कवक(Fungi):परिचय, आवास, पोषण, संरचना|Hindi


कवक (Fungi)

परिचय (Introduction)
कवक (Fungi) पर्णहरिम रहित (Achlorophyllous), संवहन ऊतक रहित (non- vascular), थैलोफाइटा (thallophyta) हैं। शैवालों की तरह इनमें भी जड़ ,तना तथा पत्ती नहीं होती। कवक परजीवी तथा मृतोपजीवी होते हैं और बीजाणु द्वारा जनन करते हैं। कुछ कवक सहजीवी भी होते हैं।
वनस्पति विज्ञान की वह शाखा इसके अंतर्गत कवकों का अध्ययन करते हैं कवक विज्ञान कहलाती है। इन कवकों द्वारा पौधों में उत्पन्न रोगों के अध्ययन को पादप विकृति विज्ञान कहते हैं।

एंटोनियो मिचेली कवक विज्ञान का जनक कहा जाता है। इन्होंने 1729 ने नोवा जेनेरा प्लेन्टेरम(Nova Genera Plantarum) में लगभग 900 कवकों का वर्णन किया। ईo जेo बटलर को भारतीय कवक-विज्ञान एवं पादप रोग विज्ञान का जनक (Father of Indian Mycology and Plant Pathology) कहा जाता है।


प्राकृतिक वास(Habitat)
कवक सर्वव्यापी होते हैं अतः यह हर जगह पाए जाते हैं। इन में क्लोरोफिल नहीं होता है इस कारण यह अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते हैं इसलिए दूसरे पौधों पर पर परजीवी अथवा सहजीवी के रूप में पाए जाते हैं तथा सड़े गले पदार्थों जैसे अचार रोटी फल मुरब्बा खाद्य पदार्थ इत्यादि पर मृतोपजीवी के रूप में मिलते हैं। कुछ कवक वायु तथा जल में भी पाए जाते हैं।         

कवक सड़े हुए संतरे की सतह पर नीले हरे रंग की चिट्ठी, बासी रोटी व पुराने जैम या अचार पर या बरसात के मौसम में चमड़े के जूते पर मटमैले सफेद रंग के धब्बे, कवक के विभिन्न किस्में है।
कवक(Fungi):Introduction,Habitat,Nutrition,Structure|Hindi



पोषण (Nutrition)
पोषण की विधि के आधार पर कवक को दो वर्णों में बांटा गया है-
  1. मृतोपजीवी (Saprophytic)
  2. परजीवी (Parasitic)
1. मृतोपजीवी (Saprophytic)
मृतोपजीवी कवक को दो भागों में बांटा गया है-

पूर्ण मृतोपजीवी (Obligate Saprophytes)- कुछ कवक केवल मृत पदार्थों से ही भोजन या पोषण प्राप्त करते हैं । यह किसी भी जीवित पौधे या जंतु पर संक्रमण नहीं करते हैं जैसे, ऐगैरिकस(Agaricus)।

विकल्पी मृतोपजीवी (Facultative Saprophytes)- कुछ कवक सामान्य रूप से परजीवी होते हैं किंतु विशेष परिस्थितियों में यह मृतोपजीवी भी हो जाते हैं जैसे, टेफ्राइना (Taphrina)।


2. परजीवी (Parasitic)
परजीवी कवकों को निम्न दो भागों में बाँटा गया है-

  • पूर्ण परजीवी (Obligate Parasites)- यह कवक किसी जीवित पोषक पर उगते हैं। पोषक की मृत्यु हो जाने पर इनकी भी मृत्यु हो जाती है। इन कवकों को प्रथम कृत्रिम माध्यम से नहीं हुआ जा सकता है जैसे,पक्सिनिया (Puccinia)।
  • विकल्पी परजीवी (Facultative Parasites)- यह कवक मुख्यतः मृतोपजीवी होते हैं किंतु कुछ विशेष परिस्थितियों में यह परजीवी का जीवन व्यतीत करते हैं जैसे , फ्यूसेरियम (Fusarium)।
वे परजीवी कवक जो पोषक पौधे की कोशिका के बाहरी भाग पर उगते हैं और अपना भोजन पोषक पौधे से अपनी विशेष शाखाओं-चूषकांग (Haustorium) द्वारा लेते हैं बाह्य परजीवी (Ectophytic Parasites or Ectoparasites)कहलाते हैं। उदाहरण -ऐरिसाइफी (Erysiphe) 

वे परजीवी कवक जो पोषक पौधों के अंदर ऊतकों में रहते हैं अन्तः परजीवी (Endoparasite or Endophytic Parasite) कहलाते हैं। उदाहरण -ऐल्बूगो (Albugo)
अन्तः परजीवी कवक दो प्रकार के होते हैं -
  • अन्तः कोशिकी (Intracellular)- जो कोशिका के अंदर रहते हैं।  
  • अंतरा कोशिकी (Intercellular)- जो कोशिकाओं के बीच के स्थानों में रहते हैं। 
कुछ कवक ,जैसे कि डैक्टिलेला (Dactylella), ऑर्थोबोट्रिस (Arthrobotrys) व अन्य सूक्ष्म जंतुओं को पकड़कर उनसे अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इन्हें परभक्षी कवक (Predacious Fungi) भी कहते हैं।
    कुछ कवक शैवालों के साथ सहजीवी के रूप में रहते हैं। 
    कुछ कवक सूत्र चीड़ (Pinus), इत्यादि की जड़ों की कोशिकाओं में फैले रहते हैं और भूमि से खनिज लवण व जल ग्रहण क्र चीड़ को देते रहते हैं ,चीड़ कवक को खाद्य पदार्थ देता रहता है जो सहजीवन का अच्छा उदाहरण है। इस सहजीवन को कवकमूल (Mycorrhiza) कहते हैं। 

संरचना (Structure) 
सरलतम कवक ,जैसे यीस्ट एककोशिकीय होते हैं। उच्च श्रेणी के कवक,जैसे मोल्ड्स बहुकोशिकीय होते हैं। पादप कोशिकाओं की भाँति कवक की कोशिका भित्ति भी सेलूलोज़ से निर्मित होती है। केन्द्रक व अन्य कोशिका अंगद (Cell organ) कोशिका द्रव्य में विद्यमान रहते हैं। कुछ कवक द्विरूपी (Dimorphic) होती हैं वे एककोशिकीय तथा कवक सूत्रों ,दोनों रूपों में रह सकते हैं। जैसे -कैन्डिडा एल्बीकेन्स (Candida albicans)

यीस्ट एक लघु ,एककोशिकीय कवक है जो समूह बनाता है। यीस्ट का आकार 50 से 10 माइक्रॉन तक हो सकती है। यीस्ट वायवीय तथा अवायवीय हो सकता हैं। 
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मोल्ड बहुकोशिकीय होती है तथा इसका रूप तन्तुमय होता है। मोल्ड का  आकार 2 से 10 तक होता है। 

रूई के समान मोल्ड को कवक जाल (Mycelium) कहते हैं तथा प्रत्येक एकल-धागे को हाइफे (Hyphae) कहते हैं।  कुछ मोल्ड जैसे छत्रक अथवा कुकुरमुत्ता कुछ सेंटीमीटर लम्बे भी हो सकते हैं। मोल्ड वायवीय होते हैं।
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कुछ कवक सूत्रों में पट (Septum) नहीं होता है इन्हें अपटीय (Aseptate) कहते हैं। इसमें संगृहीत मुख्य भोजन ग्लाइकोजन तथा तेल की बूंदे होती हैं। 

म्यूकर ,राइजोपस को काला फफूंद ,पेनसिलियम को नीले अथवा हरा फफूंद तथा न्यूरोस्पोरा को लाल अथवा गुलाबी फफूंद कहते हैं। 
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ब्रेड पर सामान्य फफूंदी (Bread Mould) का माइक्रोस्कोपिक संरचना -⬇
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