वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure)
पृथ्वी के किसी भी स्थान पर वायु द्वारा डाला गया दबाव उस स्थान का वायुमंडलीय दबाव कहलाता है।
तरल पदार्थों को नली या स्ट्रॉ की मदद से पीने की प्रक्रिया भी इसी तथ्य पर आधारित होती है कि वायुमंडल तरल पदार्थ की सतह पर दबाव डालता है। जब नली से वायु खींची जाती है तब क्योंकि नली के बाहर व अंदर दबाव में अंतर आ जाता है तरल पदार्थ नली के ऊपर चढ़ जाता है।
वायुमंडलीय दाब का माप : वायुदाबमापी (Measurement of Atmospheric Pressure: Barometer)
वायुमंडलीय दबाव के विषय में हमारी वर्तमान की जानकारी ई टॉरिसैली (1608-1647) द्वारा किए गए प्रयोगों पर आधारित है। टोरीसैली ने वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए एक यंत्र बनाया था जिसे सरल वायुदाबमापी (Simple Barometer) अथवा पारद वायुदाबमापी (Mercury Barometer)कहा जाता है।समुद्र तल पर नली में पारे का स्तर द्रोणी में पारे के तल से 76 सेंटीमीटर ऊपर होता है। अतः 76 सेंटीमीटर ऊंचा पारद-स्तंभ का दबाव एक वायुमंडलीय दाब कहलाता है।
अर्थात- पारद-स्तंभ का 760 mm = पारद-स्तंभ के 76 cm = 1 वायुमंडलीय दाब।
नली में पारद स्तंभ की ऊंचाई नली के आकार लंबाई अथवा नली के झुकने पर निर्भर नहीं करती। सभी प्रकार की नलियों में पारद स्तंभ की ऊंचाई बराबर रहेगी।
ऊंचाई के साथ साथ वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन (Changes in the Atmospheric Pressure with Altitude)
जैसे-जैस हम पहाड़ पर ऊंचाई की और बढ़ते जाते हैं वायुमंडलीय दाब धीरे-धीरे कम होता जाता है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधिक ऊंचाई पर हवा का घनत्व बहुत कम होता जाता है। औसतन समुद्र तल के प्रत्येक 120 मीटर ऊंचाई के साथ वायुमंडलीय दाब पारद का 1 सेंटीमीटर घटता जाता है।अधिक ऊंचाई पर पर्वतारोही सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं और पर्वतारोहियों में नकसीर फूटना साधारण बात है इसलिए कई पर्वतारोही ऊंचाई पर जाते समय ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रयोग करते हैं।
वायुयानो का आंतरिक दबाव सामान्य दबाव पर कर दिया जाता है। अंतरिक्ष यात्री विशिष्ट अंतरिक्ष पोशाक पहनते हैं ताकि उनका शरीर सामान्य दबाव पर व्यवस्थित रहे।
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