मिट्टी क्या होती है? (What is soil?)
पृथ्वी के दो तिहाई से भी अधिक हिस्से में पानी है। हमारी पृथ्वी के कुल स्थलीय भूभाग का पांचवा हिस्सा बर्फ है हिम और नंगी चट्टानों से ढका है। पृथ्वी के शेष भू-भाग में मिट्टी है और इसी मिट्टी में घास तथा अन्य पेड़ पौधे उगाए जाते हैं। पौधों को मिट्टी से ही पानी और लवण प्राप्त होते हैं जिससे वे फलते फूलते हैं। मिट्टी पृथ्वी के भू-पृष्ठ की सबसे ऊपरी सतह है और हम जो देखते हैं वह मिट्टी की परत है । विशेष प्रकार की मिट्टी का प्रयोग ईंट बनाने ,फूलदान बनाने, बरतन तथा खिलौने बनाने के लिए भी किया जाता है। पृथ्वी पर मिट्टी हमारे लिए बहुत उपयोगी है या नहीं इसका अध्ययन हम नीचे करेंगे।
मिट्टी के प्रकार (Types of Soils)
मिट्टी का वर्ण, बनावट और संरचना भौगोलिक स्थितियों पर निर्भर करती है। मिट्टी का वर्ण उसमें उपस्थित रसायनों पर निर्भर करता है। भारत में विभिन्न भौगोलिक स्थितियों में कई प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है
1. लाल मिट्टी (Red Soil)
2. काली मिट्टी (Black Soil)
3. जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)
4. रेगिस्तानी मिट्टी (Desert Soil)
5. पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil)
6. लेटराइट मिट्टी (Laterite Soil)
लाल मिट्टी (Red Soil)- लाल मिट्टी को लाल लैटोसोल(Red Latosol) भी कहा जाता है। इस मिट्टी का लाल वर्ण इसमें उपस्थित आयरन ऑक्साइड के कारण होता है। इस मिट्टी में क्वार्ट्ज़ और चिकनी मिट्टी के कण भी होते हैं जो इसकी ऊपरी मृदा का निर्माण करते हैं। इस मिट्टी में बहुत ही कम मात्रा में ह्यूमस (Humus) होता है किंतु खाद व उर्वरक मिला देने पर यह अत्यधिक उपजाऊ बन जाती है। भारत में लाल मिट्टी मुख्यता केरल और तमिलनाडु के आंतरिक भागों में ,दक्षिणी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश ,मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्य में पाई जाती है।
काली मिट्टी (Black Soil)- काली मिट्टी काले रंग की सरंध्र ह्यूमस है। यह मिट्टी विशेषतया कपास में गन्ने की खेती के लिए श्रेष्ठ होती है। यह मिट्टी बैसाल्टी (Basaltic) चट्टानों से निर्मित होती है जो ज्वालामुखी के लावे से बनती है। इस मिट्टी में आयरन व मैग्निशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। काली मिट्टी भारत में मुख्यता महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश ,मध्यप्रदेश और गुजरात में पाई जाती है। पूर्वी राजस्थान ,मध्य प्रदेश, दक्षिणी हरियाणा और दक्षिणी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली काली मिट्टी में चिकनी मिट्टी का अवयव अधिक होता है। काली मिट्टी को रैगर (Regar) भी कहा जाता है।
जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)- जलोढ़ मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण तथा सभी स्थानों पर पाए जाने वाली मिट्टी होती है यह मैदानी क्षेत्रों में 40% तक पाई जाती है। जलोढ़ मिट्टी नदियों जैसे गंगा ,सतलुज तथा ब्रह्मपुत्र के द्वारा बड़े-बड़े चट्टानों से टूटकर बनती हैं और निचले क्षेत्रों में आकर एकत्र होती जाती है। इस मिट्टी में ह्यूमस की अधिकता होती है और इसमें कंकड़, रेत और चिकनी मिट्टी भी होती है। यह मिट्टी गेहूं ,चावल और गन्ने की फसल के लिए बहुत अधिक उपयुक्त होती है। जलोढ़ मिट्टी विशेषतया उत्तर प्रदेश ,हरियाणा ,बिहार ,बंगाल, उड़ीसा ,आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है। जलोढ़ मिट्टी का अन्य नाम खादर (Khadar) भी है। यह मिट्टी राजस्थान से संकरा पथ बनाते हुए गुजरात के मैदानों तक मिलती है। महानदी ,गोदावरी ,कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टा भी इसी मृदा से निर्मित होते हैं।
रेगिस्तानी मिट्टी (Desert Soil)- रेगिस्तानी मिट्टी में रेत का अनुपात बहुत अधिक पाया जाता है। रेगिस्तानी मिट्टी खुरदरी, बलुई तथा सरंध्र होती है। इस मिट्टी का वर्ण मटमैला-भूरा होता है और इसमें लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। रेगिस्तानी मिटटी भी अच्छी फसल पैदा कर सकती है यदि इसमें सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था हो क्योंकि इस मिट्टी में जल को रोके रखने की क्षमता कम होती है। कुछ झाड़ियां जैसे नागफनी, रसकस तथा अन्य पौधे जिन की वृद्धि के लिए जल की आवश्यकता नहीं होती है वह इस मृदा में प्राकृतिक रूप से उगते हैं। इस मिट्टी में ह्यूमस कम मात्रा में पाया जाता है। इस प्रकार की मिट्टी मुख्यतया गुजरात ,राजस्थान और लद्दाख में पाई जाती है।
पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil)- पर्वतीय मिट्टी बहुत अधिक उपजाऊ होती है। भारत में पाए जाने वाली मिट्टियों में सबसे ज्यादा ह्यूमस इसी मिट्टी में पाई जाती है। पर्वतीय मिट्टी के अवयवों का अनुपात विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न रहता है या ऐसा कह सकते हैं कि इसके अवयव स्थान स्थान पर बदलते रहते हैं। भारत में यह मिट्टी मुख्यतया हिमालय के क्षेत्रों में तथा उत्तर पूर्वी भाग में पाई जाती है। यह पश्चिमी घाट के कुछ भागों में तथा दूसरी पहाड़ियों पर पाई जाती है जैसे केरल के मालावार क्षेत्र में पाई जाती है।
लेटराइट मिट्टी (Laterite Soil)- लेटराइट मिट्टी का वर्ण रक्ताभ या लाल होता है। यह मिट्टी मुख्यतः उन क्षेत्रों में पाई जाती है जहां पर अधिक वर्षा होती है। लेटराइट मिट्टी की बनावट चिकनी होती है। इस मिट्टी में पोषक तत्व की अधिकता होती है और यह चाय कॉफी व नारियल की उपज के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस मिट्टी का प्रयोग ईंट बनाने में भी किया जाता है। यह मिट्टी भारत के पश्चिमी घाटों, तमिलनाडु ,उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और असम के कुछ हिस्सों में मिलती है।
यह कुल 6 प्रकार की मिट्टियां हैं जो भारत में पाई जाती हैं और जिनका प्रयोग विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने में किया जाता है। बिना इन मिट्टियों के फल सब्जियों आदि का उत्पादन मुश्किल है।
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