टीबी (Tuberculosis),यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग
टीबी कैसे होती है?
टीबी एक आम संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसे अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, क्षय रोग । कई मामलों में यह संक्रामक बीमारी घातक भी हो जाती है। आम तौर पर टीबी फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है जैसे फेफड़े, हड्डियां, आंख तथा मस्तिष्क इत्यादि। टीबी सामान्यतः फेफड़ों में पाया जाता है।यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जैसे ही कोई स्वस्थ व्यक्ति रोगी व्यक्ति के खांसते, छींकते या अन्य किसी ऐसी गतिवधि के के संपर्क में आता है जिससे हवा में उसके बैक्टीरिया (Bacteria) मुक्त हो जाते हैं वह भी संक्रमित हो जाता है।
नीचे हम टीबी के फैलने के कारण ,उसके संचरण तथा लक्षणों व इलाज के बारे में विस्तार से पढेंगे।
टीबी के लक्षण (Symptoms of TB)
टीबी के लक्षण सामान्य होते हैं पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:-
- लगातार खांसी तथा में छाती में दर्द - खांसी टी बी का मुख्य लक्षण है। क्योंकि यह मुख्यतः फेफड़ों को नुक्सान पहुंचाती है। शुरुआत में यह खांसी सामान्य रहती है लेकिन समय के साथ इसमें खून आने लगता है और साथ ही रोगी की छाती में भी दर्द होने लगता है। यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- बुखार सामान्यतः संध्या के समय - इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को शाम के समय बुखार हो जाता है तथा संक्रमण के बढ़ने के साथ साथ बुखार भी बढ़ने लगता हैं।
- भूख में कमी - टी बी से पीड़ित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है। वह अपने खान पान में ध्यान नहीं देता है जिससे उसका वजन भी कम होने लगता है।
- हड्डियों में दर्द तथा अतिसार - टी बी से पीड़ित व्यक्ति को बुखार होने लगता हैं जिससे उसका शरीर कमजोर हो जाता है तथा उसकी हड्डियों में दर्द शुरू हो जाता है। दर्द के कारण रोगी ज्यादा चल फिर नहीं पता है। इसके साथ ही रोगी को डायरिया की शिकायत भी हो जाती है।
- पसीना आना - टी बी से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक पसीना आता है। चाहे बहुत अधिक सर्दी पड़ रही हो लेकिन रोगी को बुखार के साथ साथ पसीना भी आता ही है।
टीबी का संचरण (Transmission of TB)
टीबी रोग निम्नलिखित कारकों द्वारा संचालित होता है।
टीबी का निवारण तथा नियंत्रण (TB Prevention and Control)
- वायु द्वारा
- खांसते झींकते तथा थूकते समय बिंदुकों के कारण।
- टीबी का इलाज न करवाने पर।
- भीड़ वाली जगह पर खांसने तथा छींकने के कारण।
बच्चों में टीबी (TB in children)
बच्चों के लिये टी.बी.(तपेदिक) एक घातक बीमारी जो उनके लिए ख़तरनाक होती है।
बच्चों में टीबी फैलने के कई कारण ह सकते हैं जैसे -
- बच्चों का उस घर में रहना जिस घर में किसी वयस्क को सक्रिय तपेदिक है।ऐसे घर में बच्चों को टी बी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- बच्चों का एच.आइ.वी (HIV) से संक्रमित होना।
- बच्चे का किसी अन्य इम्युनो स्वीकृति स्थिति में होना।
- बच्चों का ऐसे देश में होना जहाँ टीबी का उच्च संक्रमण फैला हो।
- बच्चों को डॉक्टर की सेवा ना मिलना या डॉक्टरी सेवाएं कम मात्रा में उपलब्ध होती है।
टीबी से प्रतिरक्षा नियंत्रण के लिए रोगी को निम्नलिखित सुझावों का अनुपालन करना चाहिए:-
- टीबी का पता चलने पर रोगी को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए तथा पूर्ण इलाज लेना चाहिए।
- पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए।
- खांसते तथा छींकते समय मुँह को ढक लें।
- सार्वजानिक जगहों पर खांसी व छींके नहीं।
- किसी भी ऐसे पदार्थ का सेवन न करें जिससे फेफड़ों पर असर पड़े जैसे सिगरेट ,बीड़ी ,तम्बाकू आदि।
- अपने खाने-पीने पर पूरा ध्यान देना चाहिए। पौष्टिक आहार खाना चाहिए।
- ज्यादा बंद कमरे में न रहें।
- टीबी से बचाव का एकमात्र इलाज है टीकाकरण। इसलिए बच्चे के जन्म पर उसे बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं।
24 मार्च को पूरे विश्व में टीबी दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के तत्वाधान में पूरे विश्व में टीबी से संबंधित कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसका उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है और इसे खत्म करना है। टी बी की बीमारी से निजात पाया जा सकता है। किन्तु इसके लिए पूर्ण इलाज करवाना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा रोगी की जान भी जा सकती है।
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