घेरती हैं तथा इनका आयतन होता है। इस प्रकार की सब वस्तुओं को द्रव्य (Matter) कहते हैं। द्रव्य वह वस्तु है जिसका कुछ आयतन तथा द्रव्यमान होता है।


द्रव्य किनसे मिलकर बने होते है? (What are Matter made up of?) 

द्रव्य कणों से मिलकर बना होता है। द्रव्य के कण बहुत छोटे-छोटे होते हैं। द्रव्य के कणों के मध्य रिक्त स्थान होता है। इसी कारण जब नमक को जल में मिलाते हैं तो जल में नमक घुल जाता है। दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वतः मिलना विसरण कहलाता है। 

द्रव्य के कण निरन्तर गतिशील होते हैं, अर्थात् उनमें गतिज ऊर्जा होती है। तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है, इसलिए हम कह सकते हैं कि तापमान बढ़ने से कणों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है। 

द्रव्य के कणों के बीच एक बल कार्य करता है। यह बल कणों को एक साथ रखता है। इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है।


Related article:



अणु, परमाणु की संकल्पना, अन्तराण्विक स्थान एवं अन्तराण्विक बल (Molecule Concept of Atom, Intermolecular Space and Intermolecular Force) 

अणु, परमाणु को संकल्पना तथा अन्तराण्विक आकाश एवं अन्तराण्विक बल को द्रव्य के अणु-गति सिद्धान्त के आधार पर समझा सकते हैं जिसकी मुख्य अभिधारणाएँ निम्नलिखित हैं- 

1. प्रत्येक द्रव्य सूक्ष्म छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, जिन्हें अणु (Molecule) कहते हैं। अणु, परमाणु से मिलकर बनते हैं तथा स्वतन्त्र अवस्था में रह सकते हैं। द्रव्य के अणुओं के मध्य रिक्त स्थान रहता है जिसे अन्तराण्विक आकाश कहते हैं। इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं- 

  • एक काँच की अंशांकित नली लेंगे। इसके आधे हिस्से को जल से तथा बचे हिस्से में एथिल ऐल्कोहॉल भर देते हैं। अब इसे भली प्रकार हिलाएंगे। नली में कुछ रिक्त स्थान दिखाई देता है। इस मिश्रण का आयतन प्रारम्भ में लिए गए जल एवं ऐल्कोहॉल के आयतनों के योग से कुछ कम रह जाता है। इसका कारण यह है कि ऐल्कोहॉल के अणु जल के अन्तराण्विक स्थान के मध्य समायोजित हो जाते हैं। 

2. अणु सदैव गतिशील रहते हैं जिससे इनमें गतिज ऊर्जा होती है। ताप बढ़ने पर इसकी गति एवं गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। अणुओं की गतिशीलता को हम निम्न प्रयोग द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं- 

  • एक वाच ग्लास पर जल की कुछ बूंदें डालेंगे। इसके लिए हम ड्रॉपर की सहायता लेंगे। इसमें कुछ लाइकोपोडियम पाउडरमिलाएंगे। इस मिश्रण को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर लाइकोपोडियम के कण तीव्र गति से इधर-से-उधर चलते हुए दिखाई देते हैं। इन कणों के चलने का मार्ग निश्चित नहीं होता है। इस प्रकार कणों की गतिशीलता का अध्ययन सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने किया था। इस कारण इस गति को ब्राउनी गति कहते हैं तथा इससे सिद्ध होता है कि द्रव्य के अणु गतिशील होते हैं। 

अणुओं की गतिशीलता को हम इस प्रयोग द्वारा भी समझ सकते हैं- 

  • काँच के एक लम्बे जार में पोटैशियम परमैंगनेट के कुछ क्रिस्टलों को कागज की पुड़िया में बन्द करके रख देंगे। अब उसमें धीरे-धीरे पानी डालेंगे। जल के प्रभाव से कागज की पुड़िया का कागज गलने लगेगा है जिससे उसमें रखा पोटैशियम परमैंगनेट जल में घुलने लगता है। सबसे पहले नीचे के जल का रंग गुलाबी होता है तथा फिर यह रंग धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। इससे अणुओं की गतिशीलता स्पष्ट होती है। 

3. अणुओं में परस्पर आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल होता है जिसके फलस्वरूप उनमें स्थितिज ऊर्जा होती है। 

4. एक ही द्रव्य के अणुओं के मध्य आकर्षण बल को अन्तराण्विक बल या ससंजन बल कहते हैं। यह बल द्रव्य के अणुओं को परस्पर बाँधे रखता है तथा उनको एक-दूसरे से अलग होने से रोकता है। 

5. द्रव्य के अणुओं के मध्य दूरी बढ़ने पर आकर्षण बल (ससंजन बल) कम होता जाता है। 

6. द्रव्यों के अणुओं के मध्य दूरी बढ़ने पर गतिज ऊर्जा बढ़ती है। अतः ठोस, द्रव तथा गैस में गतिज ऊर्जा इसी क्रम में बढ़ती है। 

द्रव्य की अवस्थाओं का पूर्ण चित्रण करने के लिए यह आवश्यक है कि हमें यह ज्ञात हो कि उनमें अणु किस प्रकार व्यवस्थित है या इनकी अवस्था में कोई सम्बन्ध है या नहीं। यह ज्ञात करने के लिए हमें पहले द्रव्य की तीनों भौतिक अवस्थाओं अर्थात् ठोस, द्रव तथा गैस का अध्ययन करना होगा। 

No comments:

Post a Comment