बीमारियों से जुड़े 20 तथ्य (20 Facts related to diseases)|hindi


बीमारियों से जुड़े 20 तथ्य (Facts related to diseases)

बीमारियों से जुड़े 20 तथ्य (20 Facts related to diseases)|hindi

  1. सूक्ष्मजीव जो किसी विशिष्ट रोग के कारण होते हैं, रोगजनित जीवाणु कहलाते हैं।
  2. कीट तथा अन्य पशु जो रोगजनित जीवाणुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ढोते हैं संवाहक कहलाते हैं। किसी विशिष्ट जीवाणु के वाहक रोगवाहक कहलाते हैं।
  3. बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोआ, वायरस रोगजनित जीवाणु हैं।
  4. जो रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक परोक्ष अथवा अपरोक्ष सम्पर्क द्वारा संचरित होते हैं संक्रामक अथवा संदूषित रोग कहलाते हैं।
  5. कीट जैसे मच्छर, मक्खी, तिलचट्टे आदि कचरे, अथवा अपशिष्टों से रोगजनित जीवाणु ढोते हैं। और भोजन को संदूषित कर देते हैं। ये कीट अनेक रोगजनित जीवाणुओं के संवाहक होते हैं। ऐनोफीलिज़ मच्छर प्लाज्मोडियम प्रोटोजोआ का रोगवाहक है, जो मलेरिया बुखार उत्पन्न करता है।
  6. हैजा नामक रोग बैक्टीरिया से होता है जो कि संक्रमित पानी अथवा भोजन के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक फैलता है या एक से दूसरे में फैलता है। इससे बचाव के लिए अपने आसपास के क्षेत्र में धूल, पानी तथा गंदगी एकत्र नहीं होने देना चाहिए।
  7. तपेदिक रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। इसका संचरण वायु के माध्यम से होता है। इससे बचाव का एकमात्र तरीका है बी•सी•जी• का टीका लगवाना।
  8. आंत्रशोथ ज्वर भी एक बैक्टीरिया के द्वारा होने वाला रोग है जो कि वायु तथा जल के द्वारा संचालित होता है। इससे बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति के अपशिष्ट तथा अन्य संक्रमित वस्तुओं को ऐसे गड्ढे में एकत्र किया जाना चाहिए जो कि जल स्रोतों से दूर हो तथा उसे बालू से ढक देना चाहिए।
  9. सामान्य सर्दी एक वायरल बीमारी है जो कि वायु के द्वारा फैलती है। यह मुख्यतः मौसम बदलने पर होती है। इससे बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
  10. चेचक भी एक वायरस के द्वारा होने वाली बीमारी है जोकि वायु तथा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर फैलती है। किसी से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति को स्वयं को साफ रखना चाहिए और साफ कपड़े पहने चाहिए।
  11. खसरा तथा पोलियो भी एक वायरल बीमारी है जो संक्रमित वायु तथा जल द्वारा फैलती है। इससे बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति के कपड़े तथा अन्य वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा रोगी के कपड़ों को अलग धोना चाहिए और शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।
  12. रेबीज भी एक वायरल डिजीज है जो कि संक्रमित जानवर जैसे कुत्ते के काटने से फैलता है। यदि कोई संक्रमित जानवर आप काट ले तो काटे गए स्थान को पानी और साबुन से अच्छी प्रकार धोना चाहिए। तथा तुरंत डॉक्टर के पास जाकर रिलीज प्रतिरोधक टीके का पूरा क्रम लगवाना चाहिए।
  13. हमारे शरीर में किसी भी समय लगभग 10,000 विभिन्न एन्टीबॉडीज़ रहते हैं। प्रत्येक एन्टीबॉडी किसी विशिष्ट एन्टीजन को नष्ट करता है। हमारे शरीर में किसी प्रविष्ट एन्टीजन के प्रवेश करने पर तदनुरूप एन्टीबॉडी 2000 प्रति सैकण्ड की दर से उत्पन्न होते हैं।
  14. रोग से बचाव की एक विधि होती है जो प्रतिरक्षण कहलाती है।हमारे शरीर की प्रतिरक्षी विधियाँ हमें संक्रमण/रोग से बचाती हैं।
  15. प्रतिरक्षण टीके के द्वारा किया जाता है जिसमें रोग जनित जीवाणुओं को मारने तथा कमजोर करने के लिए अल्प मात्रा में एक खुराक दी जाती है जो रोग के विपरीत प्रतिरक्षा का कार्य करती है यह प्रक्रिया टीकाकरण कहलाती है।
  16. बच्चों का टीकाकरण निम्न तरीके से किया जाना चाहिए- जन्म के तुरन्त बाद चेचक, बी०सी०जी० (BCG) का टीका, 4-9 महीने की आयु पर डी०पी०टी० (त्रय टीका) : 8 से 12 हफ्तों के अन्तराल पर पोलियो : 4-6 हफ़्तों के अन्तराल पर तीन खुराकें, 1 वर्ष की आयु पर चेचक (पुन: टीकाकरण), डेढ़ से 2 वर्ष की आयु पर डी०पी०टी० तथा पोलियो का टीका, 3-4 वर्ष पर चेचक (पुन: टीकाकरण), 5-6 वर्ष पर डी०पी०टी० तथा आन्त्रशोथ ज्वर के लिए 1-2 महीने के अन्तराल में दो खुराकें लें।
  17. हमारे शरीर में शारीरिक और रासायनिक प्रतिरोधी प्राकृतिक प्रतिरक्षा विधियाँ हैं।
  18. किसी रोग अथवा संक्रमण से मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रतिरक्षा कहलाती है।
  19. किसी विशिष्ट रोग के विरोध में रोगजनित जीवाणुओं को मारने अथवा कमजोर करने की अल्प मात्रा में खुराक टीका कहलाती है।
  20. वह कार्य जिसके द्वारा रोगजनित जीवाणुओं को मारने अथवा कमजोर करने के लिए दी गई अल्पमात्रा में खुराक, जो रोग के विपरीत शरीर की प्रतिरक्षा करती है, टीकाकरण कहलाता है। 



इन्हें भी पढ़ें-

No comments:

Post a Comment