यीस्ट (Yeast)
वर्गीकृत स्थान (Systematic Position)-
उपजगत (Subkingdom) - थैलोफाइट (Thallophyta)
संघ (Phylum) - यूमाइकोफाइटा (Eumycophyta)
वर्ग (Class) - ऐस्कोमाइसीट्स (Ascomycetes)
कुल (Family) - यूलोट्राईकेसी (Ulotrichaceae)
वंश (Genus) - यूलोथ्रिक्स (Ulothrix)
वास स्थान (Habitat)
यीस्ट (Yeast) सभी स्थानों पर पाया जाता है लेकिन जिस स्थान पर शर्करा की मात्रा अधिक होती है वहां यह अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। yeast मृतोपजीवी (Saprophytic) होता है।संरचना (Structure)
- यह गोलाकार एककोशिकीय,रंगहीन (Colourless), थैलस (Thallus) पौधा है जिसका व्यास 2 से 8 μ तथा लंबाई 3 से 15 μ तक होती है।
- yeast में कवक जाल नहीं होता है।
- Yeast कोशिका भित्ति के द्वारा घिरा रहता है। कोशिका भित्ति में 6 से 8% प्रोटीन, 8.5 से 15.5% लिपिड तथा काइटिन होती है। इसके साथ कोशिका भित्ति में अधिकतर ग्लूकन (glucon) (30-35%) तथा मैनन (mannan) (30%) नामक दो पॉलिसैचेराइड्स होते हैं।
- इसमें सैलूलोज नहीं पाई जाती है।
- कोशिका भित्ति के अंदर स्थित कोशिका द्रव्य दो भागों में विभाजित होता है। बाहर का भाग एक पतली कला के रूप में होता है जिसे एक्टोप्लास्ट कहते हैं तथा अंदर का भाग घना कणिकामय (Granular) होता है एण्डोप्लाज्म (Endoplasm) कहलाता है।
- यीस्ट (Yeast) के कोशिकाद्रव्य में संचित खाद्य पदार्थ ग्लाइकोजन एवं वाल्यूटिन कण (Volutin Granules) तथा वसा के रूप में पाए जाते हैं।
- जीवद्रव्य में माइटोकॉण्ड्रिआ तथा राइबोसोम पाए जाते हैं। राइबोसोम में RNA पाया जाता हैं।
- Nucleus के अग्र सिरे पर तारे के आकार का Centrosome पाया जाता है।
जनन (Reproduction)
यीस्ट (Yeast) में जनन की मुख्य दो विधियां हैं -
- वर्धी जनन (Vegetative Reproduction)
- लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
वर्धी जनन(Vegetative Reproduction)
यीस्ट (Yeast) में कायिक जनन या वर्धी जनन की मुख्य दो विधियां है -
- मुकुलन द्वारा (By Budding)- यीस्ट (Yeast) में बड का निर्माण Favorable Condition में होता है। यीस्ट (Yeast) के Wall में थोड़ी सी Outgrowth होती है। ये Outgrowth धीरे-धीरे वृद्धि करके Bud का निर्माण करती है। यह Bud Mother Cell से अलग होकर नए यीस्ट (Yeast) का निर्माण करती है.
यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन - विखण्डन द्वारा (By Fission)- यीस्ट (Yeast) में विखण्डन (Fission) अनुप्रस्थ भित्ति (Transverse Wall) के बनने से होता है। यीस्ट (Yeast) के मध्य Wall में धंसाव होता है और ये growth करके अनुप्रस्थ भित्ति (Transverse Wall) का निर्माण करता है। ये Wall से अलग होकर Daughter Yeast का निर्माण करता है।
A . यीस्ट कोशिका मुकुलन , B. यीस्ट कोशिका में विखण्डन |
लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
यीस्ट (Yeast) में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) प्रतिकूल परिस्थियों में भोजन की कमी के समय होता है। यह युग्मन(Conjugation) द्वारा होता है। युग्मन दो वर्धी कोशिकाओं के बीच होता है। संयोजन (Fusion) के बाद बना युग्मनज (Zygote) एक ऐस्कस (Ascus) की भांति कार्य करता है और एस्कोबीजाणु बनाता है। यीस्ट (Yeast) में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) के लिए विशिष्ट प्रकार जननांग (Sex organs) नहीं होते हैं।
यीस्ट (Yeast) में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) की मुख्य तीन विधियां है -
- हैप्लोबायोंटिक(Haplobiontic Type)
- डिप्लोबायोंटिक (Diplobiontic Type)
- हैप्लो डिप्लोबायोंटिक (Haplo-Diplobiontic Type)
हैप्लोबायोंटिक(Haplobiontic Type)-
यीस्ट (Yeast) के Haplobiontic Cycle में अगुणित(Haploid =n) अवस्था अधिक तथा द्विगुणित (Diploid =2n) अवस्था कम होती है। इस Cycle में Diploid अवस्था थोड़े समय के लिए होती है।
Haplobiontic type का reproduction Schizosaccharomyces octosporus yeast में पाया जाता है।
इसमें दो Diploid Yeast जो संरचनात्मक और कार्यात्मक समान होते हैं। इनमें चोंच जैसी संरचना बनती है जिसे Outgrowth कहते हैं। ये आपस में मिलकर एक Tube बनाते हैं जिसे Conjugation Tube कहते हैं।
Conjugation Tube के बीच की दीवार गल जाती है। इस नली में ही दोनों कोशिकाओं के केन्द्रक परस्पर संयोजन करके युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। यह ही द्विगुणित अवस्था होती है।
इस Diploid Stage में पहले Meiosis तथा बाद Mitosis Division होता है जिससे 8 Ascospore का निर्माण हो जाता है। ये Ascus Haploid होता है।
डिप्लोबायोंटिक (Diplobiontic Type)-
Diplobiontic Cycle Saccharomycodes ludwigii में पाया जाता है। इसमें Diploid अवस्था अधिक समय तक तथा Haploid अवस्था कम समय के लिए होती है।
Diploid अवस्था से यह Cycle शुरू होती है तथा Diploid अवस्था पर खत्म होती है तथा इस Cycle में थोड़ी अवस्था Haploid भी होती है।
Meiosis Division द्वारा चार अगुणित (Haploid) Ascospores को जन्म देती हैं। ये Ascospores Ascus से स्वतंत्र नहीं होते हैं तथा Ascus में ही दो विपरीत प्रकार के एस्कोबीजाणु आपस में संयोजन कर लेते हैं इसे Plasmogamy कहते हैं।
दोनों केंद्रकों के मिलने से Karyogamy का निर्माण होता है। इस Karyogamy के मिलने से Germination होता है और Sprout Mycelium का निर्माण होता है। ये Diploid होता है।
हैप्लो डिप्लोबायोंटिक (Haplo-Diplobiontic Type)-
Haplo-Diplobiontic Cycle Saccharomyces cerevisiae में पाया जाता है।
इस Cycle में Haploid व Diploid दोनों Stage बराबर होती है। आधी अवस्था Haploid तथा आधी अवस्था Diploid होती है।
Diploid अवस्था में दो बार Mitosis Division होता है जिससे चार Diploid केन्द्रक बनते हैं।
इस Diploid केन्द्रक में Meiosis Division द्वारा young Ascus का निर्माण होता है ये Ascus Haploid होते हैं।
इस Haploid Ascus में अर्धसूत्री विभाजन होता है और Plasmogamy तथा Karyogamy द्वारा Diploid केन्द्रक का निर्माण होता है।
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