प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light)
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें अति सूक्ष्म आकार के कण जैसे- धूल, व धुयें के कण, वायु के अणु आदि विद्यमान हों तो इन कणों के द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) कहते हैं।
कुछ प्रयोगों द्वारा या ज्ञात हुआ है कि लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है तथा बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। प्रकीर्णन पर आधारित कुछ घटनाएं इस प्रकार है-
आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है
सूर्य से आने वाला प्रकाश, जिसमें अनेक रंग होते हैं जब वायुमंडल में से होकर गुजरता है तो वायु के अणुओं एवं धूल के महीन कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन होता है। बैंगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश की अपेक्षा लगभग 16 गुना अधिक होता है। अतः नीला व बैंगनी प्रकाश चारों ओर बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकार हमारी आंखों में पहुंचता है जिससे हमें आकाश नीला दिखाई देता है। यदि वायुमंडल ना होता (चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं होता है) तो सूर्य के प्रकाश का मार्ग में प्रकीर्णन नहीं होता और हमें आकाश काला दिखाई देता। यही कारण है कि चंद्रमा के तल से देखने पर आकाश काला दिखाई पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर पहुंचने पर आकाश काला ही दिखाई देता है।
सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई पड़ता है
यदि हम उगते अथवा डूबते सूरज की ओर देखते हैं तो वह हमें लाल दिखाई देता है। इसका कारण भी प्रकीर्णन ही होता है। उगते अथवा डूबते सूरज की किरणें वायुमंडल में काफी अधिक दूरी तय करने के बाद हमारी आंखों में पहुंचती हैं। इन किरणों के मार्ग में धूल के कणों तथा वायु के अणुओं द्वारा बहुत अधिक प्रकीर्णन होता है। इस प्रकरण के कारण सूर्य के प्रकाश में से नीली व बैंगनी किरणें निकल जाती है क्योंकि इन किरणों का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। अतः आंख में विशेष रूप से शेष लाल रंग की किरणें ही पहुंचती हैं जिसके कारण सूर्य लाल दिखाई देता है।
दोपहर के समय जब सूरज सिर के ऊपर होता है तब किरणें वायुमंडल में अपेक्षाकृत बहुत कम दूरी तय करती हैं। अतः प्रकीर्णन कम होता है और लगभग सभी रंगों की किरणें आंखों तक पहुंच जाती हैं। अतः सूर्य श्वेत दिखाई देता है।
वायुमंडल में उपस्थित धूल के कणों द्वारा प्रकीर्णन के कारण सूर्य की अनुपस्थिति में भी (सूर्योदय से पहले तथा सूर्योदय के पश्चात) कुछ देर तक आकाश में प्रकाश बना रहता है। इस प्रकाश को संध्या प्रकाश (Twilight) कहते हैं।
खतरे का सिग्नल लाल होता है
रात में खतरे का सिग्नल देने के लिए लाल प्रकाश का प्रयोग किया जाता है। इसका कारण यह होता है कि लाल प्रकाश का प्रकीर्णन बहुत कम होता है अतः सिग्नल बहुत दूर से ही दिखाई दे जाता है। यही कारण है कि रेलगाड़ी को रोकने के लिए जो झंडी का प्रयोग किया जाता है वह लाल होती है, क्रिकेट की गेंद भी लाल होती है तथा अस्पताल की गाड़ी पर बना क्रॉस का चिन्ह भी लाल रंग का होता है यह सब इसीलिए ताकि यह दूर से ही दिखाई दे जाए। यदि हम अपने सामने रखी विभिन्न रंगों की वस्तुओं को देखेंगे तो हमारे दृष्टि सबसे पहले लाल रंग की वस्तु पर ही जाती है।
प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering of Light) द्वारा हमें यह पता चलता है कि आसमान का रंग नीला तथा सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूरज का रंग लाल क्यों होता है। इसके अलावा हमें यह भी पता चलता है की रेलगाड़ी को रोकने वाली झंडी, अस्पताल की एंबुलेंस पर लगी लाल बत्ती तथा उस पर बना क्रॉस लाल क्यों होता है तथा इसका क्या महत्व है।
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