कुछ रोगजनक परजीवी प्रोटोजोअन के नाम तथा फैलने का तरीका(pathogenic parasitic protozoans)|hindi


मनुष्य के कुछ रोगजनक परजीवी प्रोटोजोअन के नाम तथा फैलने का तरीका
मनुष्य के कुछ रोगजनक परजीवी प्रोटोजोअन के नाम तथा फैलने का तरीका(pathogenic parasitic protozoans)|hindi

मनुष्य के कुछ रोगजनक प्रोटोजोअन परजीवी

प्रोटोजोआ ऐसे एक कोशिकीय जीव है जिनके द्वारा मनुष्यों में कई गंभीर रोग होते हैं। इनमें लगभग तीस प्रकार के प्रोटोजोआ ऐसे हैं जो मनुष्यों में रोग उत्पन्न करते हैं। इनमें से कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण हैं जिनके नाम तथा वर्णन इस प्रकार है-


1.  ट्राइकोमोनैस टीनैक्स (Trichomonas tenax) : दाँतों की जड़ों और रोगग्रस्त मसूड़ों में; सम्भवतः पायरिया (pyorrhea) रोग का जनक। चुम्बन के जरिए फैलता है। एकपोषदीय परजीवी।

2.  ट्राइकोमोनैस होमिनिस (Trichomonas hominis): बड़ी आँत का एकपोषदीय परजीवी। दस्त व आतिसार (diarrhoea) से सम्बन्धित मल के जरिए फैलता है।

3.  गिआर्डिया लैम्बलिया (Giardia lamblia) : आँत के अगले भाग में, एकपोषदीय; घातक अतिसार (दस्त), सिरदर्द तथा पीलिया (jaundice) रोग का जनक मल में उपस्थित पुटिकाओं द्वारा फैलता है।

4.  ट्राइकोमोनैस वैजाइनैलिस (Trichomonas vaginalis) : पुरुषों के मूत्रमार्ग तथा स्त्रियों की योनि का एकपोषदीय परजीवी। सूजाक (syphilis) एवं श्वेत प्रदर (leukorrhoea स्त्रियों में) से सम्बन्धित । सम्भोग के जरिए फैलता है।

5.  लीशमैनिया (Leishmania) : रुधिर एवं लसिका केशिकाओं की दीवार तथा यकृत, प्लीहा, अस्थिमज्जा आदि की कोशिकाओं और रुधिराणुओं का अन्तःकोशिकीय परजीवी। द्विपोषदीय। द्वितीयक वाहक पोषद बालू मक्खी (sandfly)। विभिन्न जातियाँ काला-अजार अर्थात् लीशमैनिऐसिस (leishmaniasis) रोग की जनक जिसमें कि त्वचा तथा आंतरांगों की श्लेष्मिक कलाएँ रोगीली हो जाती हैं।

6.  ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma) : रुधिर, सेरीब्रोस्पाइनल एवं अन्य शरीरद्रव्यों के बाह्यकोशिकीय तथा हृदपेशियों, केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र, जनदों आदि के अन्तःकोशिकीय परजीवी । विभिन्न जातियाँ घातक निद्रा रोग (sleeping sickness) तथा शैगास रोग (chagas disease) की जनक। द्वितीयक वाहक पोषद सी-सी मक्खी (tse-tse fly - Glossina) या खटमल ।

7.  एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica): बड़ी आँत के अगले भाग (कोलन) का एकपोषदीय परजीवी। आमातिसार (अमीबॉयसिस-amoebiasis) का जनक । संक्रमण प्रावस्था मल में उपस्थित चौकेन्द्रकीय कोष्ठ ।

8.  ए० जिन्जिवैलिस (E. gingivalis) : दाँतों की जड़ों व मसूड़ों और गलसुओं की पस थैलियों का एकपोषदीय परजीवी। पायरिया से सम्बन्धित संक्रमण सीधे चुम्बन द्वारा।

9.  ए० कोलाई (E. coli) : कोलन में। एकपोषदीय। सहभोजी (रोगजनक नहीं) । संक्रमण प्रावस्था मल में उपस्थित अष्ठकेन्द्रकीय कोष्ठ ।

10.  आइसोस्पोरा होमीनिस (Isospora hominis) : छोटी आँत की दीवार की कोशिकाओं में अन्तःकोशिकीय । एकपोषदीय। दस्त से सम्बन्धित । संक्रमण प्रावस्था स्पोरोज्वॉएटयुक्त ओअसिस्ट।

11.  प्लाज्मोडियम (Plasmodium) : लाल रुधिराणुओं एवं जिगर कोशिकाओं में अन्तः कोशिकीय। द्विपोषदीय। द्वितीयक वाहक पोषद मादा ऐनोफेलीज मच्छर । मलेरिया (malaria) रोग का जनक।

12.  बैलैन्टीडियम कोलाई (Balantidium coli) : आँत के अगले भाग में। एकपोषदीय । आमातिसारजनक। संक्रमण प्रावस्था कोष्ठीय।

यह कुछ प्रोटोजोअन है जिनके द्वारा मनुष्यों में बहुत आसानी से रोग फैल जाता है और कई बार यह बहुत गंभीर भी हो जाते है जिनके द्वारा मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है। इनसे बचने का सबसे आसान तरीका है अपने आसपास सफाई रखना तथा स्वच्छ पानी पीना जिससे यह रोग आपको नहीं हो पाए।



No comments:

Post a Comment