ग्रेफाइट(Graphite):परिभाषा,उपस्थिति,गुण,संरचना,उपयोग|hindi


ग्रेफाइट (Graphite)
ग्रेफाइट(Graphite):परिभाषा,उपस्थिति,गुण,संरचना,उपयोग|hindi

परिभाषा(Definition) - ग्रेफाइट को काला जस्ता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह कागज को काला कर देता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा रवेदार अपररूप होता है। ग्रेफाइट क्रिस्टल कार्बन परमाणुओं का समूह होता है और इसे Cn सूत्र द्वारा लिखा जा सकता है जहां n एक विशाल पूर्ण संख्या होती है। n का मान ग्रेफाइट क्रिस्टल के आकार पर निर्भर करता है। सामान्यतया ग्रेफाइट को C द्वारा लिखा जाता है।


उपस्थिति (Occurrence)
ग्रेफाइट प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में उपस्थित रहता है तथा यह हीरे से अधिक मात्रा में पाया जाता है। ग्रेफाइट श्रीलंका साइबेरिया कनाडा अमेरिका भारत इत्यादि देशों में भारी मात्रा में पाया जाता है। भारत ने ग्रेफाइट उड़ीसा राजस्थान जम्मू और कश्मीर आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु इत्यादि में पाया जाता है। ग्रेफाइट को कृत्रिम रूप से विद्युत भट्टी में ऐन्थ्रेसाइट कोयले के साथ आयरन ऑक्साइड अथवा सिलिका को गर्म करके भी बनाया जा सकता है।
ऐन्थ्रेसाइट     →      ग्रेफाइट


ग्रेफाइट के गुण (Properties of Graphite)

ग्रेफाइट के कई गुण होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख गुण इस प्रकार हैं-
  1. रूप रंग (Appearance) : ग्रेफाइट मटमैला काले रंग का अपारदर्शी वस्तु होती है। ग्रेफाइट की खुद की चमक होती है जिसे धात्विक चमक कहते हैं। ग्रेफाइट षटकोणीय क्रिस्टल के रूप में उपस्थित रहता है। 
  2. कठोरता (Hardness) : ग्रेफाइट मुलायम तथा चिकना व फिसलन युक्त होता है। किंतु यह कठोर भी होता है इसका प्रयोग हम विभिन्न वस्तुएं बनाने में करते हैं।
  3. घनत्व (The density) : ग्रेफाइट का घनत्व हीरे से अधिक हल्का होता है। ग्रेफाइट का घनत्व 2.3 ग्राम/मिलीलीटर होता है।
  4. विद्युत चालकता (electric conductivity) : ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है अर्थात ग्रेफाइट में से विद्युत धारा सरलता से गुजर सकती है।
  5. ऊष्मा चालकता (Heat conductivity) : ग्रेफाइट ऊष्मा का भी सुचालक होता है अर्थात ग्रेफाइट में से ऊष्मा का आदान-प्रदान हो सकता है।
  6. विलेयता (Solubility) : ग्रेफाइट सभी सामान्य विलायकों में अविलेय रहता है। अर्थात इसे किसी भी विलयन में विलेय नहीं किया जा सकता है।
  7. द्रवणांक (Liquid number) : ग्रेफाइट का गलनांक बहुत ही उच्च होता है। यह 3800 डिग्री सेल्सियस पर द्रव रूप में आ जाता है इससे यह पता चलता है कि इसका गलनांक बहुत ही उच्च होता है।
  8. वायु का प्रभाव (Wind effect) : ग्रेफाइट वाष्प में 700 से 800 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जलकर कार्बन डाइऑक्साइड देता है।

ग्रेफाइट की संरचना (Structure of Graphite)
ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा रवेदार अपररूप है। इसमें कार्बन परमाणु सपाट समानांतर परतों में व्यवस्थित रहते हैं। इन परतों में प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से सह संयोजी बंध द्वारा आबंधित रहते हैं या जुड़े रहते हैं तथा षटकोणीय जलाक सतह बनाते हैं। प्रत्येक कार्बन का चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रहता है। प्रत्येक परत दूसरी परत से कमजोर बंध द्वारा आबंधित रहती है या जुड़े रहती है। परिणाम स्वरूप प्रत्येक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल जाती है। जिससे इसका कठोरता मुलायम कितनी चिकनी तथा फिसलन युक्त होती है।
ग्रेफाइट(Graphite):परिभाषा,उपस्थिति,गुण,संरचना,उपयोग|hindi


ग्रेफाइट के उपयोग (Uses of Graphite)
ग्रेफाइट के कई उपयोग होते हैं इसके प्रमुख प्रयोग मुख्यता इन निम्नलिखित कार्य में किया जाता है
  • ग्रेफाइट शुष्क सेलों और विद्युत भट्टियों में इलेक्ट्रोड बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • ग्रेफाइट उच्च तापीय स्नेहक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
  • ग्रेफाइट का प्रयोग कुछ प्रमुख धातुओं को गलाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले क्रुसबिल को बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • ग्रेफाइट का प्रयोग पेंसिल में लेड बनाने में प्रयोग किया जाता है। जिसका प्रयोग हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में लिखने के लिए करते हैं उस पेंसिल में ग्रेफाइट ही होती है।
  • ग्रेफाइट का उपयोग ग्रामोफोन के रिकॉर्डर को बनाने तथा विद्युत मुद्रांक का निर्माण करने में किया जाता है।
  • ग्रेफाइट का प्रयोग कृत्रिम हीरा बनाने में भी किया जाता है क्योंकि यह कार्बन का दूसरा रवेदार अपररूप होता है इसलिए इसकी सहायता से कृत्रिम हीरा बनाया जा सकता है।

ग्रेफाइट (Graphite) के कई उपयोग होते हैं तथा इसका अपना एक महत्व होता है। इसकी संरचना सपाट समानांतर परतों में व्यवस्थित रहती है जो मुलायम तथा चिकनी होती है। इसका प्रयोग हम विभिन्न कार्यों में करते हैं।

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