लेंस किसे कहते हैं(Lens in hindi):लेंस की परिभाषा, प्रकार,उपयोग तथा उससे जुड़ी जानकारी
लेंस किसे कहते हैं(Lens)?
परिभाषा (Definition) : लेंस (Lens) बहुत उपयोगी होते हैं। इनका प्रयोग कैमरे, दूरबीन, सूक्ष्मदर्शी तथा चश्मों आदि में किया जाता है। वस्तुतः इन शब्दों को पढ़ते समय भी आप अपनी आंखों के लेंस का प्रयोग कर रहे हैं। लेंस पारदर्शी पदार्थ से निर्मित टुकड़ा होता है जो दो निश्चित ज्यामितीय गोल सतहों पर अथवा एक गोलिय व एक समतल सतह से निर्मित होता है।- लेंस के प्रकार (Types of Lenses)
उत्तल लेंस(Convex Lens) : लेंस का मध्य वाला भाग मोटा तथा किनारे वाला भाग अपेक्षाकृत पतला होता है उत्तर लेंस (Convex Lens) कहलाता है। उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी कहते हैं।
अवतल लेंस (Concave Lens) : वह लेंस जिसका मध्य भाग पतला तथा सिरा अपेक्षाकृत मोटा होता है अवतल लेंस (Concave Lens) कहलाता है। अवतल लेंस को अपसारी लेंस भी कहते हैं।
- लेंस का प्राचल (Parameters of a Lens) :
प्रकाश केंद्र (Optical Centre) : लेंस का केंद्र उसका प्रकाश केंद्र कहलाता है। लेंस के प्रकाश-केंद्र से गुजरने वाले प्रकाश की किरण अपसारित नहीं होती। एक पतले लेंस का प्रकाशिक केंद्र लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित बिंदु होता है जिससे होकर गुजरने वाली प्रकाश किरण बिना विचलित हुए सीधे निकल जाती है।
यदि लेंस के दोनों पृष्ठों की वक्रता-त्रिज्यायें बराबर होती है तब लेंस का मध्य-बिंदु ही प्रकाशित केंद्र होता है।
वास्तव में कोई भी प्रकाश-किरण लेंस के दोनों पृष्ठों पर अपवर्तित तो होती है। इस कारण लेंस के प्रकाशिक केंद्र से गुजरने वाले किरण लेंस से निकलने पर अपनी प्रारंभिक दिशा में समांतर रहते हुए कुछ विस्थापित हो जाती है। परंतु एक पतले लेंस के लिए यह विस्थापन नगण्य होता है तथा हम किरण को प्रकाश केंद्र से सीधे गुजरता हुआ मान सकते हैं।
मुख्य अक्ष (Principle axis) : लेंस के प्रकाश-केंद्र से गुजरने वाला तथा लेंस के दोनों पृष्ठों पर लंब रेखा उसका मुख्य अक्ष (Principle axis) कहलाती है।(ऊपर चित्र में देखे↑)
वास्तव में कोई भी प्रकाश-किरण लेंस के दोनों पृष्ठों पर अपवर्तित तो होती है। इस कारण लेंस के प्रकाशिक केंद्र से गुजरने वाले किरण लेंस से निकलने पर अपनी प्रारंभिक दिशा में समांतर रहते हुए कुछ विस्थापित हो जाती है। परंतु एक पतले लेंस के लिए यह विस्थापन नगण्य होता है तथा हम किरण को प्रकाश केंद्र से सीधे गुजरता हुआ मान सकते हैं।
मुख्य अक्ष (Principle axis) : लेंस के प्रकाश-केंद्र से गुजरने वाला तथा लेंस के दोनों पृष्ठों पर लंब रेखा उसका मुख्य अक्ष (Principle axis) कहलाती है।(ऊपर चित्र में देखे↑)
फोकस तथा फोकस दूरी (Focus and Focus Distance)
मुख्य अक्ष पर वह बिंदु जिस पर प्रकाश की समानांतर रेखाएं लेंस से गुजरने पर अभिसारित अथवा अपसारित होती हैं फोकस कहलाता है। लेंस की मुख्य अक्ष पर स्थित एक निश्चित बिंदु से चलने वाली किरणें अथवा एक निश्चित बिंदु की ओर जाती प्रतीत होने वाली किरणें लेंस में से अपवर्तित होकर मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती हैं। इस बिंदु को लेंस का प्रथम फोकस कहते हैं।
निम्न चित्र में बिंदु F' लेंस का प्रथम फोकस है। उत्तल लेंस में F' से चलने वाली किरणें (चित्र a) तथा अवतल लेंस में F' की ओर जाती प्रतीत होने वाले किरणें, लेंस से निकलने पर मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती हैं (यद्यपि प्रकाश-किरण का अपवर्तन लेंस के दोनों पृष्ठों पर होता है, परंतु लेंसों में हम सुविधा की दृष्टि से प्रकाश किरण का केवल एक अपवर्तन लेंस के बीचो-बीच खींची गई रेखा पर प्रदर्शित करते हैं।) लेंस के प्रकाश-केंद्र से प्रथम फोकस तक की दूरी को लेंस की 'प्रथम फोकस दूरी' कहते हैं। चित्र (a) तथा (b) में दूरी CF' लेंस की प्रथम फोकस-दूरी f' है।
इसी प्रकार, लेंस की मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरणें लेंस में से अपवर्तित होकर मुख्य अक्ष पर स्थित एक निश्चित बिंदु में से या तो होकर गुजरती है या एक बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है। इस बिंदु को लेंस का द्वितीय फोकस कहते हैं।
निम्न चित्र में बिंदु F लेंस का द्वितीय फोकस है। उत्तल लेंस में से निकलने वाली किरणें, F में से वास्तव में होकर जाती है चित्र (a) परंतु अवतल लेंस से निकलने वाली किरणें,F से आती हुई प्रतीत होती हैं चित्र (b)। लेंस के प्रकाश-केंद्र से द्वितीय फोकस तक की दूरी को लेंस की द्वितीय फोकस दूरी कहते हैं चित्र (a) तथा (b) में दूरी CF लेंस की द्वितीय फोकस दूरी है।
जब लेंस के दोनों ओर एक ही माध्यम होता है, जैसे वायु, तो लेंस की फोकस दूरीयों का संख्यात्मक मान बराबर होता है, अर्थात्
फोकस तल (Focus Plane) : लेंस के फोकस में से होकर जाने वाली तथा मुख्य अक्ष के लंबवत् तल को लेंस का फोकस तल कहते हैं।
जब उत्तल लेंस से प्रकाश की समानांतर किरणें गुजरती हैं तब वह अंदर की ओर मुड़ती हुई एक बिंदु पर मुख्य अक्ष पर मिलती हैं। इस बिंदु को फोकस अथवा फोकस बिंदु कहा जाता है।
उत्तल लेंस द्वारा किरणों का अंदर की ओर मुड़ना अभिसरण अथवा अभिसारी क्रिया (Converging action) कहलाता है। अतः प्रकाश की समानांतर किरणें उत्तल लेंस द्वारा अपवर्तित होकर उसके फोकस बिंदु पर अभिसारित होती हैं।
जब लेंस के दोनों ओर एक ही माध्यम होता है, जैसे वायु, तो लेंस की फोकस दूरीयों का संख्यात्मक मान बराबर होता है, अर्थात्
f = -f'
- लेंस के अभिसारी तथा अपसारी क्रियाएं (Converging and diverging actions of the lens)
जब उत्तल लेंस से प्रकाश की समानांतर किरणें गुजरती हैं तब वह अंदर की ओर मुड़ती हुई एक बिंदु पर मुख्य अक्ष पर मिलती हैं। इस बिंदु को फोकस अथवा फोकस बिंदु कहा जाता है।
उत्तल लेंस द्वारा किरणों का अंदर की ओर मुड़ना अभिसरण अथवा अभिसारी क्रिया (Converging action) कहलाता है। अतः प्रकाश की समानांतर किरणें उत्तल लेंस द्वारा अपवर्तित होकर उसके फोकस बिंदु पर अभिसारित होती हैं।
उत्तल लेंस की अभिसरण क्रिया को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है:
सरलतम रूप में, उत्तल लेंस को दो प्रिज़्मों से बना माना जा सकता है जिसके आधार एक-दूसरे की ओर हो और एक आयताकार कांच की सिल्ली द्वारा बीच में एक दूसरे से विलग किए गए हो।
सरलतम रूप में, उत्तल लेंस को दो प्रिज़्मों से बना माना जा सकता है जिसके आधार एक-दूसरे की ओर हो और एक आयताकार कांच की सिल्ली द्वारा बीच में एक दूसरे से विलग किए गए हो।
• लेंस के मध्य भाग से (जो कांच की की सिल्ली के समान है) गुजरने वाली प्रकाश की किरण अविचलित होती रहती है।
• लेंस के ऊपरी भाग (जो प्रिज़्म की भांति होता है) पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण अंदर (अर्थात प्रिज़्म के आधार) की ओर मुड़ जाती है।
• लेंस के निचले भाग (जो प्रिज़्म की भांति होता है) पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण अंदर (अर्थात् प्रिज़्म के आधार) की ओर मुड़ जाती है।
अवतल लेंस की अपसारी क्रिया (Diverging action of a concave lens)
जब प्रकाश की समानांतर किरणें अवतल लेंस से होकर गुजरती है तब यह बाहर (मुख्य अक्ष से दूर) की ओर मुड़ जाती है तथा मुख्य अक्ष पर एक बिंदु से आती (अपसारित होती) दिखलाई देती है। मुख्य अक्ष पर ऐसा बिंदु लेंस का फोकस अथवा फोकस बिंदु कहलाता है।
अवतल लेंस से अपवर्तन होकर किरणों का बाहर की ओर मुड़ना लेंस का अपसार अथवा अपसारी क्रिया कहलाता है। अतः प्रकाश की समानांतर रेखाएं अवतल लेंस से अपवर्तित होकर, बिंदु F (फोकस बिंदु) से अपसारित होती प्रतीत होती है।
अवतल लेंस की अपसारी प्रक्रिया इस प्रकार समझी जा सकती है
सरलतम रूप में, अवतल लेंस को दो प्रिज़्म तथा एक सिल्ली से निर्मित माना जा सकता है। दोनों प्रिज़्मों का शीर्ष भाग मुख्य अक्ष की ओर मुंह किए हुए हैं तथा दोनों के बीच सिल्ली है।
• लेंस के मध्य भाग से (जो सिल्ली के समान है) गुजरने वाली प्रकाश की किरण अविचलित रहती है।
• अवतल लेंस के ऊपरी भाग (जो प्रिज़्म की भांति है) पर पड़ने वाली प्रकाश की किरणें बाहर (अर्थात् प्रिज़्म के आधार) की ओर मुड़ जाती है।
• अवतल लेंस की निचले भाग (जो प्रिज़्म की भांति है) पर पड़ने वाली प्रकाश की किरणें बाहर (अर्थात् प्रिज़्म के आधार) की ओर मुड़ जाती है।
• अवतल लेंस द्वारा प्रकाश की किरणों का मुड़ना उसकी अपसारित क्रिया कहलाती है।
जब अपसारित किरणों को विपरीत क्रम में उत्पन्न किया जाता है तब वह मुख्य अक्ष पर F बिंदु (फोकस बिंदु) से आती प्रतीत होती हैं।
- लेंस के उपयोग (Applications of Lenses)
कुछ सामान्य व सरल प्रकाशीय यंत्र इस प्रकार हैं:
1. आवर्धक लेंस (Magnifying Glass)
2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी
3. कैमरा (Camera)
4. दूरबीन
लेंसों (Lenses) के प्रयोग के बिना हम किसी भी वस्तु को साफ़ नहीं देख सकते। हमारी आँखों में भी लेंस होते हैं लेकिन जब वे सही से कार्य नहीं करते हैं तो हम चश्मों या अन्य तरीके से लेंस का प्रयोग करके साफ़ देख सकते हैं।
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