कार्बन के बारे में कुछ मुख्य तथ्य (Facts About Carbon)
• कार्बन (Carbon) सर्वाधिक सुपरिचित तथा पृथ्वी पर सर्वाधिक मात्रा में तथा प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है।• कार्बन मुक्त तथा यौगिक दोनों रूपों में उपस्थित रहते हैं। मुक्त तत्व के रूप में कार्बन हीरे (Diamond) और ग्रेफाइट (Graphite) के रूप में उपस्थित रहते हैं। संयुक्त अवस्था में कार्बन खनिज, कार्बन डाइऑक्साइड ,जीवाश्म ईंधन तथा सभी जीवित प्राणियों के जीवनोपयोगी यौगिक जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि के रूप में उपस्थित रहते हैं।
• कार्बन दो रूपों में उपस्थित रहता है रवादार रूप तथा रवाहीन रूप।
• हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के रवेदार अपरूप हैं जबकि कोयला, कोक, चारकोल, काजल, गैस कार्बन आदि कार्बन के रवाहीन अपरूप हैं।
• हीरा एक कठोर पारदर्शी पदार्थ है जो अष्टफलकीय क्रिस्टलों के रूप में मिलता है।
• हीरे का अपवर्तनांक ऊंचा होता है तथा अच्छी प्रकार से कटा और पॉलिश किया गया हीरा बहुत ही अधिक चमकता है।
• हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का सुचालक नहीं होता है। हीरे में कार्बन परमाणु त्रिआयामी ढांचा बनाते हैं और इस ढांचे में कार्बन परमाणु एक दूसरे से चतुष्फलकीय रूप में व्यवस्थित बने रहते हैं।
• हीरे का उपयोग आभूषण बनाने, काटने व छिद्रित करने वाले उपकरणों तथा रॉकेट की रक्षणात्मक खिड़कियां बनाने में होता है।
• ग्रेफाइट को काला जस्ता भी कहा जाता है क्योंकि यह कागज पर काले रंग से लिखता है। यह मटमैले काले रंग का, धात्विक चमक युक्त, अपारदर्शी पदार्थ होता है।
• ग्रेफाइट मुलायम, भंगुर तथा फिसलन युक्त पदार्थ होता है जो ऊष्मा तथा विद्युत का सुचालक होता है।
• ग्रेफाइट कार्बन की सपाट, समानांतर परतों से निर्मित होता है तथा प्रत्येक परत अपने पार्श्व की परत से सह संयोजी कमजोर आकर्षण से बन्धी होती है। अतः यह एक दूसरे पर सरलता से फिसल जाती हैं।
• ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु के केवल तीन संयोजक इलेक्ट्रॉनों का प्रयोग आबंध में होता है। प्रत्येक परमाणु का चौथा इलेक्ट्रॉन पूरी परत में घूमने के लिए स्वतंत्र रहता है।
• कोयला पृथ्वी के अंदर लकड़ी के भंजक आसवन द्वारा बनता है। कोयले का उपयोग मुख्यतः ईंधन के रूप में कोक, उत्पादक गैस तथा जलीय गैस बनाने में किया जाता है। धातु के निष्कर्षण में कोक का उपयोग अपचायक रूप में किया जाता है।
• काष्ठ चारकोल को वायु की अनुपस्थिति में लकड़ी को तेज आंच पर गर्म करके प्राप्त किया जाता है।
• ब्लैक कार्बन का उपयोग वाहनों के टायर बनाने में होता है। गैस कार्बन तथा पेट्रोलियम कोक विद्युत के सुचालक होते हैं इनका उपयोग शुल्क सेलों में इलेक्ट्रोड बनाने के लिए किया जाता है।
• कार्बन दो ऑक्सीकारक बनाता है- कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड।
• कार्बन डाइऑक्साइड को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा संगमरमर के टुकड़ों के साथ अभिक्रिया करके बनाया जाता है।
• कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)रंगहीन व गंधहीन गैस होती है। इसे -78°C तापमान पर ठंडा करने पर यह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाती है। इस ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ कहते हैं और इसका प्रयोग शीतलक के रूप में किया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलनशील होती है तथा इसके जलीय विलियन की प्रकृति अम्लीय होती है।
• मेथेन को मार्श गैस भी कहा जाता है क्योंकि यह दलदली क्षेत्रों में मिलती है।
• प्रयोगशाला में मेथेन को सोडियम एसीटेट तथा सोडा लाइम के मिश्रण को गर्म करके बनाया जाता है।
• पूर्ण दहन करने पर मेथेन कार्बन डाइऑक्साइड व जल देती है। मेथेन का उपयोग ईंधन ,कार्बन, काजल, मेथाइल एल्कोहल, फॉर्मेल्डिहाइड, क्लोरोफॉर्म आदि के निर्माण में होता है।
कार्बन (Carbon) के अंतर्गत पाए जाने वाले तत्वों के कुछ मुख्य तथ्य होते हैं जो ऊपर दिए गए हैं।
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