कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites): Definition,Type,Uses of Artificial Satellites | HIndi


कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites)
कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites): Definition,Type,Uses of Artificial Satellites | HIndi
मानव निर्मित वस्तु जो ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाती है कृत्रिम उपग्रह है। पहले कृत्रिम उपग्रह ,स्पुत्निक-I का प्रमोचित, भूतपूर्व सोवियत यूनियन द्वारा 4 अक्टूबर ,1957 को किया गया था।तब से आज तक अनेकों देशों द्वारा असंख्य उपग्रहों का प्रमोचन (Launch) किया जा चुका है। इनमें से अधिकतर उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। 

पहले भारतीय कृत्रिम उपग्रह का नाम आर्यभट्ट था जिसका प्रमोचन (Launch) 19 अप्रैल 1957 में किया गया था। तत्पश्चात भारत ने अनेकों उपग्रहों का प्रमोचन (Launch) किया है। 
कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites): Definition,Type,Uses of Artificial Satellites | HIndi
ग्रह की परिक्रमा करता कृत्रिम उपग्रह 


आर्यभट्ट के पश्चात ,भारत द्वारा कुछ अन्य उपग्रहों का भी प्रमोचन (Launch) किया गया जिसका ब्यौरा इस प्रकार है -

भास्कर -I (BHASKAR-I)                              -               7 जून, 1979 
रोहिणी (ROHINI)                                          -              18 जुलाई ,1980 
एप्पल (APPLE)                                              -              19 जून ,1981 
एसо आरо ओо एसо एसо -3 (SROSS -3)      -              10 जुलाई ,1992 


इनसैट -कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने कृत्रिम उपग्रहों की शृंखला का भी प्रमोचन (Launch) किया है :       

इनसैट-1 A (INSAT-1 A)                      -                     4 सितम्बर ,1982 
इनसैट-1 B (INSAT-1 B)                       -                    30 अगस्त ,1983 
इनसैट-1 C (INSAT-1 C)                       -                    (असफल प्रक्षेपण) 
इनसैट-1 D (INSAT-1 D)                      -                    12 जून ,1990     
इनसैट-2 A (INSAT-2 A)                       -                   10 जुलाई ,1992
इनसैट-2 B (INSAT-2 B)                       -                    जुलाई ,1993
इनसैट-2 C (INSAT-2 C)                       -                    दिसम्बर ,1995    
इनसैट-2 D (INSAT-2 D)                       -                   4 जून ,1997
इनसैट-2 E (INSAT-2 E)                        -                   3 अप्रैल ,1999
इनसैट-3 C (INSAT-3 C)                       -                   24 जनवरी ,2002


इनसैट (INSAT) का पूरा नाम इण्डियन नेशनल सैटेलाइट (Indian National Satellite) है। 


कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार (Types of Artificial Satellites)
कक्षा की प्रकृति के आधार पर कृत्रिम उपग्रहों को निम्न दो प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-
  • भू -स्थिर उपग्रह (Geo-Stationary Satellite)
  • सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह (Sun-Synchronous Satellites)

भू -स्थिर उपग्रह (Geo-Stationary Satellite)- भू -स्थिर उपग्रह पृथ्वी की तुलना में निश्चित बिन्दु पर अवस्थित रहते हैं। भू -स्थिर उपग्रह की घूर्णन की अवधि 24 घंटों की होती है। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह से 36000 किलोमीटर की ऊँचाई पर घूमते रहते हैं। इन उपग्रहों का उपयोग संचार के लिए किया जाता है। संचार-उपग्रह के द्वारा कुछ अन्य सेवायें भी उपलब्ध होती हैं जैसे -टेलीविजन ,सेलुलर ,फोन ,फैक्स इत्यादि। 

सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह (Sun-Synchronous Satellites)- सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह का प्रयोग सुदूर संवेदन (Remote sensing) के लिए किया जाता है। सुदूर संवेदन का अर्थ है -किसी वस्तु को स्पर्श किये बिना उसके बारे में जानकारी प्राप्त करना या एकत्र करना। सुदूर संवेदन के लिए उपयोग किये जाने वाले सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह किसी निश्चित अक्षांश पर से लगभग किसी निश्चित स्थानिक समय पर ही गुजरते हैं। 

सुदूर संवेदन (Remote sensing) उपग्रहों के कुछ उपयोग इस प्रकार हैं :-
  • वनों के आँकड़े एकत्र करना। 
  • बंजर भूमि के मानचित्र तैयार करना। 
  • भूमिगत जल का सर्वेक्षण ,सूखे का पूर्वानुमान ,फसलों की उपज /रोगों का आकलन। 

कृत्रिम उपग्रहों के उपयोग (Uses of Artificial Satellites)
कृत्रिम उपग्रहों के कई उपयोग हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-
  • मैसम का पूर्वानुमान करना। 
  • उपग्रह संचार (Satellites Communication)- सेलुलर फोन सेवाएँ तथा दूरस्थ दूरभाष सेवाएँ। 
  • रेडियो एवं टेलीविजिन के प्रसारण में। 
  • खनिज संसाधनों एवं भूमिगत जल खोजने तथा मानचित्र बनाने में। 
  • अन्य ग्रहों तथा खगोलीय पिण्डों के विषय में जानकारी एकत्र करने में। 



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