शैवालों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Algae)- Useful Algae,Harmful Algae


शैवालों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Algae)

शैवालों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Algae)- Useful Algae,Harmful Algae

लाभदायक शैवाल (Useful Algae)

कुछ शैवाल हमारे लिए लाभदायक होते हैं। शैवाल (Algae) की कुछ लाभदायक क्रियाएं इस प्रकार हैं -

शैवाल खाद्य पदार्थ के रूप में (Algae as Food)

1. शैवालों में कार्बोहाइड्रेट्स ,अकार्बनिक पदार्थ तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन A,C,D,E इनमें मुख्य रूप से होते हैं। 

2. जापान तथा चीन में भोज्य पदार्थ भूरे शैवाल ,समुद्री शैवाल से प्राप्त किया जाता है। समुद्री शैवाल तथा शैवाल खनिज पदार्थों के श्रेष्ठ स्रोत होते हैं। 
3. लेमिनेरिया (Laminaria) नामक शैवाल से आयोडीन (Iodine) प्राप्त किया जाता है। इस शैवाल का प्रयोग करने वालों व्यक्तियों को घेंघा (Goitre) नामक रोग नहीं होता हैं। 

4. अल्वा (Ulva) को समुद्री सलाद कहते हैं। भारत में भी तटवर्ती प्रदेशों के लोग समुद्री शैवालों को रुचिकर भोजन के रूप में खाते हैं। 

5. स्कॉटलैण्ड में रोडीमेनिया पामेटा (Rhodymenia Palmata) तम्बाकू की तरह खाया जाता हैं। 

6. भूरी शैवाल आयोडीन तथा पोटैशियम के श्रेष्ठ स्रोत होते हैं। 

7. शैवाल का प्रयोग मछली और समुद्री जानवरों के लिए जैविक भोज्य पदार्थों की तरह प्रत्यक्ष रूप में किया जाता है। 


शैवाल व्यवसाय में (Algae in Industry)

1. डायटोमेशियस मृदा (Diatomaceous Earth)- डायटम्स की कोशिका भित्ति में सिलिकॉन डाइऑक्ससाइड (SiO2) अधिक मात्रा में जमा रहता है। जीवित तथा मृत डायटम्स तथा उनके जीवाश्म ,समुद्र की गहराई में जमा होते रहते हैं तथा गहरी चट्टान के रूप में एकत्र होकर डायटोमेशियस मृदा (Diatomaceous Earth) बनाते हैं। यह 1500℃ तक का ताप सहन कर लेती है। इसके निम्नलिखित उपयोग होते हैं -

(i) चीनी मिलों में जीवाणु छन्नों के रूप में। 
(ii) काँच तथा पोर्सिलेन के निर्माण में।
(iii) बॉयलर तथा वात भट्टी में ऊष्मारोधी के रूप में। 
(iv) Metal Paint,वार्निश ,पॉलिश तथा टूथपेस्ट के निर्माण के लिए अपघर्षक (Abrasive) के रूप में। 
(v) Liquid Nitroglycerine के अवशोषक (Absorbent) के रूप में।


2. एलजिन (Align) नामक पदार्थ को भूरी शैवाल से प्राप्त किया जाता है जिसका प्रयोग आइसक्रीम बनाने में किया जाता है। लकड़ी को अज्वलनशील बनाने ,कृतिम रेशे तैयार करने ,चिकित्सा के समय रक्त प्रवाह को रोकने क लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
 
3. जापान में सारगासम शैवाल से कृतिम ऊन का निर्माण किया जाता है।

4. कोंड्रस (Chondrus) ,आयरिश मौस (Irish Moss) आदि शैवालों से श्लेष्मिक कैरागीनिन (Carrageenin) नामक पदार्थ निकाला जाता है जिससे सौन्दर्य प्रसाधन ,जूते की पॉलिश ,शैम्पू आदि बनाया जाता है। 

5. लाल शैवालों से प्राप्त Agar-Agar पदार्थ प्राप्त होता है जिसका प्रयोग प्रयोगशाला में पौधों के संवर्धन सम्बन्धी प्रयोग में किया जाता है,इसका प्रयोग ताप तथा ध्वनि रोधक बनाने में भी किया जाता है। यह पदार्थ सूप ,चटनी, जैली तथा आइसक्रीम बनाने के काम भी आता हैं। 


शैवाल कृषि में (Algae in Agriculture)

नॉस्टॉक (Nostoc), ऐनाबीना (Anabaena) जैसे शैवाल वायुमण्डलीय तात्विक (Elemental) नाइट्रोजन को पौधों के काम में आने वाले यौगिकों में परिवर्तित कर देता है, यह क्रिया नाइट्रोजन स्थरीकरण कहलाती है। इस क्रिया में जीवाणु भी भाग लेते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।


शैवाल का औषधीय महत्व (Medicinal use of Algae)

1. क्लोरेला (Chlorella) से एक प्रतिजैविक क्लोरीलीन (Chlorellin) बनायी जाती है जो क्रिस्टलीय होती है तथा 120 ℃ तक स्थिर रहती है। यह Gram-Positive तथा  Gram-Negative दोनों प्रकार की जीवाणुओं से रक्षा करती है। 

2. कारा नामक शैवाल जलाशयों में उपस्थित मच्छरों को मारकर मलेरिआ उन्मूलन में सहायक होते हैं। 

शैवाल अनुसन्धान कार्यों में (Algae in Biological Research)

प्रकाश संश्लेषण की क्रियायों का आधुनिक ज्ञान क्लोरेला (Chlorella) नामक शैवाल पर किये प्रयोगों ततः अनुसंधानों पर आधारित है। कुछ शैवाल ,जैसे Acetabularia ,Valonia  आदि केन्द्रक तथा केन्द्रकद्रव्य के आपसी सम्बन्धों की खोज में प्रयोग किया जाता है।



शैवाल के हानिकारक प्रभाव (Harmful Effect of Algae)

1. कुछ शैवाल जैसे माइक्रोसिस्टिस (Microcystis), ऐनाबीना आदि जलाशय में Water Blooms बनाते हैं जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और पानी सड़ने लगता है जिससे जलीय जीव जैसे-मछलियां आदि मरने लगती हैं और पानी  योग्य नहीं रहता है। 

2. शैवालों अधिक वृद्धि के कारण जलपोतों की गति में बाधा पड़ने लगती है। 

3. कुछ शैवाल ,जैसे -सिफेल्यूरोस (Cephaleuros) की कुछ प्रजातियां चाय ,आदि की पत्तियों पर परजीवी होते हैं तथा Red Rust of Tea नामक रोग उत्पन्न करके चाय उद्योग को नुकसान पहुँचाते हैं। 

4. शैवाल बरसात के दिनों में फिसलन पैदा करते हैं। 

5. शैवाल बरसात के दिनों में दीवार व कपड़ों को गन्दा कर देते हैं। 




FAQs

1. शैवाल किन 5 तरीकों से मनुष्य को लाभ पहुंचाते हैं?

शैवाल मनुष्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। वे निम्नलिखित तरीकों से मनुष्य को लाभ पहुंचाते हैं:

  • भोजन के रूप में: शैवाल का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। कुछ शैवालों को सीधे खाया जाता है, जबकि अन्य का उपयोग सूप, सलाद, सॉस आदि बनाने के लिए किया जाता है।
  • औषधीय गुणों के लिए: शैवाल में कई औषधीय गुण होते हैं। इन्हें कई बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, स्पिरुलिना नामक शैवाल का उपयोग कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है।
  • खाद के रूप में: शैवाल का उपयोग खाद के रूप में भी किया जाता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • ऊर्जा उत्पादन के लिए: इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाता है। इन्हें बायोडीजल, जैव-गैस और बायोमास बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए: शैवाल पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वायु और जल को शुद्ध करने में मदद करते हैं।

2. सबसे लाभकारी शैवाल कौन सा है?

• शैवाल के कई लाभ होते हैं जैसे भोजन के रूप में स्पिरुलिना नामक शैवाल सबसे लाभकारी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की प्रचुर मात्रा होती है। 

• यदि औषधीय गुणों के रूप में लाभ की बात की जाए, तो क्लोरेला नामक शैवाल सबसे लाभकारी होता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे खनिज होते हैं। 

• खाद के रूप में नील-हरित शैवाल सबसे लाभकारी होता है। ये शैवाल तेजी से बढ़ते हैं और इनमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की प्रचुर मात्रा होती है। 

• ऊर्जा उत्पादन के रूप में क्लोरेला नामक शैवाल सबसे लाभकारी होता है। इसमें प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होती है। यदि पर्यावरण 

संरक्षण के रूप में लाभ की बात की जाए, तो सभी शैवाल पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वायु और जल को शुद्ध करने में मदद करते हैं।

3. मत्स्य पालन में शैवाल का क्या महत्व है?

मत्स्य पालन में शैवाल का बहुत महत्व है। शैवाल मछलियों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। इनसे मछलियों का स्वास्थ्य  भी बेहतर होता हैं। मछलियों को बढ़ने और विकसित होने के लिए आवश्यक पोषक तत्व शैवाल से ही प्राप्त होते हैं। यह मछलियों के लिए एक प्राकृतिक भोजन है और यह उन्हें बीमारियों से भी बचाता है।


4. पारिस्थितिकी तंत्र में शैवाल क्यों महत्वपूर्ण है?

पारिस्थितिकी तंत्र में शैवाल इसलिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक हैं। शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। ऑक्सीजन सभी जीवित प्राणियों के लिए आवश्यक है। शैवाल जलीय खाद्य श्रृंखला में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे छोटे जीवों का भोजन होते हैं, जो बड़े जीवों का भोजन होते हैं। इस प्रकार, शैवाल जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


5. कवक एवं शैवाल का आर्थिक महत्व क्या है?

कवक एवं शैवाल दोनों ही जीवधारी हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके कुछ आर्थिक महत्व इस प्रकार है:

कृषि
  • कवक एवं शैवाल का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है। ये वायु से नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। शैवाल का उपयोग फसलों को रोगों से बचाने के लिए भी किया जाता है।

खाद्य उद्योग
  • कवक का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों, जैसे कि ब्रेड, पेस्ट्री, शराब, बीयर, सिरका, आदि के निर्माण में किया जाता है जबकि शैवाल का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों, जैसे कि सूप, सलाद, सॉस, आदि के निर्माण में किया जाता है।

औद्योगिक क्षेत्र

  • कवक का उपयोग कई प्रकार के औद्योगिक उत्पादों, जैसे कि रसायन, दवाइयां, आदि के निर्माण में किया जाता है जबकि शैवाल का उपयोग कई प्रकार के औद्योगिक उत्पादों, जैसे कि जैव ईंधन, जैव उर्वरक, आदि के निर्माण में किया जाता है।

चिकित्सा

  • कवक का उपयोग कई प्रकार की दवाइयों के निर्माण में किया जाता है जबकि शैवाल का उपयोग कई प्रकार की दवाइयों, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल्स, आदि के निर्माण में किया जाता है।

पर्यावरण संरक्षण

  • कवक तथा शैवाल दोनों का उपयोग पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है।
इस प्रकार, कवक एवं शैवाल का आर्थिक महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है। इनके उपयोग से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।


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