सन् 1820 में बायो तथा सेवर्ट ने धारावाही चालकों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए अनेक प्रयोग किये। इन प्रयोगों के आधार पर उन्होंने बताया कि किसी धारावाही चालक के एक अल्पांश ∆l के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु P पर क्षेत्र का मान ∆B निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
(i) चुम्बकीय क्षेत्र ∆B, चालक में प्रवाहित धारा i के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात ∆B ∝ i
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र, चालक के अल्पांश की लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात ∆B ∝ ∆l
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र, अल्पांश की लम्बाई तथा अल्पांश को उस बिन्दु P से मिलाने वाली रेखा के बनने वाले कोण की ज्या (sine) के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात ∆B ∝ sinθ
(iv) चुम्बकीय क्षेत्र बिन्दु P की अल्पांश से दूरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात ∆B ∝ 1/r²
उपर्युक्त चारों तथ्यों को एक साथ लिखने पर
∆B ∝ i∆l / sinθ / r²
यदि चालक निर्वात (अथवा वायु) में स्थित हो, तब यह सम्बन्ध निम्नलिखित सूत्र के रूप में लिखा जाता है।
∆B = μ0/4π (i∆l /sin /r²)
धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दायें हाथ की हथेली के नियम नं० 1 अथवा मैक्सवेल के दक्षिणावर्त पेंच के नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।
ऊपर चित्र में चिह्न X चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर तथा चिह्न ⚈ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर व्यक्त करता है।
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