कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi


कवकों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Fungi)
हमारे जीवन का कवकों से बहुत घनिष्ट सम्बन्ध है। कवकों की कई ऐसी जातियां है जो मनुष्यों के लिए आर्थिक महत्त्व की है। कवकों की अनेक लाभदायक व  हानिकारक क्रियाएं है जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -

लाभदायक क्रियाएँ (Useful Activities)
1. खाद्य पदार्थ के रूप में (As Food)बहुत से कवकों का प्रयोग भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है,जैसे छत्रक (Agaricus), गुच्छी (Morchella)। छत्रक (Agaricus), गुच्छी (Morchella) की खेती है। यह प्रोटीन तथा विटामिन मुख्य स्रोत होते हैं। यीस्ट से बहुत से विटामिन जैसे थायमीन ,निकोटिनिक ,बायोटिन आदि मिलते हैं। शिटेक मशरूम से लेंटिनेसिन पदार्थ प्राप्त होता है जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। 

2. उद्योगों में (In Industries)- कवकों का प्रयोग निम्न उद्योग में किया जाता है -

(a) पनीर उद्योग में (In Cheese Industries)- कुछ कवकों का प्रयोग पनीर बनाने में किया जाता है,जैसे पेनिसिलियम कोमेमबर्टी (P. comemberti) आदि। 
कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi

(b) डबल रोटी उद्योग में (In Baking Industry)- कुछ यीस्ट का प्रयोग डबल रोटी बनाने में किया जाता है जैसे सैकैरोमाइसीज सेरेवेसी  (Saccharomyces cerevisiae)
कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi

(c) एल्कोहॉल उद्योग में (In Alcohol Industry)- यीस्ट का प्रयोग शर्करा से शराब बनाने में  किया जाता है। इसमें यीस्ट द्वारा  विलयन का किण्वन किया जाता है जिसमें एथिल एल्कोहॉल बनता है। यीस्ट में वास्तव में जाइमेज़ विकर (Zymase Enzyme) होता है जिससे किण्वन की क्रिया होती है। 

C6H12O6  ⟶ 2C2H5OH + 2CO2
कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi


(d) अम्ल (Acid), विकर (Enzymes), वसा (Fats) आदि के निर्माण में -

गैलिक अम्ल (Gallic Acid)      पेनिसिलियम ग्लाउकम ,ऐस्पर्जिलस गैलोमाइसिस के द्वारा 
सिट्रिक अम्ल (Citric Acid)   ⟶   सिट्रोमाइसिस फेफीरियोर के द्वारा 
ग्लुकोनिक अम्ल (Gluconic Acid)   ⟶   ऐस्पर्जिलस नाइजर के द्वारा 
एमिलेस (Amylase)   ⟶   सैकेरोमाइसिस सेरेविसी के द्वारा 
वसा (Fat)   ⟶   ऐस्पर्जिलस निडुलांस ,स्पर्जिलस सिडोवी ,स्पर्जिलस फिसेरी आदि के द्वारा 

3. भूमि की उर्वरता में (In Soil Fertility)- बहुत से कवक सड़े गले पदार्थों से भोजन लेकर जीवित रहते हैं ऐसे कवक मृतोपजीवी कहलाते हैं। ये मृत शरीर के कार्बनिक पदार्थों का विघटन करके बहुत से लवण पदार्थ बनाते हैं जो पृथ्वी से मिलकर उनकी उर्वरता बढ़ाते हैं। कुछ कवक प्रोटीन का विघटन करके अमोनिया मुक्त करते हैं। 

4. औषधि निर्माण में (In Medicines)- बहुत से कवकों का उपयोग कुछ प्रतिजैविक (Antibiotic) औषधियों के निर्माण में किया जाता है। ये बहुत से बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट कर देती हैं। कवकों से प्राप्त कुछ मुख्य औषधियाँ निम्नलिखित हैं-


औषधि का नाम                         -          कवक का नाम जिससे निकलती है 

पेनिसिलिन (Penicillin)             -           पेनिसिलिन नोटेटम (Penicillin notatum)
इरगोट (Ergot)                         -           क्लेविसेप्स परप्यूरीआ (Claviceps purpurea)
क्लेविसिन (Clavicin)                -            ऐस्पर्जिलस क्लेवेटस (A. clavetus)
सिफेलोस्पोरिन (Cephalosporin)     -   सिफेलोस्पोरियम  मिनिमम (Cephalosporium minimum)

कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi
Alexander Fleming ने 1928 में पेनिसिलिन को पेनिसिलिन नोटेटम से प्राप्त किया। इसके लिए उन्हें 1945 में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।

5. पौधों के पोषण में (In Nutrition of Plants)- बहुत से कवक कवकमूलो का निर्माण करते हैं जिसके द्वारा बहुत से पौधे भूमि से पोषण प्राप्त कर लेते हैं,जैसे पाइनस ,जैमिया।

6. फाइटोहार्मोन के निर्माण में (In Formation of Phytohormones)- जिबरेलिन्स (Gibberellins), जो पेड़ों की लम्बाई में वृद्धि के लिए आवश्यक है ,एक कवक फ्यूजेरियम मोनिलीफार्मी से तैयार किये जाते हैं।

7. जीव विज्ञान सम्बन्धी खोज में (In Biological Research)- कुछ कवक ,जैसे न्यूरोस्पोरा ,खमीर ,एस्कोबोलस इत्यादि काफी समय से आनुवांशिकी (Genetics), कोशिका-विज्ञान (Cytology) एवं उपापचय की खोजों में प्रयोग किये जाते हैं। 

हानिकारक कार्य (Harmful Activities)
1. कवक मनुष्यों में रोग उत्पन्न करते हैं। ऐस्पर्जिलस(Aspergillus) की प्रमुख जातियाँ ,जैसे A.niger ,A.flavus मनुष्यों के फेफड़ों में एक प्रमुख रोग ऐस्पर्जिलोसिस (Aspergillosis) फैलाती हैं। कुछ रोग गले ,कान आदि में भी रोग फैलाते हैं। दाद रोग भी कवकों के द्वारा ही फैलते हैं। कवक बीजाणु नम तथा क्षतिग्रस्त त्वचा से होकर मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं और अंकुरित होकर कवक तंतुओं का निर्माण करते हैं जिसके फलस्वरूप त्वचा पर भद्दे लाल चकत्ते पड़ जाते है जिनमें खुजली आती है।

2. बहुत से कवक इमारती लकड़ी के वृक्षों में रोग फैलाकर हानि पहुंचाते हैं ,जैसे आर्मिलेरिया मेलिया (Armillaria mellea) सेब के वृक्ष में लाल गगन नामक रोग फैलाते हैं। पॉलीपोरस लकड़ी के कटे हुए लट्ठों को नष्ट करता है।
कवकों का आर्थिक महत्त्व(Economic Importance of Fungi)|Hindi

3. कुछ कवक ,जैसे राइजोपस ,म्युकर आदि खाद्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं।इनके बीजाणु वायु द्वारा खुले मुरब्बे, अचार ,जैली ,रोटी ,फलों आदि में कवक जाल फैलाकर उन्हें नष्ट करते देते हैं। 

4. कुछ परजीवी कवक जंतुओं में रोग उत्पन्न करते हैं ,जैसे सेप्रोलेग्निया (Saprolegnia) मरी हुई मछलियों पर पाए जाते हैं तथा उनमें रोग उत्पन्न करते हैं। 

5. कुछ कवक कपडे ,कैमरों के लेंस ,चमड़े के सामान इत्यादि को नष्ट कर देते हैं। कपड़ों को नष्ट करने वाले कवक- एल्टरनेरिया, कीटोमियम। कागज़ को नष्ट करने वाले कवक- सिफेलोथिसियम ,क्लेडोस्पोरियम। रबर के सामान को नष्ट करने वाले कवक- ऐस्पर्जिलस ,पेनेसिलियम। कैमरे इत्यादि को नष्ट करने वाले कवक- स्पर्जिलस केंडिडस ,स्पर्जिलस नाइजर आदि।
 
6. बहुत से कवक ,जैसे ऐमेनिटा ,जो गलती से एगेरिकस के बदले में खा लिए जाते हैं ,जहरीले होते हैं और खाने वाले की मृत्यु हो जाती है। 

7. कुछ कवक जैसे स्पर्जिलस फ्लेवस ऐफ्लाटॉक्सीन नामक जहरीला पदार्थ उत्पन्न करते हैं ,जो पालतू जानवरों के लिए हानिकारक है। स्पर्जिलस फ्लेवस प्रायः संग्रहित बीजों ,मूंगफलियों ,डबलरोटी व  डेरी उत्पादों पर उगता है। इस कवक द्वारा उत्पन्न ऐफ्लाटॉक्सीन में एक प्राकृतिक कैंसर जनक पदार्थ होता है जो कैंसर उत्पन्न करता है। ऐफ्लाटॉक्सीन कम आण्विक भार वाले यौगिक हैं। ये अधिक ऊष्मा जैसे खाना पकाने की प्रक्रिया में भी नष्ट नहीं होते हैं। 
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8. LSD (Lysergic Acid Diethylamide)- क्लैविसेप्स (Claviceps) नामक कवक से LSD बनाया जाता है जो विभ्रमी (Hallucinogenic) पदार्थ है।



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