उल्काएँ और उल्का-पिण्ड (Meteors and Meteorites)
उल्काएँ वे खगोलीय पिण्ड हैं जो पत्थर अथवा धातु की चट्टानों से बनी हैं।उल्का पिंडो का आकार एक छोटे कंकड़ से लेकर विशाल खंड जिसका भार कुछ टनों में हो सकता है। उल्काएँ अत्यंत तीव्र गति से चलती है। जब उल्काएँ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, हवा के घर्षण से गर्म होकर वे चमकने और दिखाई देने लगती है।उल्काएँ क्षण भर के लिए आकाश में प्रकाश की एक चमकदार रेखा के रूप में दिखाई देती हैं। पुलगांव को गिरता हुआ तारा अथवा शूटिंग स्टार भी कहा जाता है। पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से पहले उल्काएँ पूरी तरह से जल जाती हैं। उल्का का वह भाग जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश से पहले पूरी तरह नहीं चल पाता और पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाता है उल्का पिंड कहलाता है।
1976 में कैलिफोर्निया (अमेरिका) में एक उल्का -पिण्ड की खोज की गई जिसका नाम ओल्ड वुमैन उल्का-पिण्ड है। इसका भार 2758 किलोग्राम है ,जो अमेरिका में अभी तक पाए जाने वाले उल्का पिण्डों में दूसरा विशाल उल्का पिण्ड है। यह लौह तथा निकल धातुओं से निर्मित है। अनुमानतः यह किसी छोटी ग्रह के पिघले हुए क्रोड़ (Core) का भाग है जो लगभग 4 खरब वर्ष पहले टूटा होगा।
Short Notes*
- उल्काएँ वे खगोलीय पिण्ड है जो पत्थर अथवा धातु की चट्टानों से बनी होती है। जब यह उल्काएँ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं तो हवा के घर्षण के कारण गर्म होकर दिखाई देने लगती है।
- उल्काएँ क्षण भर के लिए आकाश में प्रकाश की एक चमकदार रेखा के रूप में दिखाई देती है।
- उल्का का वह भाग जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश से पहले पूरी तरह जल नहीं पाते और पृथ्वी की सतह तक पहुंच जाते हैं उल्का पिण्ड कहलाते हैं।
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