ऑक्सीजन चक्र क्या होता है?(Oxygen Cycle): क्रियाविधि तथा प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का संतुलन
ऑक्सीजन गैस क्या होती है?
ऑक्सीजन गैस का प्रयोग मनुष्य तथा जीव जंतु श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। यह प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती है जो कि पौधों से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा वातावरण में मुक्त होती है। ऑक्सीजन एक निर्जीव नवीकरणीय संसाधन है जो सभी जीवित जीव जंतुओं के स्टेशन के लिए महत्वपूर्ण होता है। वातावरण में ऑक्सीजन का प्रतिशत 20.9% होता है। प्रकृति में ऑक्सीजन का एक चक्र चलता है इससे हमें पता चलता है कि वायु में उपस्थित ऑक्सीजन किस प्रकार ग्रहण की जाती है किसके द्वारा ग्रहण की जाती है तथा इसका कैसे प्रयोग होता है।
आज हम प्रकृति में होने वाले ऑक्सीजन चक्र का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे और यह जानेंगे कि प्रकृति में ऑक्सीजन किस प्रकार से कार्य करती है तथा वह कैसे उत्पन्न होती है:-
ऑक्सीजन चक्र की क्रियाविधि (Mechanism of oxygen cycle)
प्रकृति की वायु में उपस्थित ऑक्सीजन इस प्रकार पहन कर ली जाती है-
• श्वसन के लिए पौधे, पशु और अपघटकों द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण की जाती है। जैवीय मंडल में शुद्ध ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत पौधे होते हैं जो कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा ऑक्सीजन विमुक्त करते हैं।
ऑक्सीजन गैस का प्रयोग मनुष्य तथा जीव जंतु श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। यह प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती है जो कि पौधों से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा वातावरण में मुक्त होती है। ऑक्सीजन एक निर्जीव नवीकरणीय संसाधन है जो सभी जीवित जीव जंतुओं के स्टेशन के लिए महत्वपूर्ण होता है। वातावरण में ऑक्सीजन का प्रतिशत 20.9% होता है। प्रकृति में ऑक्सीजन का एक चक्र चलता है इससे हमें पता चलता है कि वायु में उपस्थित ऑक्सीजन किस प्रकार ग्रहण की जाती है किसके द्वारा ग्रहण की जाती है तथा इसका कैसे प्रयोग होता है।
आज हम प्रकृति में होने वाले ऑक्सीजन चक्र का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे और यह जानेंगे कि प्रकृति में ऑक्सीजन किस प्रकार से कार्य करती है तथा वह कैसे उत्पन्न होती है:-
ऑक्सीजन चक्र की क्रियाविधि (Mechanism of oxygen cycle)
प्रकृति की वायु में उपस्थित ऑक्सीजन इस प्रकार पहन कर ली जाती है-
• श्वसन के लिए पौधे, पशु और अपघटकों द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण की जाती है। जैवीय मंडल में शुद्ध ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत पौधे होते हैं जो कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा ऑक्सीजन विमुक्त करते हैं।
• जीवाश्म ईंधनों के दहन में दोनों ही प्रक्रियाओं में कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न होते हैं। यह उत्पाद वायुमंडल में मिल जाते हैं।
प्रकृति में ऑक्सीजन तब उत्पन्न होती है जब :
हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल और कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा वातावरण में ऑक्सीजन विमुक्त होती है। यह विमुक्त ऑक्सीजन वायुमंडल में चली जाती है।
प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का संतुलन (Oxygen - Carbon dioxide Balance in Nature)
ऊपर हमने यह जाना कि इंधनों के दहन तथा मनुष्य पशुओं व पौधों द्वारा श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन का उपयोग होता है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। प्रकाश संश्लेषण में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन में मुक्त करते हैं। पौधे ऑक्सीजन का भी उपयोग करते हैं किंतु वे अपेक्षाकृत अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। समुद्र के तलछठ द्वारा भी ऑक्सीजन का प्रयोग होता है।
प्रकृति में ऑक्सीजन तब उत्पन्न होती है जब :
हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल और कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा वातावरण में ऑक्सीजन विमुक्त होती है। यह विमुक्त ऑक्सीजन वायुमंडल में चली जाती है।
प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का संतुलन (Oxygen - Carbon dioxide Balance in Nature)
ऊपर हमने यह जाना कि इंधनों के दहन तथा मनुष्य पशुओं व पौधों द्वारा श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन का उपयोग होता है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। प्रकाश संश्लेषण में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन में मुक्त करते हैं। पौधे ऑक्सीजन का भी उपयोग करते हैं किंतु वे अपेक्षाकृत अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। समुद्र के तलछठ द्वारा भी ऑक्सीजन का प्रयोग होता है।
उपर्युक्त सभी क्रियाएं प्रकृति में निरंतर होती रहती है जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात लगभग स्थिर रहता है। इस प्रकार प्रकृति में कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन की सांद्रता में संतुलन रहता है।
लेकिन वर्तमान समय में जिस प्रकार से पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है तथा वाहनों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। जिससे पर्यावरण को तो कई नुकसान हो ही रहे हैं मनुष्य में भी कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। यदि इसे समय पर नहीं रोका गया तो आने वाले भविष्य बहुत ही खतरनाक हो सकता है।
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