सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर एक संक्षिप्त लेख
सौर ऊर्जा का इस्तेमाल सभी जैविक तन्त्र समुदायों के क्रियाकलाप में होता है। सूर्य हाइड्रोजन-हीलियम के नाभिकी विखण्डन से विभिन्न गैसें, ऊर्जा एवं प्रकाश उत्पन्न करता है। इससे हाइड्रोजन हीलियम में बदलती है जिससे बड़ी मात्रा में विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश के रूप में पृथ्वी पर आती हैं जिस पर पृथ्वी का समस्त जीवन निर्भर करता है।
पृथ्वी के वायुमण्डल में सौर ऊर्जा की लगभग 15.3 × 10⁸ मात्रा प्रवेश करती है जो जीव तन्त्रों के संचालन के लिए पर्याप्त होती है। क्षोभमण्डल जो पृथ्वी के सबसे निकट पृथ्वी की सतह से लगा हुआ है, इसकी औसत मोटाई 10 से 15 किमी. के मध्य है। इस परत में भारी गैसें, जल वाष्प एवं धूलकण बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
सौर ऊर्जा धूल कणों द्वारा बहुत अधिक बिखर जाती है, साथ ही जल के वाष्पीकरण में भी यह उपयोगी होती है। पृथ्वी पर सौर ऊर्जा की प्राप्ति भौगोलिक स्थिति में ऋतु विशेष पर निर्भर करती है। सौर ऊर्जा से पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं और समस्त जैव मण्डल का संचालन करती है।
हमारा देश सौर ऊर्जा की दृष्टि से विश्व के समृद्धतम देशों में से एक है। यहाँ दिनमान-दिन की अवधि (Photo Period) विकसित देशों से अधिक है। सौर ऊर्जा की सबते बड़ी विशेषता यह है कि यह प्रकृति का दिया हुआ एक अक्षय संसाधन है, साथ ही इसके उपयोग से प्रदूषण की कोई भी आशंका नहीं रहती है। इस भूमण्डल को प्रायः समस्त ऊर्जा सूर्य से ही प्राप्त होती है।
सूर्य से उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा विभिन्न लम्बाई की तरंग के रूप में होती है। उसी के अनुसार उसकी आवृत्ति और ऊर्जा का निर्धारण होता है। पृथ्वी के ताप का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य है। सूर्य की विभिन्नता के कारण ही वायु की गति, दिशा और वाष्पीकरण नियंत्रित होता है। सूर्यताप से आशय किसी निश्चित समय में पृथ्वी के किसी निश्चित क्षेत्र में सूर्य से प्राप्त ताप की मात्रा है।
सूर्य ताप को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं-
(1) सूर्य की किरणों का कोण,
(2) दिन-रात की अवधि,
(3) पृथ्वी से सूर्य की दूरी,
(4) सौरकलंक,
(5) वायुमण्डल की दशा,
(6) भूतल का स्वभाव,
(7) भूमि का रंग
सूर्य की उष्मा उष्ण कटिबंध में अधिक होती है तथा ध्रुवों तक उसकी मात्रा कम होती जाती है। दोनों गोलार्द्ध में 0.30° अक्षांश के मध्य प्राप्त ऊष्मा (प्रवेशी विकिरण) नष्ट उष्मा (बहर्गामी पार्थिव विकिरण) से अधिक होती हैं और यहाँ पर ऊष्ण की मात्रा से प्राप्त ऊष्मा अधिक होती है जबकि 37° अक्षांश और ध्रुवों के बीच नष्ट ऊष्मा की मात्रा से प्राप्त ऊष्मा की मात्रा से अधिक होती है, इस कारण से यहाँ उष्मा कम होने लगती है। ताप सन्तुलन हेतु पृथ्वी पर इसीलिए सनातनी पवन एवं जल धाराएँ प्रवाहित हैं।
विकासशील देशों में सौर ऊर्जा का उपयोग (Use of Solar Energy in Developing Countries)- सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग विकासशील देशों में भोजन पकाने के लिए किया जा रहा है। निःसन्देह इससे तृतीय देशों की ईंधन समस्या जो घरेलू ईंधन की थी, जिससे वन विनाश, भू-क्षरण जैसे पर्यावरणीय समस्याएँ जन्म ले रहीं थीं और अति उपयोग से पारिस्थितिक असन्तुलन पैदा हो रहा था, उसकी गति कुछ धीमी हो गयी है।
तीसरी दुनिया के देशों में जीवाश्म ईंधन जैसे-कैरोसिन तथा गैस और लकड़ी की बचत होगी। इन देशों में महिलाओं की अधिकांश शक्ति घरेलू ईंधन के संग्रहण में व्यय होती थी और उसके धुएँ से इनके स्वास्थ्य को भी खतरा होता था। इसे रोकने के लिए सोलर कुकर का व्यापक प्रसार-प्रचार किया जा रहा है।
सौर-ऊर्जा का दूसरा उपयोग बिजली बनाने में भी किया जा रहा है। इसका उपयोग मध्य प्रदेश के पंचमडी पर्यटक स्थल में बड़ी मात्रा में हुआ है। सौर ऊर्जा का उपयोग दक्षिणी भारत के बहुत-से उद्योगों में भी किया गया है। सौर ऊर्जा से संचालित मिनी बसों का निर्माण परिवहन और संचार में, भोपाल भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड ने भी किया है। इसी प्रकार सौर-ऊर्जा के विविध उपयोग किये जाने लगे हैं।
सौर ऊर्जा सब्सिडी-
सौर ऊर्जा सब्सिडी का मतलब होता है "सरकार द्वारा सोलर पैनल लगवाने के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता"। इस सब्सिडी के द्वारा लोग सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं जिससे बिजली का खर्च कम हो और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुँचे।
सोलर पैनल लगवाना थोड़ा महंगा होता है इसलिए जब कोई व्यक्ति या संस्था अपने घर, खेत, दुकान, या फैक्ट्री में सौर पैनल लगवाना चाहता है, तो इस लागत को कम करने के लिए सरकार इसका कुछ हिस्सा खुद देती है जिसे सब्सिडी कहते हैं।
उदाहरण: अगर सोलर सिस्टम की कुल कीमत ₹1,00,000 है और सरकार 40% सब्सिडी दे रही है, तो:
- सरकार ₹40,000 देगी
- उपभोक्ता को सिर्फ ₹60,000 चुकाने होंगे
सब्सिडी केंद्र सरकार (MNRE - Ministry of New and Renewable Energy) देती है और कुछ राज्य सरकारें भी अपनी योजनाओं के तहत इसकी अतिरिक्त सब्सिडी देती हैं।
सब्सिडी पाने के लिए क्या करना होता है?
सब्सिडी पाने के लिए सरकार के मान्यता प्राप्त सोलर वेंडर से संपर्क करें। आप ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं (जैसे – https://solarrooftop.gov.in/)। सोलर पैनल की स्थापना के बाद सब्सिडी सीधे बैंक खाते में आती है।
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