मिट्टी कैसे बनती है?(Formation of Soil)| HIndi


मिट्टी कैसे बनती है? (Formation of Soil)

मिट्टी कैसे बनती है?(Formation of Soil)| HIndi

जब पृथ्वी की बड़ी-बड़ी चट्टानें प्राकृतिक कारक यथा वर्षा, तूफान, वृक्षों की जड़े आदि के द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटती हैं तो मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी सदैव पृथ्वी पर नहीं रही। करोड़ों अरबों वर्ष पहले पृथ्वी की सतह कठोर और पथरीली ठोस पहाड़ों के रूप में थी। ज्वालामुखी पृथ्वी के आंतरिक भाग से पिघलता हुआ पत्थर सतह पर लाता है। 

यह पिघली चट्टानों के टुकड़े जो गर्म लावा के रूप मे सतह बहे, ठंडे होकर आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो गए। जैसे-जैस समय बीतता गया यह चट्टानें भूकंप अथवा भूचाल से छोटे-छोटे पत्थरों में टूटते रहीं। इस प्रकार बड़ी चट्टानों का प्राकृतिक बल जैसे सूर्य ,जल, वायु, हिमखंड, वृक्षों की  जड़, भूकंप आदि के द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटने की प्रक्रिया भ्रंश कहलाती है । यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है और निरंतर चलती रहती है। कई हजार वर्ष पहले यह छोटे पत्थर जल, हवा, पेड़-पौधों की जड़ों तथा आपसी घर्षण के प्रभाव से मिट्टी में परिवर्तित हो गए।

मिट्टी बनाने में जल ,वायु ,पौधों की जड़ों तथा आपसी घर्षण की भूमिका का विवरण इस प्रकार है-


जल (Water) 

1. जल पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 

2. वर्षा के समय पानी चट्टानों की दरारों में घुस जाता है। 

3. शीतकाल में जब तापमान कब होता है तो जल बर्फ में जम जाता है। जब पानी जमता है तब यह फैलता है अर्थात ठोस बर्फ तरल पानी से अधिक स्थान लेती है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बर्फ की आंतरिक अणु- संरचना खुली होती है। 

4. बाहर की और यह फैलाव चट्टानों की दरारों में दबाव डालकर उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। 

5. पत्थर के यह छोटे-छोटे टुकड़े हवा अथवा जल के साथ नीचे की ओर बहने लगते हैं और नीचे बहते समय यह एक दूसरे से रगड़ खाते हैं और बारीक कणों में परिवर्तित हो जाते हैं। 

6. यह बारीक कण वर्षा एवं नदी के पानी द्वारा निचली मैदानी इलाकों में लाए जाते हैं और पोषक तत्वों तथा जैविक पदार्थों के साथ मिलकर मिट्टी बनाते हैं।

मिट्टी कैसे बनती है?(Formation of Soil)| HIndi


पौधों की जड़ें (Plant Roots)

पौधों की जड़ें पानी की खोज में चट्टानों की दरारों में घुस जाती हैं। यह बेधित जड़ें पत्थरों पर बाहर की ओर दबाव डालती हैं और उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर देती हैं। यह छोटे टुकड़े अपक्षयन (Weathering) के कारण अंततः मिट्टी में परिवर्तित हो जाते हैं।

मिट्टी कैसे बनती है?(Formation of Soil)| HIndi

बड़ी चट्टानों के छोटे टुकड़ों में प्राकृतिक कारणों जैसे जल, हवा, पौधों की जड़ों तथा आपसी घर्षण के कारण टूटने की प्रक्रिया अपक्षयन (Weathering) कहलाती है। अपक्षयन की प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है। कुछ सेंटीमीटर मिट्टी की परत बनाने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं।


तापमान परिवर्तन (Temperature Variation)

दिन और रात के तापमान में अंतर के कारण भी पत्थरों का अपक्षयन होता है। पत्थर दिन के समय फैलते और रात के समय सिकुड़ जाते हैं। फैलने और सिकुड़ने की यह क्रमिक प्रक्रिया पत्थरों के टूटने का कारण बनती हैं और यही छोटे-छोटे टुकड़े अंततः मिट्टी में परिवर्तित हो जाते हैं।


रासायनिक अपक्षयन (Chemical Weathering)

चट्टानों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ होते हैं। हवा में नमी और आक्सीजन की उपस्थिति में यह खनिज ऑक्सीजन युक्त हो जाते हैं जिसके कारण पत्थर भुरभूरे होकर मिट्टी में टूट कर बिखर जाते हैं।

प्राणी एवं सूक्ष्मजीव (Animals and Microorganisms)

जीवों द्वारा उत्पन्न कार्बनिक अम्ल चट्टानों में जैविक क्षरण (Biological degradation) उत्पन्न करते हैं। क्षरण द्वारा उत्पन्न खनिज पदार्थ तथा अपघटित कार्बनिक पदार्थ मिश्रित होकर मिट्टी का निर्माण करते हैं। वातावरणीय क्षरण तापक्रम के परिवर्तन तथा पाले के प्रभाव के कारण उत्पन्न होता है।

वायुमण्डलीय गैसें तथा अम्ल जो जल में खुले रहते हैं रासायनिक क्षरण (
Chemical corrosion) करते हैं।

चट्टानों का क्षरण बहुत अधिक समय लेता है। कुछ सेंटीमीटर मृदा के निर्माण में कई वर्षों का समय लग जाता है। सूक्ष्म पौधे यथा माॅस, लाइकेन तथा फर्न चट्टानों में दरारे उत्पन्न करते हैं और जब यह पौधे मर जाते हैं तो इनके अवशेष मिट्टी के साथ मिश्रित होकर ह्यूमस का रूप ले लेते हैं। ह्यूमस मिट्टी का पोषक तत्वों से भरपूर भाग है जो इसे उपजाऊ बनाता है।


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