विद्युत्-रासायनिक श्रेणी (Electrochemical Series) क्या है? : परिभाषा, उपयोग|hindi


विद्युत्-रासायनिक श्रेणी (Electrochemical Series) क्या है? 

विद्युत्-रासायनिक श्रेणी (Electrochemical Series) क्या है? : परिभाषा, उपयोग|hindi

परिभाषा 


विभिन्न इलेक्ट्रोडों या उन पर होने वाली अर्द्ध-अभिक्रियाओं के मानक इलेक्ट्रोड विभवों को बढ़ते हुए क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है उसे विद्युत्-रासायनिक श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी में सभी धातु अपनी सक्रियता (reactivity) के घटते हुए क्रम में स्थित हैं।


विद्युत्-रासायनिक श्रेणी के मुख्य उपयोग

1. विद्युत्-रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं की क्रियाशीलता की तुलना की जा सकती है।

  • विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में जो धातु ऊपर की ओर स्थित हैं-
  • उनके इलेक्ट्रोड विभव कम होते हैं, अर्थात्
  • उनके अपचयन विभव कम होते हैं, अर्थात्
  • उनके ऑक्सीकरण विभव अधिक होते हैं, अर्थात्
  • उन पर होने वाली अर्द्ध-अभिक्रियाओं में ऑक्सीकरण होने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • उन धातुओं की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • उन धातुओं की इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • वे धातु अधिक क्रियाशील होती हैं।


अतः धातुओं की क्रियाशीलता उनके इलेक्ट्रोड विभवों के बढ़ते हुए क्रम में घटती है तथा विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में धातुओं को उनकी सक्रियता (reactivity) के घटते हुए क्रम में रखा गया है। उदाहरणार्थ- उपरोक्त सारणी में Fe, Cu से ऊपर स्थित है। अत: Fe, Cu से अधिक क्रियाशील धातु है।

कुछ प्रमुख धातुओं की सक्रियता का घटता हुआ क्रम इस प्रकार है-

K > Na > Mg > Al > Zn > Fe > Cu> Ag > Pt > Au


किसी अधिक सक्रिय धातु को किसी कम सक्रिय धातु के धनायनों के विलयन में डाल देने से कम सक्रिय धातु मुक्त हो जाती है। उदाहरण के लिए - Fe विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में Cu के ऊपर स्थित है तथा Cu से अधिक क्रियाशील है। अतः Fe को CuSO4 विलयन में डालने से यह Cu को मुक्त कर देता है।

Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu


2.
विद्युत्-रासायनिक श्रेणी की सहायता से विभिन्न धातुओं द्वारा अम्लों में से हाइड्रोजन विस्थापित कर पाने की क्षमता की जानकारी प्राप्त होती है।

विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में जो धातु हाइड्रोजन से ऊपर स्थित हैं, हाइड्रोजन की तुलना में-

  • उनके इलेक्ट्रोड विभव कम होते हैं, अर्थात्
  • उनके अपचयन विभव कम होते हैं, अर्थात्
  • उनके ऑक्सीकरण विभव अधिक होते हैं, अर्थात्
  • उन पर होने वाली अर्द्ध-अभिक्रियाओं में ऑक्सीकरण होने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • उनकी ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • उन धातुओं की धनायन बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अर्थात्
  • वे धातु अम्लों में से हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती हैं।

अतः विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में जो धातु हाइड्रोजन से ऊपर स्थित हैं, वे अम्लों में से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देती हैं।


दूसरे शब्दों में, जिन धातुओं के इलेक्ट्रोड विभव हाइड्रोजन के इलेक्ट्रोड विभव से कम होते हैं, वे धातु अम्लों में से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देती हैं। जिन धातुओं के इलेक्ट्रोड विभव हाइड्रोजन के इलेक्ट्रोड विभव से अधिक होते हैं, वे धातु अम्लों में से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करती हैं।


उदाहरण के लिए - ऐलुमिनियम तथा जिंक विद्युत् गसायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित है। Al, Zn तथा हाइड्रोजन के मानक इलेक्ट्रोड विभव क्रमश: -1.66, -0.76 तथा 0 वोल्ट हैं। अत: AI तथा Zn, HCI में से हाइड्रोजन विस्थापित कर देते हैं। AI की HCI से अभिक्रिया की गति, Zn की HCI से अभिक्रिया की गति से तीव्र होती है।

2Al + 6HCI → 2AICI3 + 3H2

Zn + 2HCI ZaCl2 + H2


कॉपर विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से नीचे स्थित है। Cu का मानक इलेक्ट्रोड विभव +0.34 वोल्ट है जो हाइड्रोजन के मानक इलेक्ट्रोड विभव से अधिक है। अत: Cu, HCI में से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करता है।



3. विद्युत्-रासायनिक श्रेणी की सहायता से विभिन्न ऑक्सीकारकों की ऑक्सीकारक क्षमताओं तथा विभिन्न अपचायकों की अपचायक क्षमताओं की तुलना की जा सकती है।

4. विद्युत्-रासायनिक श्रेणी से किसी गैल्वेनिक (या बोल्टीय) सेल के E.M.F. की गणना की जा सकती है।

Read also: इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?



विद्युत्-रासायनिक श्रेणी के उपयोग के उदाहरण


कुछ तत्वों के इलेक्ट्रोड विभव इस प्रकार हैं-

1. Ba = -2.90 वोल्ट, Mn = -1.18 वोल्ट, Fe= 0.44 वोल्ट तथा Cu = +0-34 वोल्ट।
उपरोक्त से विद्युत्-रासायनिक श्रेणी बनाइये।

हल : विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रोड विभव के बढ़ते हुए क्रम में रखा गया है। अतः विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में ये तत्व इस क्रम में स्थित हैं: Ba, Mn, Fe, Cu.


2. कोई चार धात्विक तत्व A, B, C, D हैं। इनके इलेक्ट्रोड विभव (Eo) का मान क्रमशः +0-40, 0.54, + 0.14 तथा 1.36 वोल्ट है।

इनको घटती हुई सक्रियता के अनुसार क्रमबद्ध कीजिये।

हल : प्रथम विधि- विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रोड विभव के बने हुए कम में रखा गया है। अतः विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में ये तत्व ऊपर से नीचे की ओर इस क्रम में स्थित है - D, B, C, A।  विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में धातुओं की सक्रियता ऊपर से नीचे की ओर घटती जाती है। अत: इन धात्वीय तत्वों की सक्रियता का घटता हुआ क्रम भी यही है, अर्थात् D> B> C> A.


द्वितीय विधि - D का इलेक्ट्रोड विभव (अपचयन विभव) सबसे कम है। अत: D का ऑक्सीकरण विभव सबसे अधिक है। अत: D के ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति सबसे अधिक है। अत: D द्वारा इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति सबसे अधिक है। अत: D की सक्रियता सबसे अधिक है। धात्विक तत्वों A, B, C तथा D के इलेक्ट्रोड विभव का बढ़ता हुआ क्रम इस प्रकार है : D, B, C, A. अतः इन तत्वों की सक्रियता का घटता हुआ क्रम भी यही है, अर्थात् D>B>C> A. 


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