इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?: परिभाषा|hindi


इलेक्ट्रोड (Electrode) तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?

इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?: परिभाषा|hindi


जब किसी धातु की छड़ को उसके किसी लवण के विलयन में डुबोया जाता है तो धातु की छड़ धन- या ऋण-आवेशित हो जाती है तथा विलयन पर समान मात्रा का विपरीत आवेश आ जाता है। इस प्रकार धातु की छड़ पर धन या ॠण विद्युत् विभव उत्पन्न हो जाता है तथा विलयन पर इसका विपरीत विद्युत् विभव उत्पन्न हो जाता है।

उदाहरण के लिए

1. जिंक (Zn) की छड़ को जिंक के धनायनों (Zn²+) के घोल में डुबोने पर निम्नलिखित अर्द्ध-अभिक्रिया होती हैं-

Zn → Zn²+ + 2e

Zn की छड़ पर उपस्थित Zn के कुछ परमाणु Zn²+ बनाते हैं। Zn²+ विलयन में चले जाते हैं तथा इलेक्ट्रॉन, छड़ पर रह जाते हैं। अत: Zn की छड़ पर ऋण-आवेश आ जाता है तथा Zn²+ के घोल पर धन-आवेश आ जाता है। इस प्रकार Zn की छड़ पर ऋण विद्युत् विभव तथा Zn²+ के घोल पर धन विद्युत् विभव उत्पन्न हो जाता है।

इलेक्ट्रोड (Electrode) तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?: परिभाषा,


2. कॉपर (Cu) की छड़ को कॉपर के धनायनों (Cu²+) के गोल में डुबोने पर निम्नलिखित अर्द्ध अभिक्रिया होती है-

Cu²+  + 2e  Cu

Cu²+ के घोल में से कुछ Cu²+, Cu की छड़ में से इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके Cu बनाते हैं। Cu परमाणु, कॉपर की छड़ पर जमा हो जाते हैं। अतः Cu की छड़ पर धन-आवेश तथा Cu²+ के घोल पर ऋण-आवेश आ जाता है। इस प्रकार Cu की छड़ पर घन विद्युत् विभव तथा Cu²+ के घोल पर ऋण विद्युत् विभव उत्पन्न हो जाता है।

किसी धातु के किसी लवण में डूबी हुई उस धातु की छड़ को इलेक्ट्रोड (electrode) कहते हैं, इस उपकरण को अर्द्ध-सेल (half cell) कहते हैं तथा धातु की छड़ पर उत्पन्न विभय को उस इलेक्ट्रोड या उस पर होने वाली अर्द्ध-अभिक्रिया का इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential) कहते हैं।

जब किसी तत्व को उसके किसी आयन (या किसी तत्व के एक प्रकार के आयनों को उसके किसी दूसरे प्रकार के आयनों) के विलयन के सम्पर्क में रखा जाता है तथा कोई विद्युत् का सुचालक इन दोनों के सम्पर्क में रहता है तो विद्युत् के इस सुचालक या इस उपकरण को भी इलेक्ट्रोड कहते हैं।


उदाहरण के लिए -

(i) हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड में हाइड्रोजन गैस (H2), हाइड्रोजन के धनायनों (H+) के विलयन के सम्पर्क में रहती है तथा प्लैटिनम का एक पत्र (foil) विलयन तथा गैस के सम्पर्क में रहता है,

(ii) Fe²+ तथा Fe³+ के विलयन में प्लैटिनम का तार या छड़ डालने पर जो उपकरण बनता है वह इस ऑक्सीकरण-अपचयन तन्त्र (redox system) का इलेक्ट्रोड कहलाता है।


मानक इलेक्ट्रोड (Standard Electrode)

किसी भी ऐसे इलेक्ट्रोड का विभव जिसमें कोई धातु की छड़ उसके किसी घनायन के विलयन में डूबी हो उस धातु की प्रकृति, विलयन के तापक्रम तथा विलयन की सान्द्रता पर निर्भर करता है। अतः विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडों के तुलनात्मक अध्ययन के लिये उन धातुओं के मानक इलेक्ट्रोडों का प्रयोग किया जाता है। जब किसी शुद्ध धातु की छड़ को उसके किसी लवण के एक मोलर विलयन में 25°C पर डुबोया जाता है तो विलयन में डूबी उस धातु की छड़ को मानक इलेक्ट्रोड कहते हैं।

अन्य मानक इलेक्ट्रोडों में 25°C पर ऑक्सीकारकों तथा अपचायकों की 1 मोलर सान्द्रतायें होती है।

उदाहरण के लिए-
  • Fe²+  Fe³+ ऑक्सीकरण-अपचयन तन्त्र (redox system) के मानक इलेक्ट्रोड में 25°C पर Fe²+ तथा Fe³+ की 1 मोलर सान्द्रताओं के विलयन में प्लैटिनम की छड़ डूबी होती है,
  • मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड में शुद्ध हाइड्रोजन गैस 1 वायुमण्डलीय दाब पर H+ के एक मोलर विलयन के सम्पर्क में होती है तथा प्लैटिनम का एक पत्र (foil) विलयन तथा गैस के सम्पर्क में रहता है।

इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) क्या है?: परिभाषा|hindi


इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) मापने की विधि

किसी एकल (single) इलेक्ट्रोड का विद्युत् विभव प्रयोगों द्वारा ज्ञात करना सम्भव नहीं है, केवल दो इलेक्ट्रोडों के विभवों का अन्तर प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। किसी एक इलेक्ट्रोड का विभव शून्य मानकर अन्य इलेक्ट्रोडों के विभव ज्ञात किये जा सकते हैं। मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव शून्य मान लिया गया है तथा इस आधार पर अन्य सभी मानक इलेक्ट्रोडों के विभव ज्ञात किये गये है।


उदाहरण के लिए

1. जिंक का मानक इलेक्ट्रोड विभव
 (Electrode Potential)- मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड तथा जिंक के मानक इलेक्ट्रोड को जोड़ने पर यह ज्ञात होता है कि -

  • विद्युत् हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड से जिंक इलेक्ट्रोड की ओर प्रवाहित होती है, तथा
  • दोनों इलेक्ट्रोडों के विभवों का अन्तर 0.76 वोल्ट है। चूँकि विद्युत् अधिक विभव वाली वस्तु की ओर से कम विभव वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है, अत: हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव अधिक तथा जिंक इलेक्ट्रोड का विभव कम है। चूँकि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव शून्य माना जाता है, अत: मानक जिंक इलेक्ट्रोड का विभव शून्य से 0.76 वोल्ट कम है। अतः जिंक का मानक इलेक्ट्रोड विभव -0.76 वोल्ट है।


2. कॉपर का मानक इलेक्ट्रोड विभव - मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड तथा कॉपर के मानक इलेक्ट्रोड को जोड़ने पर यह ज्ञात होता है कि -

  • विद्युत् कॉपर इलेक्ट्रोड से हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड की ओर प्रवाहित होती है, तथा
  • दोनों इलेक्ट्रोडों के विभवों का अन्तर 0.34 वोल्ट है। चूँकि विद्युत् अधिक विभव वाली वस्तु की ओर से कम विभव वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है, अत: कॉपर इलेक्ट्रोड का विभव अधिक है तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव कम है। चूँकि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव शून्य माना जाता है, अत: कॉपर इलेक्ट्रोड का विभव इससे 0.34 वोल्ट अधिक है। अत: कॉपर का मानक इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) +0.34 वोल्ट है।

इसी प्रकार अन्य मानक इलेक्ट्रोडों के विभव ज्ञात किए जा चुके हैं।

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